बीकानेर: लावारिस समझकर दफनाया गया कांस्टेबल का शव, 13 दिन बाद जूते-कपड़ों से हुई पहचान, आज DNA टेस्ट से पुष्टि
बीकानेर के खाजूवाला में 23 नवंबर को मिला अज्ञात शव 13 दिन बाद श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ थाने में तैनात कांस्टेबल अमरजीत चौहान का निकला। जूते, कपड़े और हाथ पर बने टैटू से हुई पहचान। लावारिस मानकर दफना दिया गया था, अब डीएनए टेस्ट से अंतिम पुष्टि होगी।
बीकानेर/श्रीगंगानगर, 6 दिसंबर 2025: राजस्थान के बीकानेर जिले के खाजूवाला क्षेत्र में 23 नवंबर को मिला एक अज्ञात शव अब एक पुलिस कांस्टेबल का निकला है। पहचान न होने के कारण पुलिस ने शव को लावारिस मानकर अंतिम संस्कार कर दिया था। लेकिन 13 दिनों बाद जूते और कपड़ों पर मिले सुरागों से पहचान की कड़ी जुड़ गई। दाहिने हाथ पर टैटू के रूप में लिखा "अमरजीत चौहान" नाम देखकर पता चला कि मृतक श्रीगंगानगर जिले के अनूपगढ़ थाने में तैनात कांस्टेबल अमरजीत चौहान था। देरी से मिले इन सबूतों के आधार पर पुलिस ने डीएनए टेस्ट के लिए सैंपल भेज दिया है, जिसकी रिपोर्ट आज आने की उम्मीद है। रिपोर्ट के आधार पर ही मृतक की पहचान की अंतिम पुष्टि होगी।यह घटना पुलिस महकमे में सनसनी फैला रही है, क्योंकि एक सक्रिय कांस्टेबल का शव इतने दिनों तक अज्ञात कैसे रहा, इस सवाल पर विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। खाजूवाला पुलिस थाने के अधिकारियों ने बताया कि 23 नवंबर को स्थानीय इलाके में एक अज्ञात पुरुष का शव मिला था। शव की हालत खराब होने के कारण तत्काल पहचान संभव नहीं हो सकी। पोस्टमार्टम के बाद शव को लावारिस घोषित कर सरकारी तरीके से दफना दिया गया।
पहचान कैसे हुई? जूते-कपड़ों पर छिपा था राज मामले में नया मोड़ तब आया जब 5 दिसंबर को कुछ स्थानीय लोगों ने खाजूवाला क्षेत्र में बिखरे हुए पुराने कपड़ों और जूतों को देखा। जूतों पर पुलिस की यूनिफॉर्म के निशान थे और कपड़ों की जेब से कुछ पुराने दस्तावेज निकले। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण सुराग दाहिने हाथ पर बना टैटू था, जिसमें साफ-साफ "अमरजीत चौहान" नाम उभरा हुआ था। इस नाम की तफ्तीश करने पर पुलिस को श्रीगंगानगर के अनूपगढ़ थाने से जुड़ी जानकारी मिली। थाने के रिकॉर्ड में कांस्टेबल अमरजीत चौहान का नाम दर्ज था, जो पिछले कुछ दिनों से गायब थे।अनूपगढ़ थाना प्रभारी ने बताया, "अमरजीत चौहान 28 वर्षीय कांस्टेबल थे, जो अनूपगढ़ में ट्रैफिक ड्यूटी पर तैनात थे। वे मूल रूप से जिले के ही निवासी थे और परिवार के इकलौते कमाने वाले सदस्य थे। उनके लापता होने की कोई शिकायत नहीं दर्ज हुई थी, लेकिन अब परिवार को सूचना दे दी गई है।" परिवार के सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है। पत्नी ने बताया कि अमरजीत 20 नवंबर को ड्यूटी पर गए थे और उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला। वे मानसिक रूप से परेशान लग रहे थे, लेकिन किसी को कुछ बताया नहीं था।
डीएनए टेस्ट आज: क्या खुलेगा रहस्य? पुलिस ने देरी से मिले इन सुरागों को आधार बनाकर मृतक के परिवार से डीएनए सैंपल लिया है। खाजूवाला पुलिस ने शव के अवशेषों को फिर से खोदकर सैंपल कलेक्ट किया और जयपुर के फॉरेंसिक लैब में भेज दिया। रिपोर्ट आज शाम तक आने की संभावना है। यदि डीएनए मैच हो गया, तो मामला सुसाइड या हादसे का रूप ले सकता है। प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शव पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले थे, लेकिन सड़न के कारण सटीक कारण पता नहीं चल सका।
विभाग में हड़कंप: लापता कांस्टेबल की तलाश क्यों नहीं हुई? यह घटना राजस्थान पुलिस के लिए शर्मिंदगी का सबब बन गई है। एक कांस्टेबल के लापता होने पर विभाग ने कोई तत्काल अलर्ट जारी नहीं किया, जिसके कारण पहचान में इतनी देरी हुई। वरिष्ठ अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं। बीकानेर रेंज के आईजी ने कहा, "यह दुखद घटना है। विभाग स्तर पर लापता पुलिसकर्मियों की ट्रैकिंग सिस्टम को मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। अमरजीत के परिवार को हर संभव सहायता दी जाएगी।"