"रेत से पटना तक: मंजू चौधरी ने रच दिया स्वर्णिम इतिहास"

पटना, बिहार में आयोजित 7वें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बायतु की खोखसर पश्चिम ग्राम पंचायत की मंजू चौधरी ने रोड साइक्लिंग की 20 किमी व्यक्तिगत टाइम ट्रायल में स्वर्ण पदक जीता। यह उनका साइक्लिंग में पहला गोल्ड मेडल है।

May 14, 2025 - 15:24
"रेत से पटना तक: मंजू चौधरी ने रच दिया स्वर्णिम इतिहास"

पटना/बायतु, 14 मई।


बिहार की राजधानी पटना में चल रहे 7वें खेलो इंडिया यूथ गेम्स में राजस्थान के बाड़मेर जिले के बायतु उपखंड की बेटी मंजू चौधरी ने नया इतिहास रच दिया है। खोखसर पश्चिम ग्राम पंचायत निवासी और श्री हनुमान राम की पुत्री मंजू ने रोड साइक्लिंग की 20 किलोमीटर व्यक्तिगत टाइम ट्रायल प्रतियोगिता में शानदार प्रदर्शन करते हुए राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक (Gold Medal) अपने नाम किया।

यह मंजू चौधरी का साइक्लिंग खेल में पहला स्वर्ण पदक है, जो न केवल उनके लिए बल्कि पूरे बायतु और बाड़मेर जिले के लिए गर्व का क्षण है।

रेतीले रास्तों से पटना की रेस ट्रैक तक

मंजू चौधरी का यह सफर बेहद प्रेरणादायक है। बायतु जैसे सीमांत और रेतीले इलाके से निकलकर उन्होंने यह साबित किया है कि संघर्ष और मेहनत से कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। सीमित संसाधनों और चुनौतियों के बीच मंजू ने रोड साइक्लिंग जैसे कठिन खेल को अपनाया और राष्ट्रीय स्तर पर खुद को साबित कर दिखाया।

20 किलोमीटर की इस प्रतियोगिता में मंजू ने शानदार टाइमिंग के साथ अपने प्रतिद्वंद्वियों को पछाड़ते हुए गोल्ड मेडल पर कब्जा जमाया। खेल विशेषज्ञों के अनुसार, यह प्रदर्शन अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब है और भविष्य में वह देश का प्रतिनिधित्व करने में पूरी तरह सक्षम हैं।

क्षेत्र में खुशी की लहर

मंजू की इस ऐतिहासिक जीत पर बायतु और खोखसर पंचायत में खुशी की लहर दौड़ गई है। उनके परिवार, विद्यालय, मित्रों और ग्रामवासियों ने ढोल-नगाड़ों के साथ उनका स्वागत करने की तैयारी शुरू कर दी है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी मंजू की इस उपलब्धि की सराहना की है और उन्हें भविष्य के लिए शुभकामनाएं दी हैं।

बेटियों के लिए प्रेरणा

मंजू चौधरी की यह उपलब्धि girls empowerment और rural sports talent का बेहतरीन उदाहरण है। उन्होंने यह साबित कर दिया कि यदि अवसर मिले तो गांवों की बेटियां भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर नाम रोशन कर सकती हैं। उनकी यह जीत आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मजबूत प्रेरणा है।

 सरकार और समाज से अपेक्षा

अब यह उम्मीद की जा रही है कि राज्य सरकार और खेल विभाग मंजू जैसे प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए जरूरी सहयोग प्रदान करेंगे—चाहे वो विशेष कोचिंग, प्रशिक्षण सुविधाएं हों या अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भागीदारी के अवसर।

“मंजू की यह स्वर्णिम सफलता सिर्फ एक पदक नहीं, बल्कि पूरे ग्रामीण राजस्थान के सपनों की जीत है।”
उनकी यह कहानी बताती है कि जब हौसले ऊँचे हों, तो साइकिल की गति भी इतिहास लिख सकती है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ