राजस्थान SI भर्ती 2021 पेपर लीक: हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, 18 अगस्त तक लिखित बहस के आदेश

राजस्थान SI भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, 18 अगस्त तक लिखित बहस पेश करने के आदेश। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने सुनवाई पूरी की।

Aug 14, 2025 - 17:24
राजस्थान SI भर्ती 2021 पेपर लीक: हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित, 18 अगस्त तक लिखित बहस के आदेश

राजस्थान पुलिस सब-इंस्पेक्टर (SI) भर्ती 2021 पेपर लीक मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने एक बार फिर बड़ा कदम उठाया है। गुरुवार को जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने सभी पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। कोर्ट ने सभी पक्षों को 18 अगस्त तक अपनी लिखित दलीलें पेश करने का आदेश दिया है। इस मामले में चल रही सुनवाई और कोर्ट का अंतिम फैसला न केवल भर्ती की दिशा तय करेगा, बल्कि लाखों अभ्यर्थियों के भविष्य को भी प्रभावित करेगा।

सभी पक्षों ने रखा अपना-अपना पक्ष

हाईकोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई में सभी पक्षों ने अपनी दलीलें पेश कीं। याचिकाकर्ता कैलाश चंद शर्मा और अन्य की ओर से सीनियर एडवोकेट मेजर आरपी सिंह, हरेंद्र नील, और ओमप्रकाश सोलंकी ने पैरवी की। उन्होंने भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताओं और पेपर लीक के पुख्ता सबूत होने का दावा करते हुए भर्ती रद्द करने की मांग दोहराई।

वहीं, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजेंद्र प्रसाद ने पक्ष रखा। सरकार ने भर्ती को रद्द करने का विरोध करते हुए तर्क दिया कि पूरी भर्ती को रद्द करना उन अभ्यर्थियों के साथ अन्याय होगा, जिन्होंने ईमानदारी से परीक्षा पास की। दूसरी ओर, चयनित अभ्यर्थियों की ओर से सीनियर एडवोकेट आरएन माथुर और तनवीर अहमद ने पैरवी करते हुए याचिका को खारिज करने की मांग की। उनका कहना था कि दोषी अभ्यर्थियों को अलग किया जा सकता है, लेकिन पूरी भर्ती रद्द करना उचित नहीं है।

पेपर लीक ने खड़ा किया था बड़ा विवाद

साल 2021 में आयोजित राजस्थान पुलिस की SI भर्ती परीक्षा 859 पदों के लिए थी। लेकिन परीक्षा के बाद पेपर लीक के आरोपों ने इसे विवादों के घेरे में ला दिया। जांच में सामने आया कि पेपर लीक का यह मामला संगठित अपराध से जुड़ा था, जिसमें राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) के कुछ सदस्यों की संलिप्तता भी पाई गई। विशेष कार्य बल (SOG) ने अब तक 50 से अधिक ट्रेनी SI और पेपर लीक गिरोह से जुड़े लोगों को गिरफ्तार किया है, जिसमें RPSC के पूर्व सदस्य रामू राम राईका और उनके परिवारजन भी शामिल हैं।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस भर्ती में बड़े पैमाने पर धांधली हुई है, और इसे रद्द करना ही एकमात्र न्यायपूर्ण समाधान है। दूसरी ओर, सरकार का तर्क है कि सभी अभ्यर्थियों को एक ही श्रेणी में रखना ठीक नहीं होगा, क्योंकि कई ने मेहनत और ईमानदारी से परीक्षा पास की है।

कोर्ट का फैसला तय करेगा भविष्य

हाईकोर्ट का यह मामला अब अपने अंतिम चरण में है। जस्टिस समीर जैन की एकलपीठ ने स्पष्ट किया है कि 18 अगस्त तक सभी पक्षों को अपनी लिखित दलीलें जमा करनी होंगी, जिसके बाद कोर्ट अपना अंतिम फैसला सुनाएगा। इस फैसले का इंतजार न केवल चयनित अभ्यर्थियों को है, बल्कि उन लाखों युवाओं को भी है, जो इस भर्ती प्रक्रिया से प्रभावित हुए हैं।

पिछले कुछ महीनों में इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर भी खूब सुर्खियां बटोरी हैं। विपक्षी दलों और कुछ संगठनों ने भर्ती रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन भी किए हैं। कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाते हुए भर्ती रद्द करने की वकालत की है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .