नन्हीं सी बच्ची का करंट ने छीना दम, चार्जर लगाते वक्त सॉकेट में फंसी उंगली, बाड़मेर में मासूम की दर्दनाक मौत.

बाड़मेर के मगरा गांव में 12 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12 बजे एक मासूम बच्ची की मोबाइल चार्जर लगाते समय करंट लगने से दुखद मौत हो गई। घर में अकेली बच्ची की उंगली सॉकेट में फंस गई, जिससे तेज झटका लगा और वह फर्श पर गिर पड़ी। परिजनों ने उसे बाड़मेर जिला अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तीन घंटे की जंग के बाद उसने दम तोड़ दिया। पुलिस ने मर्ग दर्ज कर जांच शुरू की और लोगों से बिजली उपकरणों के प्रति सावधानी बरतने की अपील की। यह हादसा बच्चों की सुरक्षा पर सवाल खड़ा करता है।

Oct 13, 2025 - 09:36
नन्हीं सी बच्ची का करंट ने छीना दम, चार्जर लगाते वक्त सॉकेट में फंसी उंगली, बाड़मेर में मासूम की दर्दनाक मौत.

बाड़मेर, 13 अक्टूबर 2025: एक ऐसी त्रासदी जिसने न सिर्फ एक परिवार, बल्कि पूरे बाड़मेर को झकझोर कर रख दिया। एक नन्हीं सी बच्ची, जो अपनी मासूम मुस्कान और चंचल हरकतों से घर की रौनक थी, आज दोपहर 12 बजे एक छोटी सी भूल की वजह से हमेशा के लिए खामोश हो गई। मोबाइल चार्जर लगाने की कोशिश में करंट का शिकार हुई इस मासूम ने बाड़मेर जिला अस्पताल में तीन घंटे तक जिंदगी की जंग लड़ी, लेकिन आखिरकार उसकी सांसें थम गईं। यह हादसा रीको थाना क्षेत्र के मगरा गांव में हुआ, जहां परिवार खेती-बाड़ी के लिए अपने पैतृक घर में मौजूद था।

क्या हुआ उस दुखद पल में? 

घटना उस वक्त हुई जब मासूम घर में अकेली थी। परिवार के लोग गायत्री नगर मंडी के सामने अपने स्थायी निवास से मगरा गांव आए हुए थे। बच्ची, जो शायद अपनी जिज्ञासा और खेल के मूड में थी, ने मोबाइल चार्जर को सॉकेट में लगाने की कोशिश की। लेकिन किसे पता था कि यह मासूमियत भारी पड़ जाएगी? सॉकेट का स्विच ऑन था, और जैसे ही बच्ची ने चार्जर लगाया, उसकी नन्हीं उंगली सॉकेट में फंस गई। तेज करंट का झटका लगा, और वह नाजुक सी जान फर्श पर गिर पड़ी। उसकी चीखें सुनकर आसपास का सन्नाटा टूटा, लेकिन तब तक नुकसान हो चुका था।

परिजनों का हाहाकार, अस्पताल की नाकाम कोशिशें 

आनन-फानन में परिजन मौके पर पहुंचे। बच्ची को गोद में उठाकर वे सीधे बाड़मेर जिला अस्पताल की ओर दौड़े। वहां डॉक्टरों ने तुरंत उसे भर्ती किया और इलाज शुरू किया। करीब तीन घंटे तक मासूम की नन्हीं धड़कनों को बचाने की हर संभव कोशिश की गई। लेकिन करंट का असर इतना गहरा था कि सारी कोशिशें बेकार साबित हुईं। दोपहर से शाम होते-होते बच्ची ने अस्पताल के बेड पर अपनी आखिरी सांस ली। यह खबर सुनते ही परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। मां की गोद सूनी हो गई, और पिता का दिल टूटकर बिखर गया। गांव और आसपास के इलाके में मातम का माहौल छा गया।

पुलिस की कार्रवाई और जांच 

घटना की सूचना मिलते ही रीको थाना पुलिस हरकत में आई। एएसपी जस्साराम बोस ने बताया कि परिजनों की शिकायत पर मर्ग दर्ज कर लिया गया है। प्रारंभिक जांच में यह एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा प्रतीत हो रहा है, जिसमें कोई संदिग्ध परिस्थिति नहीं मिली। पोस्टमॉर्टम के बाद बच्ची का शव परिजनों को सौंप दिया गया। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि घर में बिजली के उपकरणों, खासकर सॉकेट और चार्जर जैसे सामानों को बच्चों की पहुंच से दूर रखें। साथ ही, स्विच को हमेशा ऑफ रखने और सॉकेट कवर का इस्तेमाल करने की सलाह दी गई है।

एक सबक, जो आंसुओं से लिखा गया 

यह हादसा सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं, बल्कि हर उस घर के लिए चेतावनी है जहां बच्चे हैं। बच्चों की जिज्ञासा और मासूमियत को समझते हुए माता-पिता को अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। एक छोटा सा सॉकेट, एक पल की लापरवाही, और एक अनमोल जिंदगी – सब कुछ पलभर में खत्म हो गया। यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त सतर्क हैं? क्या हम ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए समय रहते कदम उठा सकते हैं?

परिजनों के प्रति संवेदना 

इस दुख की घड़ी में मासूम के परिवार के प्रति हमारी गहरी संवेदनाएं हैं। भगवान उनकी आत्मा को शांति दे और परिजनों को इस अपूरणीय क्षति को सहन करने की शक्ति प्रदान करे। यह हादसा हर किसी के लिए एक दर्दनाक सबक है – बच्चों की सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है। आइए, मिलकर ऐसी घटनाओं को रोकने का संकल्प लें।