चार साल की सबसे बड़ी उछाल के साथ सरसों ₹7875 पर, किसानों की बल्ले-बल्ले, देखें लेटेस्ट रेट लिस्ट
देशभर की मंडियों में सरसों के भाव चार साल के उच्चतम स्तर ₹7875 प्रति क्विंटल तक पहुंचे, जिसके पीछे त्योहारी मांग, कम आवक और निर्यात दबाव प्रमुख कारण हैं। इस तेजी से किसानों और सरसों तेल उद्योग को बड़ी राहत मिली है।

देशभर की प्रमुख मंडियों में सरसों के भाव में जोरदार तेजी देखने को मिल रही है। चार साल बाद पहली बार सरसों की कीमतें ₹7875 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई हैं, जो किसानों और सरसों तेल उद्योग से जुड़े व्यापारियों के लिए बड़ी राहत की खबर है। जयपुर, कोटा, मुरैना, आगरा, श्रीगंगानगर और भरतपुर जैसी प्रमुख मंडियों में सरसों के दामों में ₹50 से ₹150 तक की वृद्धि दर्ज की गई है। इस उछाल ने न केवल किसानों की उम्मीदों को नई उड़ान दी है, बल्कि तेल उद्योग से जुड़े व्यापारियों को भी नए अवसर प्रदान किए हैं।
तेजी के पीछे क्या हैं कारण?
सरसों के दामों में यह तेजी अचानक नहीं आई है। इसके पीछे कई आर्थिक और मौसमी कारक जिम्मेदार हैं, जिन्होंने बाजार में इस उछाल को हवा दी है। आइए, इन कारणों पर एक नजर डालें:
1. त्योहारी सीजन से पहले मांग में उछाल
त्योहारी सीजन नजदीक आने के साथ ही सरसों तेल की घरेलू मांग में तेजी देखी जा रही है। रक्षाबंधन, दीवाली और अन्य त्योहारों के चलते खाद्य तेलों की खपत बढ़ती है, जिसके कारण सरसों की मांग में इजाफा हुआ है। बाजार के जानकारों का कहना है कि इस मांग ने मंडियों में खरीदारी को और तेज कर दिया है।
2. मंडियों में आवक में कमी
प्रमुख मंडियों में सरसों की आवक में भारी कमी देखी जा रही है। जहां पहले मंडियों में हजारों बोरी सरसों की आपूर्ति होती थी, वहीं अब यह सीमित मात्रा तक सिमट गई है। इस कमी ने कीमतों को ऊपर की ओर धकेला है, क्योंकि उपलब्ध स्टॉक पर खरीदारों की होड़ बढ़ गई है।
3. तेल मिलों की सक्रिय खरीदारी
सरसों तेल उत्पादक कंपनियां इस समय भारी मात्रा में कच्चा माल जुटाने में लगी हुई हैं। तेल मिलों की बढ़ती मांग ने मंडियों में सरसों की खरीद को और तेज कर दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि तेल मिलों की यह सक्रियता अगले कुछ हफ्तों तक कीमतों को और ऊंचा ले जा सकती है।
4. वैश्विक बाजार में भारतीय सरसों तेल की मांग
वैश्विक बाजार में भी भारतीय सरसों तेल की मांग बढ़ रही है। निर्यातकों का कहना है कि कई देशों में भारतीय तेल की गुणवत्ता और कीमत को लेकर रुचि बढ़ी है। इस निर्यात दबाव ने भी घरेलू बाजार में सरसों की कीमतों को बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है।
किसानों और व्यापारियों में खुशी की लहर
इस तेजी ने उन किसानों के चेहरों पर मुस्कान ला दी है, जो लंबे समय से सरसों की कीमतों में स्थिरता की उम्मीद कर रहे थे। राजस्थान के जयपुर मंडी के एक किसान रामलाल ने कहा, "पिछले कुछ सालों में हमें सरसों के दाम कम मिल रहे थे। इस बार कीमतें बढ़ने से हमें अपनी मेहनत का अच्छा फल मिल रहा है।" वहीं, व्यापारियों का कहना है कि यह तेजी तेल उद्योग को भी नई गति देगी, क्योंकि ऊंची कीमतें बेहतर मुनाफे का संकेत हैं।
मंडी-दर-मंडी कीमतों का हाल
देशभर की प्रमुख मंडियों में सरसों की कीमतों में तेजी का रुख देखा जा रहा है। यहां कुछ प्रमुख मंडियों की स्थिति पर एक नजर:
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जयपुर: ₹7800-7875 प्रति क्विंटल, ₹100 की तेजी
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कोटा: ₹7750-7800 प्रति क्विंटल, ₹75 की वृद्धि
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मुरैना: ₹7700-7750 प्रति क्विंटल, ₹50 की बढ़ोतरी
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आगरा: ₹7725-7800 प्रति क्विंटल, ₹80 की तेजी
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श्रीगंगानगर: ₹7850 प्रति क्विंटल, ₹150 की उछाल
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भरतपुर: ₹7775 प्रति क्विंटल, ₹120 की वृद्धि
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि सरसों के दामों में यह तेजी अभी कुछ और समय तक बनी रह सकती है। त्योहारी सीजन और निर्यात मांग के कारण कीमतें स्थिर या और ऊपर जा सकती हैं। हालांकि, कुछ विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अगर मंडियों में सरसों की आवक बढ़ती है, तो कीमतों में हल्की गिरावट भी देखी जा सकती है।