मध्य प्रदेश सीहोर की दिल दहलाने वाली घटना:एक रुपये की जेली बनी मासूम की मौत का कारण

मध्य प्रदेश के सीहोर में डेढ़ साल के आयुष लोधी की एक रुपये की जेली खाने से दम घुटने के कारण मौत हो गई। जेली श्वास नली में फंस गई, जिससे बच्चे ने मात्र दो मिनट में दम तोड़ दिया। परिजनों ने जेली पर प्रतिबंध की मांग की है। विशेषज्ञों ने छोटे बच्चों को चिपचिपी या सख्त चीजें न देने की सलाह दी, क्योंकि ये जानलेवा हो सकती हैं। घटना ने परिवार और गांव में मातम का माहौल पैदा कर दिया।

May 26, 2025 - 19:29
मध्य प्रदेश सीहोर की दिल दहलाने वाली घटना:एक रुपये की जेली बनी मासूम की मौत का कारण

मध्य प्रदेश के सीहोर जिले के जहांगीरपुर गांव में एक हृदय विदारक घटना ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। डेढ़ साल के मासूम आयुष लोधी की एक रुपये की जेली खाने से दम घुटने के कारण मौत हो गई। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी बन गई, बल्कि हर माता-पिता के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। 

सीहोर के जहांगीरपुर गांव में रहने वाले करण सिंह लोधी और उनके परिवार ने अपने डेढ़ साल के बेटे आयुष को लाड़-प्यार में एक जेली (मीठी गोली) खाने के लिए दी। आयुष, जो पूरे परिवार का लाडला था, ने जैसे ही जेली खाई, वह अचानक रोने लगा और सांस लेने में तकलीफ होने लगी। परिजनों को शुरू में समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है, लेकिन जब आयुष की हालत तेजी से बिगड़ने लगी, तो वे उसे तुरंत जिला अस्पताल लेकर भागे।

अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने आयुष को मृत घोषित कर दिया। जांच में पता चला कि जेली बच्चे की श्वास नली (विंडपाइप) में फंस गई थी, जिसके कारण उसका दम घुट गया। परिजनों के अनुसार, यह सब कुछ मात्र दो मिनट में हुआ, और वे अपने लाडले को नहीं बचा सके। इस घटना ने पूरे गांव में मातम छा दिया, और मृतक की मां का रो-रोकर बुरा हाल है।

मौत का कारण

जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. प्रवीर गुप्ता ने बताया कि छोटे बच्चों में भोजन निगलने की क्षमता पूरी तरह विकसित नहीं होती। तीन साल से कम उम्र के बच्चों को गोल, चिपचिपी, सख्त, या फिसलन भरी चीजें, जैसे जेली, देना बेहद खतरनाक हो सकता है। इस मामले में, जेली आयुष की श्वास नली में फंस गई, जिससे सांस लेना असंभव हो गया और दम घुटने से उसकी मौत हो गई।

डॉ. गुप्ता ने यह भी चेतावनी दी कि बच्चों को ऐसी चीजें देने से पहले माता-पिता को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि बच्चे हर चीज को मुंह में डालने की कोशिश करते हैं, और ऐसी वस्तुएं गले में फंसकर जानलेवा साबित हो सकती हैं।

परिवार और गांव का माहौल

आयुष की मौत के बाद परिवार सदमे में है। परिजनों ने जेली को पूरी तरह प्रतिबंधित करने की मांग की है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। गांव में मातम का माहौल है, और लोग इस हादसे से स्तब्ध हैं। सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर लोग अपनी संवेदनाएं व्यक्त कर रहे हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए जागरूकता फैलाने की बात कह रहे हैं।

यह पहली बार नहीं है जब जेली या ऐसी चीजों के कारण बच्चों की जान गई हो। उदाहरण के लिए:

  • महाराष्ट्र, सतारा (2022): एक डेढ़ साल की बच्ची की जेली चॉकलेट गले में फंसने से मौत हो गई। इस घटना के बाद स्थानीय लोग जेली और चॉकलेट देने से डरने लगे।
  • महाराष्ट्र, रायगढ़ (2023): 9 महीने के बच्चे की जेली चॉकलेट गले में फंसने से मौत हुई। बच्चे को अस्पताल ले जाते समय रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
  • बेगूसराय, बिहार (2025): डेढ़ साल के मोहम्मद रियान की लीची का बीज गले में फंसने से मौत हो गई।

ये घटनाएं दर्शाती हैं कि छोटे बच्चों को ऐसी चीजें देना कितना जोखिम भरा हो सकता है।

विशेषज्ञों की सलाह

डॉ. प्रवीर गुप्ता और अन्य चिकित्सा विशेषज्ञों ने माता-पिता को निम्नलिखित सुझाव दिए हैं:

  1. 3 साल से कम उम्र के बच्चों को जेली, चॉकलेट, या छोटी वस्तुएं न दें: ये गले में फंस सकती हैं और दम घुटने का कारण बन सकती हैं।
  2. खिलौनों पर ध्यान दें: छोटे खिलौने या वस्तुएं जो बच्चे मुंह में डाल सकते हैं, उनसे बचें।
  3. जागरूकता और सावधानी: बच्चों को कुछ भी खिलाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि वह उनके लिए सुरक्षित है।
  4. आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई: यदि बच्चे का दम घुटने लगे, तो तुरंत नजदीकी अस्पताल जाएं या प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करें।

जेली के बारे में जानकारी

जेली एक मीठी, चिपचिपी खाद्य वस्तु है, जो फलों, चीनी, और पेक्टिन को मिलाकर बनाई जाती है। यह बच्चों के बीच लोकप्रिय है, लेकिन इसकी बनावट और आकार इसे छोटे बच्चों के लिए खतरनाक बनाते हैं। जेली को बनाने में पेक्टिन का उपयोग होता है, जो इसे गाढ़ा और चिपचिपा बनाता है, और यही गुण इसे गले में फंसने का कारण बन सकता है।

यह दुखद घटना हर माता-पिता के लिए एक सबक है कि बच्चों को लाड़-प्यार में कुछ भी देने से पहले उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। एक रुपये की जेली ने एक मासूम की जान ले ली और एक परिवार को जीवन भर के लिए दुख दे दिया। समाज और सरकार को भी इस तरह की खाद्य वस्तुओं पर उचित नियम और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ