स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार से होगा भगवान गणेश का श्रृंगार ,मोती डूंगरी गणेश मंदिर में भव्य तैयारियां शुरू
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी की भव्य तैयारियां शुरू, 27 अगस्त को जन्मोत्सव के साथ विशेष पूजा, श्रृंगार और शोभा यात्रा होगी। लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचेंगे।

राजस्थान की राजधानी जयपुर के प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। 27 अगस्त को मनाए जाने वाले इस पावन पर्व के लिए मंदिर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है। मंदिर के महंत कैलाश शर्मा के नेतृत्व में विशेष पूजा-अर्चना और श्रृंगार की तैयारियां की जा रही हैं, ताकि श्रद्धालुओं को भगवान गणेश के दर्शन का पुण्य लाभ प्राप्त हो सके।
स्वर्ण मुकुट और नौलखा हार से होगा भगवान गणेश का श्रृंगार
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश का विशेष श्रृंगार किया जाएगा। मंदिर के महंत कैलाश शर्मा ने बताया कि भगवान गणेश को दो रत्नजड़ित स्वर्ण मुकुट धारण करवाए जाएंगे, जो 40 साल पुराने हैं। उस समय इनकी कीमत 300-400 रुपये थी, लेकिन अब इनका मूल्यांकन असंभव है। ये मुकुट मंगलवार से भगवान को धारण करवाए जाएंगे। इसके साथ ही, भगवान को विशेष पोशाक और नौलखा हार पहनाया जाएगा, जिसमें मोती, सोना, पन्ना, और माणक जैसे रत्नों की भावनात्मक झलक दिखेगी। यह नौलखा हार महंत परिवार ने तीन महीने की मेहनत से तैयार किया है। भगवान गणेश चांदी के सिंहासन पर विराजमान होंगे, जिससे मंदिर का आध्यात्मिक सौंदर्य और भी निखर जाएगा।
26 अगस्त को सजेगा सिंजारा, 3100 किलो मेहंदी का होगा वितरण
गणेश चतुर्थी से एक दिन पहले, 26 अगस्त को मोती डूंगरी मंदिर में भगवान गणेश का सिंजारा मनाया जाएगा। इस दिन भगवान को 3100 किलो मेहंदी धारण कराई जाएगी, जो पाली के सोजत से विशेष रूप से मंगवाई गई है। मेहंदी धारण के बाद इसे श्रद्धालुओं में प्रसाद के रूप में वितरित किया जाएगा। मंदिर परिसर में पांच स्थानों पर मेहंदी वितरण की व्यवस्था होगी, जो रात 7:30 बजे से शुरू होगी। महिलाओं और कन्याओं के लिए अलग पंक्ति में डोरा और मेहंदी की व्यवस्था की गई है। इसके साथ ही, मोती सूत्र बांधने की व्यवस्था भी पुरुषों और महिलाओं के लिए उपलब्ध होगी।
इसी दिन मंदिर में भक्ति संध्या और रात्रि जागरण का आयोजन होगा, जिसमें भक्त भगवान गणेश की भक्ति में डूब जाएंगे। शयन आरती रात 10 बजे होगी, जिसके साथ दिन का समापन होगा।
गणेश जन्मोत्सव का मुख्य दिन: 27 अगस्त
27 अगस्त को गणेश जन्मोत्सव का मुख्य दिन होगा। इस दिन मंदिर में सुबह 4 बजे मंगला आरती के साथ दर्शन शुरू होंगे। विशेष पूजन सुबह 11:20 बजे, श्रृंगार आरती 11:30 बजे, भोग आरती दोपहर 2:15 बजे, संध्या आरती शाम 7 बजे और शयन आरती रात 11:30 बजे होगी। मंदिर प्रशासन ने लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद जताई है। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है, ताकि श्रद्धालु कतारबद्ध तरीके से दर्शन कर सकें।
28 अगस्त को निकलेगी भव्य शोभा यात्रा
गणेश चतुर्थी के अगले दिन, 28 अगस्त को भगवान श्री गणेश नगर भ्रमण के लिए निकलेंगे। इस दौरान मोती डूंगरी गणेश मंदिर से एक भव्य शोभा यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा शाम को मंदिर से शुरू होकर एमडी रोड, जौहरी बाजार, त्रिपोलिया बाजार, गणगौरी बाजार, और नाहरगढ़ रोड होते हुए गढ़ गणेश मंदिर तक पहुंचेगी। इस शोभा यात्रा में हजारों भक्त शामिल होंगे और भगवान गणेश की भक्ति में लीन होंगे।
मंदिर की परंपराएं: कोई बदलाव नहीं
महंत कैलाश शर्मा ने मंदिर की परंपराओं के बारे में स्पष्ट करते हुए कहा कि भगवान की सेवा, पूजा, और मंत्रोच्चारण की विधि में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा, "नई प्रथाएं शुरू करना धर्म के विरुद्ध है। भगवान की पूजा और सेवा की परंपराएं हमेशा एक समान रहती हैं।" यह बयान मंदिर की पवित्रता और परंपराओं के प्रति उनकी निष्ठा को दर्शाता है।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष दिशा-निर्देश
मंदिर प्रशासन ने श्रद्धालुओं के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए हैं। भक्तों को कैमरा, मोबाइल या अन्य सामान लाने की अनुमति नहीं होगी। जे.डी.ए. सर्किल से मंदिर तक और एम.डी. रोड पर भैरव पथ से बेरिकेडिंग की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, रिजर्व बैंक से मंदिर तक भी बेरिकेडिंग होगी, ताकि दर्शन प्रक्रिया सुचारू रूप से चल सके।
मोती डूंगरी गणेश मंदिर में गणेश चतुर्थी की तैयारियों ने भक्तों में उत्साह भर दिया है। मंदिर का भव्य श्रृंगार, विशेष पूजा-अर्चना, और शोभा यात्रा का आयोजन इस पर्व को और भी खास बना रहा है। भक्तों का कहना है कि भगवान गणेश के दर्शन और इस उत्सव में शामिल होने से उनके मन को शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा मिलती है।
जयपुर का यह ऐतिहासिक मंदिर न केवल धार्मिक, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गणेश चतुर्थी का यह उत्सव एक बार फिर भक्ति, परंपरा, और समर्पण का अनूठा संगम प्रस्तुत करेगा।