भीलवाड़ा में तेंदुए का आतंक: बच्चे सहित 8 पर हमला, बुजुर्ग की आंख नोची, महिला का सिर जख्मी

भीलवाड़ा, राजस्थान में एक तेंदुए ने आठ लोगों पर हमला किया, जिसमें एक बच्चा और एक बुजुर्ग शामिल हैं। तेंदुए ने एक बुजुर्ग की आंख नोच ली और एक महिला के घर में घुसकर उसके सिर को जख्मी कर दिया। घटना से क्षेत्र में दहशत फैल गई है। वन विभाग ने तेंदुए को पकड़ने के लिए अभियान शुरू किया है। यह मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीर समस्या को दर्शाता है।

Jun 2, 2025 - 16:48
भीलवाड़ा में तेंदुए का आतंक: बच्चे सहित 8 पर हमला, बुजुर्ग की आंख नोची, महिला का सिर जख्मी

हाल ही में राजस्थान के भीलवाड़ा जिले में एक भयावह घटना सामने आई है, जहां एक तेंदुए ने आठ लोगों पर हमला किया, जिसमें एक बच्चा और एक बुजुर्ग शामिल हैं। यह घटना स्थानीय समुदाय में दहशत का कारण बन गई है। हमले में एक बुजुर्ग व्यक्ति की आंख को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया गया, जबकि एक महिला पर तेंदुए ने घर में घुसकर हमला किया, जिससे उसका सिर बुरी तरह जख्मी हो गया। इस घटना ने वन्यजीव और मानव संघर्ष की गंभीर समस्या को फिर से उजागर किया है।

यह हमला भीलवाड़ा जिले के एक ग्रामीण क्षेत्र में हुआ, जहां तेंदुआ रिहायशी इलाकों में घुस आया। स्थानीय लोगों के अनुसार, तेंदुआ रात के समय घरों के आसपास मंडराता हुआ देखा गया था। हमले के शिकार लोगों में एक बच्चा, एक बुजुर्ग व्यक्ति, और कई अन्य स्थानीय निवासी शामिल हैं। तेंदुए ने एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमला कर उसकी आंख को नोच लिया, जिससे उनकी हालत गंभीर हो गई। इसके अलावा, एक महिला के घर में घुसकर तेंदुए ने उस पर हमला किया, जिससे उसके सिर पर गहरी चोटें आईं।

घटना के बाद घायलों को तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया। कुछ पीड़ितों की हालत नाजुक बताई जा रही है, और उन्हें उचित चिकित्सा के लिए शहर के बड़े अस्पतालों में रेफर किया गया है। स्थानीय लोगों में इस हमले के बाद भय और आक्रोश का माहौल है, क्योंकि तेंदुए की मौजूदगी ने पूरे क्षेत्र में दहशत फैला दी है।

वन विभाग की प्रतिक्रिया

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। अधिकारियों ने तेंदुए को पकड़ने के लिए जाल और पिंजरे लगाने शुरू कर दिए हैं। इसके साथ ही, क्षेत्र में निगरानी बढ़ा दी गई है, और ग्रामीणों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। वन विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि तेंदुआ संभवतः जंगल से भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में आया होगा। इसके लिए क्षेत्र में कैमरा ट्रैप और अतिरिक्त गश्ती दल तैनात किए गए हैं ताकि तेंदुए की गतिविधियों पर नजर रखी जा सके।

मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या

यह घटना राजस्थान में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या को दर्शाती है। भीलवाड़ा और आसपास के क्षेत्रों में तेंदुओं की मौजूदगी पहले भी देखी गई है। हाल के वर्षों में, जंगल क्षेत्रों के सिकुड़ने और मानव बस्तियों के विस्तार के कारण तेंदुए और अन्य वन्यजीव अक्सर गांवों और कस्बों में घुस आते हैं। इससे न केवल इंसानों बल्कि वन्यजीवों के लिए भी खतरा बढ़ गया है।

पिछले कुछ महीनों में, राजस्थान के विभिन्न हिस्सों, जैसे उदयपुर और पालघर, में भी तेंदुए के हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं। उदाहरण के लिए, उदयपुर के गोगुंदा क्षेत्र में एक तेंदुए ने 12 दिनों के भीतर आठ लोगों की जान ले ली थी, जिसके बाद वन विभाग को शूट-एट-साइट का आदेश देना पड़ा था।

स्थानीय समुदाय की चिंताएं

स्थानीय लोगों ने वन विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि तेंदुए की मौजूदगी की पहले से शिकायत की गई थी, लेकिन समय रहते कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। ग्रामीणों ने मांग की है कि तेंदुए को जल्द से जल्द पकड़ा जाए और क्षेत्र में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। कुछ लोगों ने यह भी सुझाव दिया है कि जंगल क्षेत्रों में भोजन और पानी की व्यवस्था की जाए ताकि वन्यजीव मानव बस्तियों की ओर न आएं।

वन्यजीव विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए दीर्घकालिक उपायों की जरूरत है। इनमें शामिल हैं:

  • जंगल क्षेत्रों का संरक्षण और विस्तार, ताकि वन्यजीवों को उनके प्राकृतिक आवास में पर्याप्त संसाधन मिलें।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता अभियान चलाकर लोगों को वन्यजीवों के साथ सह-अस्तित्व के बारे में शिक्षित करना।
  • मानव बस्तियों के पास सुरक्षा उपाय, जैसे कि बाड़ लगाना और रात में गश्त बढ़ाना।

भीलवाड़ा में तेंदुए के इस हमले ने एक बार फिर मानव-वन्यजीव संघर्ष की गंभीरता को सामने ला दिया है। यह घटना न केवल स्थानीय समुदाय के लिए दुखद है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि वन्यजीव संरक्षण और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन बनाना कितना चुनौतीपूर्ण है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को तत्काल कार्रवाई करने की जरूरत है ताकि ऐसी घटनाओं को भविष्य में रोका जा सके। साथ ही, लोगों को भी सतर्क रहने और वन्यजीवों के प्रति संवेदनशील दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ