बीकानेर में बारिश ने छीनी दो मासूम बहनों की जिंदगी, तीसरी बहन की आंखों के सामने बुझ गया परिवार
बीकानेर के कोलायत में एक दिल दहलाने वाला हादसा हुआ, जहां बारिश के पानी से भरे गहरे गड्ढे ने दो मासूम बहनों, 9 साल की सरला और 6 साल की अवनी, की जिंदगी छीन ली। दोनों नहाने गई थीं, लेकिन पानी की गहराई ने उन्हें लील लिया। तीसरी बहन वीणा अपनी छोटी सी उम्र में उन्हें बचाने की जद्दोजहद करती रही, पर उसकी आंखों के सामने उसका संसार उजड़ गया। गांव में मातम पसरा है, और लोग प्रशासन से ऐसी त्रासदियों को रोकने के लिए सुरक्षा की गुहार लगा रहे हैं।

बीकानेर जिले के कोलायत क्षेत्र के मंडाल चारणान गांव में गुरुवार शाम एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ, जिसने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया। बारिश के बाद भरे पानी में नहाने गईं तीन सगी बहनों में से दो मासूम बहनें, 9 वर्षीय सरला और 6 वर्षीय अवनी, गहरे गड्ढे में डूबकर अपनी जिंदगी हार गईं। तीसरी बहन, वीणा, ने उन्हें बचाने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन वह असफल रही और अपनी आंखों के सामने अपनी बहनों को खोने का दर्द सहन करती रही। यह हादसा न केवल एक परिवार के लिए, बल्कि पूरे गांव के लिए एक गहरी त्रासदी बन गया।
हादसे की दर्दनाक घटना
चक कन्या बंधा में उस समय हुई, जब भंवरदान चारण की तीन बेटियां बारिश के बाद गांव के पास जमा हुए पानी में नहाने गई थीं। बच्चियां मासूमियत में खेल रही थीं, लेकिन अचानक सरला और अवनी एक गहरे गड्ढे में फिसल गईं, जहां बारिश का पानी जमा हो गया था। गड्ढे की गहराई और पानी का तेज बहाव दोनों बहनों को अपने साथ बहा ले गया। तीसरी बहन, वीणा, ने अपनी छोटी सी उम्र में हिम्मत दिखाते हुए उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन वह अकेले इस त्रासदी को रोक न सकी। दौड़कर गांव पहुंची वीणा ने परिजनों और ग्रामीणों को सूचित किया, लेकिन जब तक लोग मौके पर पहुंचे, दोनों मासूमों की सांसें थम चुकी थीं।
गांव में मातम, प्रशासन का हस्तक्षेप
हादसे की खबर फैलते ही गांव में कोहराम मच गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था, और पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ गई। ग्रामीणों ने तुरंत दोनों बच्चियों को पानी से बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी जान जा चुकी थी। सूचना मिलते ही कोलायत थाना पुलिस मौके पर पहुंची और शवों को कब्जे में लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भिजवाया। शुक्रवार सुबह कोलायत अस्पताल में दोनों बच्चियों का पोस्टमॉर्टम किया गया। पुलिस ने मर्ग दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।घटनास्थल पर तहसीलदार पूनम कंवर, जिला परिषद सदस्य मोहनदान चारण, मंडल सरपंच प्रतिनिधि शिव मेघवाल, छैलूदान, जेठूदान, लखनदान समेत कई स्थानीय लोग पहुंचे और परिवार को सांत्वना दी। लेकिन इस दुख की घड़ी में कोई भी शब्द परिवार के दर्द को कम नहीं कर सका।
बारिश ने बनाया मौत का जालयह हादसा उस खतरे की ओर इशारा करता है, जो मानसून के दौरान बीकानेर जैसे इलाकों में गहरे गड्ढों में पानी भरने से उत्पन्न होता है। कोलायत क्षेत्र में हर साल बारिश के बाद ऐसी जगहें बच्चों और पशुओं के लिए जानलेवा साबित होती हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस तरह के गड्ढों की समय रहते पहचान और सुरक्षा इंतजाम न होने के कारण यह हादसा हुआ। ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसी खतरनाक जगहों को चिह्नित कर उनके आसपास बाड़बंदी या चेतावनी बोर्ड लगाए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों को रोका जा सके।
प्रशासन से सुरक्षा की गुहार
इस हादसे ने न केवल एक परिवार को तोड़ा, बल्कि पूरे क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को भी उजागर किया। ग्रामीणों का कहना है कि अगर प्रशासन पहले से सतर्क होता और गहरे गड्ढों को भरने या उनके आसपास सुरक्षा इंतजाम करने की व्यवस्था करता, तो शायद यह मासूम जिंदगियां बच सकती थीं। इस घटना ने प्रशासन की जवाबदेही पर सवाल खड़े किए हैं, और अब स्थानीय लोग सख्त कार्रवाई और ठोस कदमों की मांग कर रहे हैं।
एक अपील, एक सबक
यह दुखद घटना हमें याद दिलाती है कि प्रकृति के साथ खिलवाड़ और लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। बारिश के मौसम में बच्चों को अकेले पानी के पास जाने से रोकना और खतरनाक स्थानों की पहचान करना हर समुदाय की जिम्मेदारी है। प्रशासन को भी चाहिए कि वह ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल कदम उठाए। सरला और अवनी की मासूम हंसी अब कभी गांव में नहीं गूंजेगी, लेकिन उनकी यादें हमें हमेशा सतर्क रहने की सीख देती रहेंगी।