जोधपुर में धूमधाम से मनाया जाएगा मारवाड़ महोत्सव-2025, लोक संस्कृति और ऊंटों की भव्य प्रदर्शनी बनेगी आकर्षण का केंद्र!

जोधपुर में 6-7 अक्टूबर 2025 को आयोजित होने वाला मारवाड़ महोत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर का भव्य उत्सव होगा। पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से यह महोत्सव लोक नृत्य, लोक गीत, पारंपरिक प्रतियोगिताओं और बीएसएफ के ऊंट टैटू शो के साथ पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करेगा। मेहरानगढ़ किला, उम्मेद भवन और मंडोर गार्डन जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर आयोजित यह उत्सव मारवाड़ की वीरता और रंग-बिरंगी संस्कृति को प्रदर्शित करेगा। जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल और बीएसएफ अधिकारी धीरेंद्र सिंह की अगुवाई में तैयारियां जोरों पर हैं।

Oct 4, 2025 - 11:58
जोधपुर में धूमधाम से मनाया जाएगा मारवाड़ महोत्सव-2025, लोक संस्कृति और ऊंटों की भव्य प्रदर्शनी बनेगी आकर्षण का केंद्र!

जोधपुर, 4 अक्टूबर 2025: राजस्थान का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध शहर जोधपुर, जिसे 'नीला शहर' और 'सूर्य नगरी' के नाम से जाना जाता है, एक बार फिर अपने गौरवशाली अतीत और जीवंत परंपराओं को प्रदर्शित करने के लिए तैयार है। मारवाड़ महोत्सव-2025 का भव्य आयोजन 6 और 7 अक्टूबर को पर्यटन विभाग और जिला प्रशासन के सहयोग से होने जा रहा है। यह दो दिवसीय उत्सव मारवाड़ क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत, लोक कला, वीरता और रंग-बिरंगे जीवन को जीवंत करेगा। देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए यह महोत्सव एक अनूठा अनुभव लेकर आएगा, जिसमें लोक नृत्य, लोक गीत, पारंपरिक खेल और बीएसएफ के ऊंटों की विशेष प्रदर्शनी मुख्य आकर्षण होंगे।

मारवाड़ महोत्सव: एक सांस्कृतिक उत्सव का प्रतीक

मारवाड़ महोत्सव, जिसे पहले 'मांड महोत्सव' के नाम से जाना जाता था, हर साल आश्विन मास की पूर्णिमा के आसपास आयोजित होता है। यह उत्सव मारवाड़ के वीर राजपूत योद्धाओं और उनकी रोमांटिक गाथाओं को समर्पित है। जोधपुर के ऐतिहासिक मेहरानगढ़ किले, उम्मेद भवन पैलेस, मंडोर गार्डन और घंटाघर क्षेत्र जैसे स्थानों पर आयोजित होने वाला यह महोत्सव राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को विश्व पटल पर ले जाता है। पर्यटन विभाग के अनुसार, इस वर्ष महोत्सव का उद्देश्य न केवल पर्यटकों को आकर्षित करना है, बल्कि मारवाड़ की समृद्ध परंपराओं और जीवनशैली को संरक्षित और प्रचारित करना भी है। वर्तमान में जोधपुर में पर्यटन सीजन अपने चरम पर है, और यह महोत्सव इसे और भी खास बनाने का वादा करता है।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का अनूठा संगम

मारवाड़ महोत्सव का मुख्य आकर्षण इसकी सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी, जो राजस्थान की आत्मा को दर्शाती हैं। महोत्सव में निम्नलिखित कार्यक्रम विशेष रूप से शामिल होंगे:

लोक नृत्य: घूमर, कालबेलिया, गैर, चरी, रिम भवाई और 13 ताली जैसे पारंपरिक नृत्य दर्शकों को मंत्रमुग्ध करेंगे। ये नृत्य राजस्थान की जीवंत संस्कृति और रंग-बिरंगे परिधानों को प्रदर्शित करेंगे। 

लोक गीत: भपंग वादन, लंगा और मांगणियार गायन जैसे पारंपरिक गीत मारवाड़ की मरुभूमि की कहानियों को जीवंत करेंगे।

पारंपरिक प्रतियोगिताएं: मूंछ प्रतियोगिता, साफा बांधना, मटकी रेस, रस्साकशी और पारंपरिक वेशभूषा प्रतियोगिता जैसे आयोजन स्थानीय और पर्यटकों के लिए मनोरंजन का केंद्र होंगे।

पतंगबाजी और हस्तशिल्प मेला: उम्मेद स्टेडियम में पतंग प्रदर्शनी और फूड एंड क्राफ्ट फेयर का आयोजन होगा, जहां राजस्थानी व्यंजन जैसे दाल-बाती-चूरमा, मिर्ची बड़ा, मावा कचौरी और हस्तशिल्प जैसे बंधेज, जूतियां और मूर्तियां उपलब्ध होंगी।

सांस्कृतिक संध्या: शाम को आयोजित होने वाली सांस्कृतिक संध्या में स्थानीय और बॉलीवुड कलाकारों की संयुक्त प्रस्तुतियां होंगी, जो महोत्सव को एक भव्य समापन प्रदान करेंगी। 

बीएसएफ का ऊंट टैटू शो: साहस और परंपरा का संगम

इस वर्ष मारवाड़ महोत्सव का एक विशेष आकर्षण सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का कैमल कंटिंजेंट दल होगा। यह दल राजस्थान की रेगिस्तानी सीमाओं की रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले ऊंटों के साथ एक शानदार प्रदर्शनी प्रस्तुत करेगा। बीएसएफ के आईजी एमएल गर्ग के कुशल निर्देशन में यह दल पूरी तरह प्रशिक्षित और तैयार है। बीएसएफ के एसटीसी ग्राउंड पर लगातार प्रैक्टिस सत्र चल रहे हैं, जहां प्रभारी अधिकारी धीरेंद्र सिंह अपनी टीम के साथ प्रदर्शन की बारीकियों पर नजर रख रहे हैं। ऊंट प्रशिक्षक ऊंटों को विशेष प्रशिक्षण दे रहे हैं, ताकि वे ऊंट टैटू शो और सैन्य शस्त्र प्रदर्शनी में अपनी कुशलता का प्रदर्शन कर सकें। यह प्रदर्शनी न केवल बीएसएफ के साहस को दर्शाएगी, बल्कि रेगिस्तानी जीवन में ऊंटों की महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर करेगी।

तैयारियों का जायजा और प्रशासन की सक्रियता

मारवाड़ महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। जिला कलेक्टर गौरव अग्रवाल लगातार आयोजन की तैयारियों का जायजा ले रहे हैं, ताकि हर व्यवस्था पूर्ण और सुचारू हो। पर्यटन विभाग के उप निदेशक भानु प्रताप भी सुरक्षा, परिवहन, आवास और पर्यटक सुविधाओं की समीक्षा कर रहे हैं। ओसियां के रेगिस्तानी इलाकों में कैमल सफारी और ग्रामीण खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होगा, जो पर्यटकों को राजस्थान के ग्रामीण जीवन से रूबरू कराएगा। समापन समारोह में भव्य आतिशबाजी का आयोजन होगा, जो रात के आकाश को रंगों से सराबोर कर देगा।

पर्यटन विभाग की अपील: पधारो म्हारे देश !

पर्यटन विभाग की सहायक निदेशक डॉ. सरिता फिरोदा ने बताया कि इस वर्ष मारवाड़ महोत्सव में 35 से अधिक देशों से पर्यटक हिस्सा लेंगे। यह महोत्सव न केवल जोधपुर, बल्कि पूरे राजस्थान के पर्यटन को बढ़ावा देगा। जोधपुर पहुंचना बेहद सुगम है:

हवाई मार्ग: जोधपुर हवाई अड्डा दिल्ली, मुंबई, जयपुर और अन्य प्रमुख शहरों से अच्छी तरह जुड़ा है। 

रेल मार्ग: जोधपुर रेलवे स्टेशन देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।

सड़क मार्ग: दिल्ली से जोधपुर 600 किमी और जयपुर से 335 किमी की दूरी पर है। राष्ट्रीय राजमार्ग और बस सेवाएं उपलब्ध हैं।

पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे होटल बुकिंग और यात्रा की व्यवस्था पहले से कर लें, क्योंकि महोत्सव के दौरान भीड़ बढ़ने की संभावना है। 

मारवाड़ महोत्सव का महत्व

मारवाड़ महोत्सव केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि राजस्थान की आत्मा को छूने का एक अनूठा अवसर है। यह मारवाड़ के इतिहास, संस्कृति और परंपराओं को जीवंत करता है, जहां मेहरानगढ़ की दीवारें वीरता की कहानियां सुनाती हैं और लोक गीत मरुभूमि की सैर कराते हैं। यह महोत्सव स्थानीय समुदाय को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के साथ-साथ वैश्विक पर्यटकों को राजस्थान की सॉफ्ट पावर से परिचित कराता है।

आइए, जोधपुर के नीले आसमान तले मारवाड़ की रंगीन कहानियों का हिस्सा बनें। पधारो म्हारे देश!