जयपुर SMS की आग के बाद जोधपुर MDM में मॉक ड्रिल अलार्म बजते ही एक्टिव हुई फायर फाइटिंग टीम.
जोधपुर के MDM हॉस्पिटल में जयपुर SMS हादसे की दुखद स्मृति के बाद आग से निपटने की जबरदस्त मॉक ड्रिल! अलार्म बजते ही क्विक रिस्पॉन्स टीम ने फायर फाइटिंग सिस्टम चेक किया, मरीजों को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया। जयपुर में 8 मरीजों की मौत ने हिलाया, अब जोधपुर दिखा रहा है सतर्कता की मिसाल!

जोधपुर : राजस्थान में अस्पतालों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालों के बीच जोधपुर के मथुरादास माथुर (MDM) अस्पताल ने एक कदम आगे बढ़ते हुए एक यथार्थवादी मॉक ड्रिल का आयोजन किया। जयपुर के सवाई मानसिंह (SMS) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में रविवार रात लगी भयानक आग से 8 मरीजों की दर्दनाक मौत के महज 48 घंटे बाद यह ड्रिल की गई, जो राज्य के स्वास्थ्य विभाग की सतर्कता का प्रतीक बनी। अलार्म बजते ही क्विक रिस्पॉन्स टीम ने फायर फाइटिंग सिस्टम की बारीकी से जांच की, मरीजों और स्टाफ को सुरक्षित निकालने का अभ्यास किया। यह घटना न केवल सुरक्षा मानकों को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है, बल्कि भविष्य के संभावित खतरों से निपटने की तैयारियों को भी रेखांकित करती है।
जयपुर SMS हादसे का दर्दनाक चेहरा: 8 जिंदगियां, लापरवाही के साये में
जयपुर के SMS अस्पताल में रविवार रात करीब 11:20 बजे ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में शॉर्ट सर्किट से लगी आग ने पूरे राज्य को हिला दिया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि आग स्टोर रूम में भड़की, जहां पेपर, ब्लड सैंपल ट्यूब और अन्य मेडिकल सामग्री रखी थी। ताला लगा स्टोर होने के बावजूद स्टाफ को कई बार शिकायतें मिल चुकी थीं, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। आग तेजी से फैली, जहरीला धुआं भर गया, और वेंटिलेटर पर निर्भर 11 मरीजों में से 8 की दम घुटने से मौत हो गई। मृतकों में 3 महिलाएं और 5 पुरुष शामिल थे, जिनमें भरतपुर के श्रीनाथ जैसे मरीज भी थे, जो एक्सीडेंट के बाद इलाज के लिए आए थे।परिजनों की आपबीती सुनकर कलेजा मुंह को आता है। एक भाई ने बताया, "मैंने अपने हाथों से भाई की लाश बाहर निकाली। स्टाफ ने धुआं देखते ही भागना बेहतर समझा, मरीजों को छोड़ दिया।" प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, फायर एक्सटिंग्विशर काम नहीं कर रहे थे, अलार्म सिस्टम फेल हो गया, और छत से पानी टपकने व खराब वायरिंग की पुरानी शिकायतें अनसुनी रहीं। अस्पताल प्रशासन ने तुरंत अधीक्षक, ट्रॉमा इंचार्ज और XEN को हटा दिया, जबकि मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने जांच कमेटी गठित कर 10-10 लाख मुआवजे का ऐलान किया। ट्रॉमा सेंटर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है, और घायल 5 मरीजों का इलाज जारी है। यह हादसा अस्पतालों में फायर सेफ्टी के खोखले दावों को बेनकाब करता है – जहां कागजों पर सब कुछ सही, लेकिन जमीनी हकीकत में लापरवाही जानलेवा साबित हो रही है।
जोधपुर MDM में मॉक ड्रिल: सतर्कता की मिसाल, जयपुर हादसे से सबक
जयपुर की त्रासदी की खबर मिलते ही जोधपुर के MDM अस्पताल प्रशासन ने तुरंत एक्शन लिया। सोमवार सुबह 10 बजे शुरू हुई मॉक ड्रिल में एक काल्पनिक आग की स्थिति बनाई गई – मानो जनरल वार्ड में शॉर्ट सर्किट से स्पार्क उड़ गया हो। अलार्म बजते ही क्विक रिस्पॉन्स टीम (QRT) ने 2 मिनट के अंदर मौके पर पहुंचकर फायर अलार्म, स्प्रिंकलर सिस्टम, स्मोक डिटेक्टर और एक्सटिंग्विशर की जांच शुरू कर दी। डॉक्टर नवीन किशोरिया, अस्पताल अधीक्षक ने बताया, "हमने पूरे परिसर में 50 से अधिक स्टाफ और वॉलंटियर्स को शामिल किया। मरीजों को बेड सहित सुरक्षित निकालने का ड्रिल किया, इमरजेंसी एग्जिट चेक किए, और फायर फाइटिंग सिस्टम की कार्यक्षमता टेस्ट की। जयपुर हादसे ने हमें झकझोर दिया – अब हम हर हफ्ते ऐसी ड्रिल करेंगे।" ड्रिल के दौरान स्टाफ ने मरीजों को स्ट्रेचर पर शिफ्ट करने, ऑक्सीजन मास्क हटाने और सांस लेने की ट्रेनिंग भी ली।
फायर ब्रिगेड की टीम ने भी सहयोग किया, और कुल 30 मिनट में 'आपदा' को कंट्रोल करने का सिमुलेशन पूरा हुआ। यह ड्रिल न केवल तकनीकी जांच तक सीमित रही, बल्कि स्टाफ को मानसिक तैयारी भी दी गई। एक नर्स ने कहा, "पहले हम सोचते थे कि आग लगेगी तो क्या? लेकिन आज का अभ्यास ने आत्मविश्वास दिया।" MDM अस्पताल, जो जोधपुर का प्रमुख सरकारी स्वास्थ्य केंद्र है, यहां 500 बेड्स के साथ रोजाना हजारों मरीज इलाज कराते हैं। हाल ही में एक वास्तविक आग की घटना (नवंबर 2024) में एक महिला की मौत के बाद प्रशासन पहले से ही सतर्क था, लेकिन जयपुर हादसे ने गति दी।
सुरक्षा मानकों पर सवाल: क्या राजस्थान के अस्पताल तैयार हैं?
राजस्थान में पिछले साल दर्जनों अस्पतालों में आग की छोटी-मोटी घटनाएं हुईं, लेकिन SMS जैसा बड़ा हादसा चेतावनी है। विशेषज्ञों का कहना है कि 70% सरकारी अस्पतालों में फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लटका है, लेकिन रखरखाव शून्य। जोधपुर DM ने कहा, "हम सभी जिलों में अगले 48 घंटों में समान ड्रिल कराएंगे। स्वास्थ्य विभाग ने हेल्पलाइन भी शुरू की है।"