"20 साल पुराने पिस्तौल तानने के मामले में BJP विधायक कंवरलाल मीणा की जेल यात्रा: बालाजी दर्शन के बाद कोर्ट में सरेंडर"
राजस्थान के अंता से BJP विधायक कंवरलाल मीणा ने 20 साल पुराने एक मामले में आज, 21 मई 2025 को, अकलेरा की अदालत में सरेंडर कर दिया। 2005 में उन्होंने SDM रामनिवास मेहता पर पिस्तौल तानकर धमकी दी थी और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। इस मामले में उन्हें 3 साल की सजा सुनाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 7 मई को उनकी याचिका खारिज कर दी थी और सरेंडर का आदेश दिया था। सरेंडर से पहले मीणा ने बालाजी मंदिर में दर्शन किए। उनकी विधायकी पर अब खतरा मंडरा रहा है, क्योंकि 2 साल से ज्यादा की सजा के कारण उनकी सदस्यता रद्द हो सकती है।

राजस्थान के बारां जिले के अंता से भारतीय जनता पार्टी (BJP) के विधायक कंवरलाल मीणा आज सुर्खियों में हैं। 20 साल पुराने एक सनसनीखेज मामले में उन्हें 3 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। आज, 21 मई 2025 को, उन्होंने अकलेरा की अदालत में सरेंडर कर दिया। लेकिन जेल जाने से पहले उन्होंने अकलेरा के बालाजी मंदिर में दर्शन किए।
क्या हुआ था 20 साल पहले?
3 फरवरी 2005 से, जब झालावाड़ जिले के मनोहर थाना इलाके में खटाखेड़ी गांव में उप-सरपंच चुनाव को लेकर विवाद हो गया। गांववाले दोबारा मतदान की मांग कर रहे थे और उन्होंने सड़क जाम कर दी थी। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए तत्कालीन सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट (SDM) रामनिवास मेहता, IAS प्रशिक्षु प्रीतम बी. यशवंत और तहसीलदार रामकुमार वहां पहुंचे।
इसी बीच कंवरलाल मीणा अपने 6-7 साथियों के साथ वहां आए। आरोप है कि मीणा ने SDM मेहता के माथे पर पिस्तौल तान दी और धमकाते हुए कहा, "दो मिनट में दोबारा मतदान की घोषणा करो, वरना गोली मार दूंगा।" मेहता ने न डरते हुए जवाब दिया, "पिस्तौल से मेरी जान जा सकती है, लेकिन दोबारा मतदान नहीं होगा।" इसके बाद मीणा ने एक वीडियोग्राफर का कैसेट छीनकर तोड़ दिया और उसे आग में जला दिया। साथ ही, उन्होंने प्रीतम के डिजिटल कैमरे को भी कुछ देर के लिए छीन लिया, हालांकि बाद में उसे लौटा दिया गया। इस घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया।
कानूनी जंग का लंबा सफर
इस घटना के बाद मामला पुलिस तक पहुंचा और फिर कोर्ट में। कई साल तक यह केस अलग-अलग अदालतों में चला।
- 2005: घटना के बाद पुलिस ने कंवरलाल मीणा के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 353 (सार्वजनिक सेवक पर हमला), धारा 506 (आपराधिक धमकी), और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के कानून के तहत मामला दर्ज किया।
- 2018: मनोहर थाना की ACJM कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मीणा को बरी कर दिया। उनके समर्थकों ने इसे बड़ी जीत माना।
- 2020: अकलेरा की ADJ कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और मीणा को 3 साल की जेल की सजा सुनाई। कोर्ट ने कहा कि मीणा ने सरकारी अधिकारी पर हमला किया और कानून-व्यवस्था को चुनौती दी।
- 1 मई 2025: राजस्थान हाईकोर्ट ने ADJ कोर्ट के फैसले को सही ठहराया और मीणा को तुरंत सरेंडर करने का आदेश दिया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि एक राजनेता होने के नाते मीणा को कानून का पालन करना चाहिए था, न कि उसे तोड़ना।
- 7 मई 2025: मीणा ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। कोर्ट ने उन्हें दो हफ्ते के अंदर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया। मीणा के वकील नमित सक्सेना ने दलील दी कि कोई पिस्तौल या कैसेट बरामद नहीं हुआ, लेकिन कोर्ट ने उनकी बात नहीं मानी।
- 9 मई 2025: सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलने पर ट्रायल कोर्ट ने मीणा के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया।
- 21 मई 2025: आखिरकार, कंवरलाल मीणा ने आज अकलेरा के बालाजी मंदिर में दर्शन किए और फिर मनोहर थाना की ACJM कोर्ट में सरेंडर कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई के बाद उन्हें जेल भेज दिया।
कंवरलाल मीणा 50 साल के हैं और राजस्थान की सियासत में एक बड़ा नाम हैं। वे दो बार विधायक रह चुके हैं। 2013 में उन्होंने मनोहर थाना सीट जीती थी, और 2023 में अंता से BJP के टिकट पर जीत हासिल की। वे पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के करीबी माने जाते हैं और अपने इलाके में काफी प्रभावशाली हैं। लेकिन उनकी छवि हमेशा विवादों से घिरी रही है। उनके खिलाफ कुल 27 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें से 15 इस पिस्तौल कांड से पहले के हैं। 2016 में उन्होंने मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) के कार्यकर्ताओं पर हमला किया था, जिसके लिए भी उनकी खूब आलोचना हुई थी।
- पिस्तौल कांड का ड्रामा: SDM पर पिस्तौल तानने की घटना उस समय की सबसे सनसनीखेज खबरों में से एक थी। यह दिखाता है कि कैसे एक नेता ने सरकारी अधिकारी को खुलेआम धमकाया।
- 20 साल का कानूनी ड्रामा: यह मामला 20 साल तक कोर्ट में चला। बरी होने से लेकर सजा तक, इस केस ने कई उतार-चढ़ाव देखे।
- बालाजी दर्शन का भावनात्मक कोण: सरेंडर से पहले मीणा ने बालाजी मंदिर में दर्शन किए। यह उनके समर्थकों के लिए एक भावनात्मक पल था, और कई लोग इसे उनके विश्वास से जोड़कर देख रहे हैं।
- सियासी हंगामा: इस सजा के बाद कांग्रेस ने मीणा की विधायकी रद्द करने की मांग तेज कर दी है। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के तहत, 2 साल से ज्यादा की सजा पाने वाला विधायक अपनी सीट खो देता है। कांग्रेस नेता गोविंद सिंह डोटासरा और टीकाराम जूली ने विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी पर दबाव बनाया है कि वे तुरंत कार्रवाई करें। जूली ने इसे "लोकतंत्र की गरिमा" का सवाल बताया।
- स्पीकर की चुप्पी: विधानसभा अध्यक्ष ने अभी तक कोई फैसला नहीं लिया है। वे कह रहे हैं कि वे कानूनी सलाह ले रहे हैं। इससे सियासत में सस्पेंस बना हुआ है।
- सोशल मीडिया पर बहस: इस खबर ने सोशल मीडिया पर तूफान मचा दिया है। कुछ लोग इसे कानून की जीत बता रहे हैं, तो कुछ मीणा के समर्थक इसे सियासी साजिश कह रहे हैं।
कंवरलाल मीणा की विधानसभा सीट खतरे में है। अगर उनकी सदस्यता रद्द होती है, तो वे 6 साल तक कोई भी चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। यह उनके सियासी करियर के लिए बड़ा झटका होगा। मीणा का अंता और मनोहर थाना इलाके में अच्छा-खासा प्रभाव है। उनकी सदस्यता रद्द होने से BJP को इस क्षेत्र में नुकसान हो सकता है। कांग्रेस इस मौके को भुनाने की कोशिश कर रही है। वे इसे BJP के खिलाफ बड़ा मुद्दा बनाना चाहते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि मीणा सुप्रीम कोर्ट में फिर से अपील कर सकते हैं, लेकिन सजा पर रोक लगना मुश्किल है।
सोशल मीडिया पर इस खबर को लेकर जबरदस्त हलचल है। कुछ लोग कह रहे हैं कि कानून ने अपना काम किया और कोई भी नेता कानून से ऊपर नहीं है। वहीं, मीणा के समर्थक इसे सियासी बदला बता रहे हैं। कुछ ट्वीट्स में लोग उनके बालाजी दर्शन को उनके विश्वास और हिम्मत से जोड़ रहे हैं। दूसरी तरफ, कांग्रेस नेताओं के बयानों ने BJP को कटघरे में खड़ा कर दिया है। BJP की ओर से अभी कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के भीतर भी इस मामले को लेकर चर्चा तेज है।
कंवरलाल मीणा का सियासी भविष्य अब कोर्ट और विधानसभा अध्यक्ष के फैसले पर टिका है। अगर उनकी विधायकी गई, तो यह उनके लिए और BJP के लिए बड़ा झटका होगा। लेकिन मीणा का इतिहास बताता है कि वे आसानी से हार नहीं मानते।