भारत-पाक तनाव के बीच इटली का दोहरा खेल:जॉर्जिया मेलोनी की दोस्ती का असली चेहरा उजागर
भारत-पाकिस्तान तनाव के बीच इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की भारत के प्रति दोस्ती और पाकिस्तान के साथ बढ़ती नजदीकियों ने सवाल खड़े किए हैं। 20 मई 2025 को पाकिस्तान के सीनेट चेयरमैन सैयद यूसुफ रजा गिलानी और इटली की संसद के अध्यक्ष लोरेंजो फोंटाना की मुलाकात में दोनों देशों ने संसदीय सहयोग और लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने का फैसला किया। सोशल मीडिया पर इसे भारत के साथ धोखा बताया जा रहा है, और लोग इटली की दोहरी कूटनीति पर सवाल उठा रहे हैं। यह स्थिति भारत को अपनी विदेश नीति और सहयोगियों की समीक्षा करने के लिए प्रेरित कर रही है, क्योंकि हर मुस्कुराता चेहरा दोस्त नहीं होता।

भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे तनाव के बीच इटली की हालिया कूटनीतिक गतिविधियों ने उसके असली इरादों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी ने कई बार भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपना दोस्त बताया है और भारत-इटली के बीच मजबूत रणनीतिक साझेदारी पर जोर दिया है। लेकिन हाल ही में इटली और पाकिस्तान के बीच बढ़ती नजदीकियों, खासकर पाकिस्तान के सीनेट चेयरमैन सैयद यूसुफ रजा गिलानी और इटली की संसद के अध्यक्ष लोरेंजो फोंटाना की मुलाकात ने कई सवाल खड़े किए हैं। 20 मई 2025 को हुई इस बैठक में दोनों देशों ने संसदीय सहयोग बढ़ाने और लोगों के बीच संपर्क मजबूत करने का फैसला किया। सोशल मीडिया पर लोग इसे भारत के साथ धोखा बता रहे हैं और सवाल उठा रहे हैं कि क्या मेलोनी की दोस्ती सिर्फ दिखावा है। आइए इस खबर को विस्तार से समझते हैं कि इटली का यह कदम भारत के लिए क्या मायने रखता है और क्या यह दोस्ती का असली चेहरा है या कूटनीतिक चाल।
इटली-पाकिस्तान मुलाकात: संसदीय सहयोग की नई शुरुआत
20 मई 2025 को रोम में नये पोप के उद्घाटन समारोह में शामिल होने गए पाकिस्तान के सीनेट चेयरमैन सैयद यूसुफ रजा गिलानी ने इटली की संसद के निचले सदन के अध्यक्ष लोरेंजो फोंटाना से मुलाकात की। इस बैठक में दोनों देशों ने संसदीय सहयोग को बढ़ाने पर सहमति जताई। गिलानी ने इटली के साथ पाकिस्तान के मैत्रीपूर्ण संबंधों को रेखांकित किया, जो आपसी विश्वास और बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग पर आधारित हैं। उन्होंने यूरोपीय संसद में इटली के सैद्धांतिक समर्थन के लिए आभार जताया और हाल ही में इटली के सांसदों के एक प्रतिनिधिमंडल के पाकिस्तान दौरे का स्वागत किया। इस मुलाकात में दोनों देशों ने संसदों के बीच नियमित दौरों, विचार-विमर्श और अनुभवों के आदान-प्रदान को बढ़ाने का फैसला किया। इसके अलावा, व्यापार, निवेश, संस्कृति और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को और गहरा करने पर भी जोर दिया गया।
भारत-पाक तनाव और इटली की दोहरी कूटनीति
भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव कोई नई बात नहीं है। कश्मीर, आतंकवाद और सीमा विवाद जैसे मुद्दों ने दोनों देशों के रिश्तों को हमेशा तनावपूर्ण रखा है। ऐसे में इटली का पाकिस्तान के साथ नजदीकी बढ़ाना भारत के लिए चिंता का विषय बन गया है। मेलोनी ने हाल के वर्षों में भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की बात कही है। 2023 में उनके भारत दौरे और जी7 शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के साथ उनकी मुलाकातों ने दोनों देशों के बीच गर्मजोशी को दर्शाया था। लेकिन अब इटली का पाकिस्तान के साथ संसदीय और कूटनीतिक सहयोग बढ़ाने का कदम भारत में संदेह पैदा कर रहा है।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा साफ दिख रहा है। कई यूजर्स ने लिखा, “हर मुस्कुराता चेहरा दोस्त नहीं होता। इस गद्दी में अब साफ हो गया है कि भारत का असली दोस्त कौन है और दुश्मन कौन।” कुछ ने तो इटली को “दोमुंहा” तक कह डाला, जो भारत को दोस्त कहकर पाकिस्तान से गुप्त रूप से हाथ मिला रहा है। ट्विटर पर एक यूजर ने लिखा, “भारत को अब अपने रिश्तों पर फिर से विचार करना चाहिए। मेलोनी की दोस्ती सिर्फ दिखावा है।”
क्या यह भारत के साथ धोखा है?
इटली की इस हरकत को धोखा कहना जल्दबाजी हो सकती है। कूटनीति में देश अपने हितों को प्राथमिकता देते हैं और कई बार विरोधी पक्षों के साथ संतुलन बनाकर चलते हैं। इटली का पाकिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाना उसके आर्थिक और भू-राजनीतिक हितों से जुड़ा हो सकता है। यूरोप में पाकिस्तान के साथ व्यापार और निवेश के अवसर, खासकर ऊर्जा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में, इटली के लिए आकर्षक हो सकते हैं। इसके अलावा, इटली यूरोपीय संघ के एक प्रमुख सदस्य के रूप में क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान देना चाहता है, जिसमें दक्षिण एशिया में शांति और सहयोग भी शामिल है।
हालांकि, भारत के दृष्टिकोण से यह कदम संवेदनशील है। भारत हमेशा से अपने सहयोगियों से यह अपेक्षा रखता है कि वे पाकिस्तान के साथ किसी भी ऐसे सहयोग से बचें, जो भारत की सुरक्षा और हितों को प्रभावित कर सके। खासकर जब बात आतंकवाद और कश्मीर जैसे मुद्दों की हो, तो भारत अपने दोस्तों से स्पष्ट रुख की उम्मीद करता है। इटली का यह कदम भारत को यह सोचने पर मजबूर कर सकता है कि क्या मेलोनी की दोस्ती सिर्फ कूटनीतिक औपचारिकता है।
भारत के दोस्त और दुश्मन की पहचान
सोशल मीडिया पर चल रही बहस ने एक बात साफ कर दी है कि भारत को अपने अंतरराष्ट्रीय रिश्तों की समीक्षा करने की जरूरत है। जैसा कि एक यूजर ने लिखा, “हर संकट सच्चे और झूठे साथियों की पहचान कराता है।” भारत को अब उन देशों पर ध्यान देना होगा जो उसके हितों के साथ खड़े हैं। तुर्की और अजरबैजान जैसे देश पहले ही पाकिस्तान के साथ अपनी नजदीकी दिखा चुके हैं, और अब इटली का यह कदम भारत को सतर्क कर रहा है।
भारत के लिए यह समय है कि वह अपनी विदेश नीति को और मजबूत करे। रूस, फ्रांस और अमेरिका जैसे देशों के साथ भारत के रिश्ते पहले से ही मजबूत हैं, लेकिन इटली जैसे सहयोगियों के साथ स्पष्ट संवाद की जरूरत है। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसके दोस्त उसके हितों को समझें और पाकिस्तान के साथ किसी भी सहयोग से पहले भारत की चिंताओं को प्राथमिकता दें।
दोस्ती की आड़ में कूटनीतिक चाल
इटली का पाकिस्तान के साथ बढ़ता सहयोग भारत के लिए एक चेतावनी है। मेलोनी की दोस्ती के बयान और इटली-पाकिस्तान संसदीय सहयोग के बीच का विरोधाभास भारत को सतर्क रहने की सलाह देता है। यह जरूरी नहीं कि इटली भारत का दुश्मन बन गया हो, लेकिन उसकी कूटनीतिक चालें भारत के लिए एक सबक हैं। भारत को अब अपनी विदेश नीति में और सावधानी बरतनी होगी, ताकि वह सच्चे दोस्तों और संभावित “दोमुंहे” सहयोगियों की पहचान कर सके। जैसा कि सोशल मीडिया पर कहा जा रहा है, “हर मुस्कुराता चेहरा दोस्त नहीं होता।”
यह खबर न केवल भारत-पाक तनाव के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भी दिखाती है कि वैश्विक कूटनीति में कोई भी देश पूरी तरह निष्पक्ष नहीं होता। भारत को अब अपने हितों को प्राथमिकता देते हुए सतर्कता और साहस के साथ आगे बढ़ना होगा।