शुभांशु शुक्ला : "यह मिशन पूरे भारत का सपना, अब अपनी धरती से उड़ान भरेगा देश"

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने एक्सिओम-4 मिशन के तहत अंतरिक्ष में 18 दिन बिताकर इतिहास रचा! ISS पर भारत का झंडा बुलंद करते हुए, उन्होंने वैज्ञानिक प्रयोग किए, भारतीय खाना खिलाया, और योग का जादू दिखाया। अब गगनयान मिशन के लिए तैयार, शुभांशु ने कहा, "यह 140 करोड़ भारतीयों का सपना है, अब हम अपनी धरती से अंतरिक्ष की सैर करेंगे!" उनकी यह यात्रा भारत के आत्मनिर्भर अंतरिक्ष सपनों का शानदार आगाज है।

Aug 21, 2025 - 14:34
शुभांशु शुक्ला : "यह मिशन पूरे भारत का सपना, अब अपनी धरती से उड़ान भरेगा देश"

नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025: भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने गुरुवार को नई दिल्ली के मीडिया सेंटर में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अपनी ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए। उन्होंने कहा कि एक्सिओम-4 मिशन के तहत इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर बिताए गए 18 दिन न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे भारत के लिए गर्व का क्षण थे। इस मिशन ने भारत को वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में एक नई ऊंचाई दी है।

ऐतिहासिक मिशन और शुभांशु की भूमिका 

शुभांशु शुक्ला, जो इस मिशन के पायलट थे, ने बताया कि एक्सिओम-4 मिशन में उनकी जिम्मेदारी अंतरिक्ष यान के सिस्टम को संचालित करने की थी। यह मिशन NASA, ISRO, और स्पेसएक्स के सहयोग से 25 जून 2025 को फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च हुआ था। चार अंतरिक्ष यात्रियों, जिसमें शुभांशु के साथ अमेरिका की पेगी व्हिटसन (कमांडर), पोलैंड के स्लावोश उजनांस्की-विस्निएव्स्की, और हंगरी के टिबोर कपु शामिल थे, ने 26 जून को ISS पर डॉकिंग की थी। शुभांशु ने कहा, "मैंने सिस्टम को कमांड किया, लेकिन यह मिशन 140 करोड़ भारतीयों की आकांक्षाओं का प्रतीक था।

"अंतरिक्ष में अनुभव: ट्रेनिंग से परे एक नई दुनिया 

शुभांशु ने बताया कि चाहे कितनी भी ट्रेनिंग कर ली जाए, अंतरिक्ष का असली अनुभव बिल्कुल अलग होता है। माइक्रोग्रैविटी में तैरना, धरती को अंतरिक्ष से देखना, और वैज्ञानिक प्रयोग करना उनके लिए अविस्मरणीय रहा। उन्होंने कहा, "जब आप अंतरिक्ष में पहुंचते हैं, तो सीट खोलकर यान में तैर सकते हैं। धरती का नजारा, सूर्योदय, और समुद्र की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना मुश्किल है।" उन्होंने ISS पर भारत के लिए सात महत्वपूर्ण प्रयोग किए, जिनमें माइक्रोएल्गी पर शोध और कृषि से जुड़े प्रयोग शामिल थे। ये प्रयोग भविष्य के लंबे अंतरिक्ष मिशनों और गगनयान मिशन के लिए महत्वपूर्ण हैं।

 भारतीय संस्कृति का प्रदर्शन

शुभांशु ने अंतरिक्ष में भारतीय संस्कृति को भी बढ़ावा दिया। उन्होंने अपने साथ मूंग दाल का हलवा, गाजर का हलवा, और आम का रस ले जाकर ISS पर अपने सहयोगियों के साथ साझा किया। इसके अलावा, उन्होंने योग की कुछ मुद्राएं भी कीं, जो माइक्रोग्रैविटी में एक अनोखा अनुभव था। शुभांशु ने कहा, "मैंने अपने साथियों को भारतीय खाने और संस्कृति से परिचित कराया, जिसे उन्होंने बहुत पसंद किया।

"गगनयान मिशन और भविष्य की उड़ान 

प्रेस कॉन्फ्रेंस में शुभांशु ने भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि एक्सिओम-4 मिशन का अनुभव गगनयान की तैयारियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। गगनयान, ISRO का पहला मानव अंतरिक्ष मिशन, 2027 में लॉन्च होने की संभावना है। शुभांशु, जो गगनयान के लिए चुने गए चार पायलटों में से एक हैं, ने कहा, "अब हम अपनी धरती से, अपने रॉकेट से अंतरिक्ष में जाएंगे। यह भारत के आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम होगा।

"प्रधानमंत्री और देशवासियों का समर्थन 

शुभांशु ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम ने उनकी उपलब्धि की सराहना की और अंतरिक्ष में उनके अनुभवों के बारे में विस्तार से जाना। उन्होंने कहा, "प्रधानमंत्री का उत्साह और देशवासियों का प्यार मुझे और मेहनत करने की प्रेरणा देता है।" शुभांशु की वापसी पर पीएम मोदी ने कहा था कि यह मिशन गगनयान की दिशा में एक मील का पत्थर है।

मिशन की चुनौतियां और सफलता

एक्सिओम-4 मिशन को कई बार तकनीकी खामियों और मौसम की वजह से टाला गया था। फिर भी, 25 जून को यह मिशन सफलतापूर्वक लॉन्च हुआ और 15 जुलाई को शुभांशु सहित चारों अंतरिक्ष यात्री कैलिफोर्निया के तट पर प्रशांत महासागर में सुरक्षित उतरे। शुभांशु ने कहा, "हर चुनौती ने हमें और मजबूत किया। यह मिशन भारत के लिए एक नया अध्याय है।"

भारत के लिए गर्व का क्षण 

शुभांशु शुक्ला राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय और ISS पर पहुंचने वाले पहले भारतीय बने। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल वैज्ञानिक समुदाय को प्रेरित किया, बल्कि लाखों युवाओं को अंतरिक्ष अनुसंधान में करियर बनाने का सपना दिया। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, "अगर मेरी कहानी एक भी व्यक्ति को प्रेरित करती है, तो मैं समझूंगा कि मेरा मिशन वास्तव में सफल हुआ।"

आगे की राह

शुभांशु ने भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की भविष्य की योजनाओं पर भी प्रकाश डाला। ISRO का लक्ष्य 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करना और 2040 तक चंद्रमा पर भारतीय अंतरिक्ष यात्री भेजना है। शुभांशु ने कहा, "हमारा अगला कदम अपनी तकनीक, अपने रॉकेट, और अपने सपनों के साथ अंतरिक्ष की नई ऊंचाइयों को छूना है।"