चुनाव आयोग ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ के आरोपों का दिया करारा जवाब: ‘हम निष्पक्ष, निडर और पारदर्शी’
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष के ‘वोट चोरी’ आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि चुनाव आयोग निष्पक्ष, निडर और पारदर्शी है, तथा सभी राजनीतिक दलों को समान मानता है। उन्होंने जनता से मतदाता सूची की त्रुटियों को ठीक करने और लोकतंत्र को मजबूत करने में सहयोग करने की अपील की।

भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने नई दिल्ली के नेशनल मीडिया सेंटर में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विपक्ष के ‘वोट चोरी’ और चुनाव आयोग पर पक्षपात के आरोपों का कड़ा जवाब दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव आयोग निष्पक्ष और निडर होकर काम करता है और इसके लिए न तो कोई पक्ष है और न ही विपक्ष। सभी राजनीतिक दलों को समान रूप से महत्व दिया जाता है।
‘वोट चोरी जैसे शब्द लोकतंत्र का अपमान’
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ‘वोट चोरी’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल कर जनता को गुमराह करना लोकतंत्र का अपमान है। उन्होंने कहा, “अगर सही समय पर त्रुटि हटाने का आवेदन नहीं किया जाता और फिर वोट चोरी जैसे गलत शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है, तो यह लोकतंत्र के प्रति गैर-जिम्मेदाराना रवैया है। कुछ लोगों ने वोट चोरी के आरोप लगाए, लेकिन जब सबूत मांगे गए, तो कोई जवाब नहीं मिला।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि चुनाव आयोग ऐसे आरोपों से डरता नहीं है। “जब हमारे कंधों पर बंदूक रखकर मतदाताओं को निशाना बनाया जाता है, तब हम स्पष्ट करते हैं कि चुनाव आयोग निडरता के साथ गरीब, अमीर, बुजुर्ग, महिला, युवा और सभी धर्मों-वर्गों के लोगों के साथ चट्टान की तरह खड़ा है, खड़ा था और खड़ा रहेगा।”
राहुल गांधी के आरोपों पर पलटवार
विपक्षी नेता राहुल गांधी ने 7 अगस्त को चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने दावा किया था कि चुनाव आयोग ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ मिलकर महाराष्ट्र और अन्य राज्यों में ‘वोट चोरी’ की है। राहुल ने एक घंटे 11 मिनट के प्रेजेंटेशन में कर्नाटक की वोटर लिस्ट में संदिग्ध मतदाताओं की मौजूदगी का दावा किया और कहा कि मशीन-रीडेबल वोटर लिस्ट न देने से उनका शक पुख्ता हुआ कि चुनाव आयोग ने भाजपा के साथ मिलकर चुनाव चुराया।
राहुल ने कहा था, “हमारे पास सबूत हैं कि वोट चोरी हो रहे हैं। महाराष्ट्र के नतीजों ने हमारे शक को और मजबूत किया। हमने वोट चोरी का एक मॉडल पेश किया है, जो देश की कई लोकसभा और विधानसभा सीटों पर लागू हुआ।”
CEC का जवाब: कानूनी प्रक्रिया का पालन जरूरी
सीईसी ने राहुल के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि अगर कोई शिकायतकर्ता उस निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता नहीं है, तो उनके पास कानूनी रूप से केवल एक विकल्प है। “निर्वाचक पंजीकरण नियम, नियम संख्या 20, उप-खंड (3), उप-खंड (B) के तहत, गवाह के रूप में शिकायत दर्ज की जा सकती है। इसके लिए शिकायतकर्ता को निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी के सामने शपथ लेनी होगी।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत के संविधान के अनुसार, केवल भारतीय नागरिक ही संसदीय और विधानसभा चुनावों में वोट डाल सकते हैं। “अगर कोई गैर-भारतीय नागरिक गलती से मतदाता सूची में शामिल हो गया है, तो SIR (स्पेशल इंटरनल रिवीजन) प्रक्रिया के दौरान उनकी राष्ट्रीयता की जांच होगी और आवश्यक दस्तावेज न देने पर उनका नाम हटा दिया जाएगा।”
SIR प्रक्रिया और पारदर्शिता पर जोर
सीईसी ने बताया कि मतदाता सूची में सुधार के लिए बिहार में SIR प्रक्रिया शुरू की गई है, जिसमें अभी 15 दिन का समय बाकी है। “हम सभी राजनीतिक दलों और बूथ लेवल एजेंट्स (बीएलए) से आह्वान करते हैं कि वे इस अवधि में त्रुटियों को ठीक करने के लिए फॉर्म भरकर सूचित करें। चुनाव आयोग के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं।”
उन्होंने कहा कि मतदाता सूची को तैयार करने में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) और राजनीतिक दलों द्वारा नामित बीएलए मिलकर काम करते हैं। “यह सूची सभी दलों के बीएलए द्वारा सत्यापित की जाती है। अगर इसके बाद भी त्रुटि के दावे किए जाते हैं, तो यह गंभीर चिंता का विषय है। या तो दलों के हाईकमान तक यह जानकारी नहीं पहुंच रही, या फिर जानबूझकर भ्रम फैलाने की कोशिश हो रही है।”
पारदर्शी और डिसेंट्रलाइज्ड प्रक्रिया
सीईसी ने चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में एक करोड़ से ज्यादा कर्मचारी, 10 लाख से ज्यादा बूथ लेवल एजेंट और 20 लाख से ज्यादा पोलिंग एजेंट शामिल होते हैं। “इतनी पारदर्शी और डिसेंट्रलाइज्ड प्रक्रिया में क्या कोई वोट चुरा सकता है? मतदाता सूची ड्राफ्ट और फाइनल रूप में सभी दलों के साथ साझा की जाती है। पोलिंग एजेंट मतदान केंद्र पर हर मतदाता की जांच करते हैं। इसके बाद भी 45 दिनों तक कोर्ट में आपत्ति दर्ज की जा सकती है।”
मतदाताओं की निजता का सम्मान
सीईसी ने यह भी कहा कि कुछ समय पहले कुछ मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया में दिखाई गईं और उन पर गलत आरोप लगाए गए। “क्या हमें किसी मतदाता की मां, बहू या बेटी का सीसीटीवी फुटेज सार्वजनिक करना चाहिए? मतदाता सूची में शामिल लोग ही अपने उम्मीदवार को चुनने के लिए वोट डालते हैं। उनकी निजता का सम्मान किया जाना चाहिए।”
सभी के लिए खुला है चुनाव आयोग
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा, 'पिछले 20 सालों में SIR नहीं किया गया। अब तक देश में 10 से ज्यादा बार SIR किया जा चुका है। SIR का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को शुद्ध करना है। राजनीतिक दलों से कई शिकायतें मिलने के बाद SIR किया जा रहा है।'
मुख्य चुनाव आयुक्त ने अंत में सभी मतदाताओं से अपील की कि 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक भारतीय नागरिक को मतदाता के रूप में पंजीकरण कराना चाहिए। “चुनाव आयोग सभी के लिए समान रूप से खुला है। जमीनी स्तर पर बीएलओ, बीएलए और मतदाता मिलकर पारदर्शी तरीके से काम कर रहे हैं। हमारी प्रक्रिया में वीडियो प्रशंसापत्र और सत्यापन शामिल हैं।”
सीईसी ने बताया कि पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में SIR प्रक्रिया शुरू करने का निर्णय तीनों चुनाव आयुक्त मिलकर लेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो दशकों से मतदाता सूची में सुधार की मांग हो रही थी, जिसके बाद बिहार में यह प्रक्रिया शुरू की गई। “1 जुलाई और 1 अक्टूबर को 18 वर्ष पूर्ण करने वाले एक लाख से अधिक युवा मतदाताओं ने भी पंजीकरण के लिए आवेदन किया है।”
जनता से अपील
सीईसी ज्ञानेश कुमार ने कहा, “चुनाव आयोग भारत के संविधान के प्रति अपनी जिम्मेदारी को गंभीरता से निभा रहा है। हमारी प्रक्रिया में सभी हितधारक शामिल हैं। अगर सभी प्रक्रियाओं के बाद भी कोई दल गलत आरोप लगाता है, तो जनता इसका मकसद समझती है।”
उन्होंने मतदाताओं से अपील की कि वे मतदाता सूची में अपने नाम की जांच करें और किसी भी त्रुटि को ठीक करने के लिए समय रहते आवेदन करें। “चुनाव आयोग का दरवाजा सभी के लिए खुला है, और हम निष्पक्ष, निडर और पारदर्शी तरीके से लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”