अग्नि-5 मिसाइल: भारत की सामरिक छलांग
भारत की अग्नि-5 मिसाइल, जो उसकी परमाणु निवारण रणनीति का आधार है, हाल के सफल परीक्षणों और तकनीकी प्रगति के साथ सुर्खियों में रही है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित यह अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) भारत की रक्षा क्षमताओं को मजबूत करती है, विशेष रूप से चीन जैसे सामरिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ। नीचे अग्नि-5 मिसाइल की ताजा खबरें दी गई हैं, जिनमें इसके हाल के विकास और महत्व को उजागर किया गया है।
सफल परीक्षण ने परिचालन तत्परता को सत्यापित किया
20 अगस्त 2025 को भारत ने ओडिशा के चांदीपुर में एकीकृत परीक्षण रेंज से अग्नि-5 मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। सामरिक बल कमान (एसएफसी) के तहत आयोजित इस प्रक्षेपण ने सभी परिचालन और तकनीकी मापदंडों को सत्यापित किया। यह नियमित उपयोगकर्ता परीक्षण मिसाइल की विश्वसनीयता को पुनः स्थापित करता है, जो भारत के परमाणु शस्त्रागार का एक प्रमुख घटक है और 5,000 किमी से अधिक दूरी तक लक्ष्य भेदने में सक्षम है।
एमआईआरवी तकनीक: एक गेम-चेंजर
11 मार्च 2024 को मिशन दिव्यास्त्र के तहत अग्नि-5 का मल्टिपल इंडिपेंडेंटली टारगेटेबल री-एंट्री व्हीकल (एमआईआरवी) तकनीक के साथ परीक्षण एक ऐतिहासिक उपलब्धि थी। यह क्षमता एक मिसाइल को विभिन्न लक्ष्यों पर कई वॉरहेड्स पहुंचाने की अनुमति देती है, जिससे भारत की सामरिक निवारण क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वीप से किए गए इस परीक्षण ने भारत को अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और यूके जैसे चुनिंदा देशों की श्रेणी में शामिल कर दिया, जिनके पास एमआईआरवी-सक्षम मिसाइलें हैं।
बढ़ी हुई रेंज और क्षमताएं
अग्नि-5 की रेंज 5,000–5,800 किमी है, और कुछ रिपोर्ट्स के अनुसार, संशोधनों के साथ यह 7,000 किमी से अधिक हो सकती है। हल्के कम्पोजिट सामग्रियों के उपयोग से इसका वजन 20% कम हुआ है, जिससे इसकी रेंज में संभावित वृद्धि हुई है। मिसाइल का तीन-चरण, ठोस-ईंधन प्रणोदन प्रणाली, रिंग लेज...