देश की साहसी नर्स,ड्यूटी के लिए जान का ख़तरा मोल लांघ गई उफनता नाला.
हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की साहसी नर्स कमला देवी ने अपनी जान जोखिम में डालकर उफनते नाले को छलांग लगाकर पार किया और कठोग पंचायत के हुरंग गांव में एक मासूम बच्चे को जीवन रक्षक टीका लगाने पहुंची। बाढ़ ने रास्ते और पुल बहा दिए, फिर भी कमला ने ड्यूटी को सर्वोपरि रखा। उनका यह साहसिक कारनामा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग उनकी हिम्मत को सलाम कर रहे हैं। यह कहानी न केवल साहस, बल्कि मानवता और कर्तव्यनिष्ठा की मिसाल है।

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले की चौहार घाटी में एक स्टाफ नर्स, कमला देवी, ने अपने कर्तव्य और मानवता के प्रति अद्भुत समर्पण का परिचय दिया है। 20 अगस्त 2025 को बादल फटने से आई बाढ़ ने क्षेत्र के सभी पैदल पुलों को बहा दिया था, जिससे लोगों का आवागमन बेहद मुश्किल हो गया था। इसके बावजूद, कमला देवी ने अपनी जान की परवाह न करते हुए उफनते नाले को छलांग लगाकर पार किया और कठोग पंचायत के हुरंग नारायण देवता गांव में दो माह के एक बच्चे को जीवन रक्षक टीका लगाने के लिए पहुंची। उनका यह साहसिक कारनामा सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, और लोग उनकी हिम्मत और जज्बे की तारीफ करते नहीं थक रहे।
बारिश का कहर और मुश्किल रास्ते
हिमाचल प्रदेश में इन दिनों मानसून की भारी बारिश ने तबाही मचा रखी है। नदियां और नाले उफान पर हैं, और कई क्षेत्रों में सड़कें और पुल बह गए हैं। मंडी जिले की चौहार घाटी की सिल्हबुधानी और तरस्वाण पंचायतों में बाढ़ ने भारी नुकसान पहुंचाया है। इस आपदा ने स्थानीय लोगों के लिए रोजमर्रा के काम, खासकर नौकरी और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंचना, बेहद जोखिम भरा बना दिया है। ऐसे में, सुधार पंचायत के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात टिक्कर गांव की स्टाफ नर्स कमला देवी ने अपनी ड्यूटी के प्रति अनुकरणीय समर्पण दिखाया।
साहस की मिसाल: उफनते नाले को पार करने की हिम्मत
शुक्रवार, 22 अगस्त 2025 की सुबह, कमला देवी को हुरंग नारायण देवता गांव में टीकाकरण के लिए जाना था। लेकिन रास्ते में शिल्हबुधानी खड्ड का उफनता नाला उनकी राह में सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ा था। भारी बारिश और बादल फटने के कारण इस नाले का बहाव इतना तेज था कि एक छोटी सी चूक भी जानलेवा साबित हो सकती थी। फिर भी, कमला ने हार नहीं मानी। उन्होंने पत्थरों पर छलांग लगाकर नाले को पार किया और समय पर अपनी ड्यूटी निभाई। इस दौरान, उनके साहस का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें वह बिना किसी डर के तेज बहाव वाले नाले को पार करती दिख रही हैं।
मासूम की जान बचाने की जिद
कमला देवी ने बताया कि उनकी ड्यूटी में एक दो माह के बच्चे को जीवन रक्षक इंजेक्शन लगाना शामिल था। इसके लिए उन्हें रोजाना करीब चार किलोमीटर का कठिन रास्ता तय करना पड़ता है। बाढ़ और टूटे हुए पुलों ने इस रास्ते को और भी खतरनाक बना दिया था। फिर भी, उन्होंने अपने कर्तव्य को सर्वोपरि रखा और बच्चे तक वैक्सीन पहुंचाने के लिए अपनी जान जोखिम में डाल दी। उनकी इस निस्वार्थ सेवा ने न केवल एक मासूम की जान बचाई, बल्कि पूरे क्षेत्र में मानवता की एक मिसाल कायम की।
सोशल मीडिया पर तारीफ और चिंता
कमला देवी के इस साहसिक कदम का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग उनकी हिम्मत की तुलना सुपरहीरो से कर रहे हैं, कुछ ने तो उन्हें "स्पाइडरमैन नर्स" और "रियल कृष" जैसे नामों से संबोधित किया है। लेकिन इसके साथ ही, कई लोग यह भी कह रहे हैं कि ऐसी जोखिम भरी परिस्थितियों में काम करना उचित नहीं है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि क्षेत्र में जल्द से जल्द सुरक्षित सड़कों और पुलों का निर्माण किया जाए ताकि स्वास्थ्य कर्मियों और आम लोगों को अपनी जान खतरे में न डालनी पड़े।
एक प्रेरणादायक कहानी
कमला देवी का यह कारनामा न केवल उनके साहस और कर्तव्यनिष्ठा को दर्शाता है, बल्कि उन तमाम स्वास्थ्य कर्मियों की कहानी को भी सामने लाता है जो विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी जिम्मेदारी निभाने से पीछे नहीं हटते। मंडी जिले में पहले भी नाले पार करते समय कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें कुछ लोगों की जान तक चली गई। ऐसे में, कमला का यह कदम न केवल साहसिक है, बल्कि उनकी मानवता और सेवा भावना का प्रतीक भी है।हिमाचल के लोगों के लिए कमला देवी एक सच्ची प्रेरणा हैं, जिन्होंने दिखा दिया कि कर्तव्य के रास्ते में कोई बाधा बड़ी नहीं होती। उनकी इस कहानी ने न केवल मंडी, बल्कि पूरे देश में लोगों के दिलों को छू लिया है।