स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली: गर्भवती महिला को कचरा ढोने वाली साइकिल से पहुंचाया अस्पताल

बाड़मेर में 108 एम्बुलेंस न मिलने से गर्भवती महिला को कचरा साइकिल पर अस्पताल ले जाना पड़ा, जिसके वायरल वीडियो ने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली उजागर की। लोग प्रशासन और सरकार से तुरंत कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

Sep 17, 2025 - 18:05
स्वास्थ्य व्यवस्था की बदहाली: गर्भवती महिला को कचरा ढोने वाली साइकिल से पहुंचाया अस्पताल

राजस्थान के बाड़मेर जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाल स्थिति को उजागर कर दिया है। जिला मुख्यालय पर सोमवार को एक गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू हुई, लेकिन समय पर 108 एम्बुलेंस न मिलने के कारण उसे कचरा बीनने वाली साइकिल पर बैठाकर अस्पताल ले जाना पड़ा। इस दिल दहला देने वाले दृश्य ने न केवल स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया, बल्कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो ने पूरे राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

क्या है पूरा मामला?

यह शर्मनाक घटना बाड़मेर के मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के पास की है। बताया जा रहा है कि गर्भवती महिला को प्रसव पीड़ा शुरू होने के बाद परिवार ने तुरंत 108 एम्बुलेंस सेवा को संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन समय पर एम्बुलेंस उपलब्ध नहीं हो सकी। मजबूरी में परिजनों को महिला को एक कचरा बीनने वाली साइकिल पर बैठाकर अस्पताल पहुंचाना पड़ा। अस्पताल पहुंचने के बाद महिला को भर्ती किया गया और उसका उपचार शुरू हुआ, लेकिन इस घटना ने स्वास्थ्य सेवाओं की लापरवाही को सबके सामने ला दिया।

सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो, लोग भड़के

इस घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि एक गर्भवती महिला को कचरा साइकिल पर ले जाया जा रहा है। इस वीडियो ने लोगों का गुस्सा भड़का दिया है। लोग सरकार और जिला प्रशासन से सवाल कर रहे हैं कि जब राज्य में 108 एम्बुलेंस सेवा का इतना प्रचार किया जाता है, तो जरूरत के समय यह सुविधा क्यों गायब हो जाती है? कई यूजर्स ने टिप्पणी की है कि यह तस्वीरें न केवल बाड़मेर की छवि को धूमिल कर रही हैं, बल्कि पूरे राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्था की सच्चाई को उजागर कर रही हैं।

मेडिकल कॉलेज होने के बावजूद बदहाल स्थिति

बाड़मेर में मेडिकल कॉलेज और अस्पताल जैसी बड़ी सुविधा होने के बावजूद इस तरह की घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि अगर जिला मुख्यालय पर ही एम्बुलेंस जैसी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो दूरदराज के इलाकों में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या हाल होगा? एक स्थानीय निवासी ने कहा, "जब मेडिकल कॉलेज में ऐसी स्थिति है, तो बाकी गांवों और कस्बों में क्या होता होगा, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।"

प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग पर उठ रहे सवाल

इस घटना के बाद लोग स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि भविष्य में किसी मरीज को ऐसी अमानवीय स्थिति का सामना न करना पड़े। विशेषज्ञों का मानना है कि एम्बुलेंस सेवाओं की कमी, कर्मचारियों की लापरवाही और संसाधनों का अभाव इस तरह की घटनाओं का मुख्य कारण है।

सरकार से मांग, तुरंत हो सुधार

स्थानीय लोग और सोशल मीडिया यूजर्स सरकार से मांग कर रहे हैं कि स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाए कि 108 एम्बुलेंस जैसी आपातकालीन सेवाएं जरूरतमंदों को समय पर उपलब्ध हों। इस घटना ने बाड़मेर ही नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान की स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवालिया निशान लगा दिया है।

प्रशासन की ओर से अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है, लेकिन लोगों की नाराजगी और सोशल मीडिया पर हो रहे विरोध को देखते हुए यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही इस दिशा में कोई ठोस कार्रवाई होगी।

Yashaswani Journalist at The Khatak .