नवरात्रि की देवी बनी 'दुर्गा':अंगदान से तीन परिवारों में लौटी ख़ुशियाँ
अजमेर की 'दुर्गा' ने नवरात्रि में अपने किडनी और फेफड़ों का दान कर तीन लोगों को नया जीवन दिया, जिससे उनके परिवार ने मानवता की मिसाल कायम की।

शारदीय नवरात्रि के पावन पर्व पर, जहां हर घर में मां दुर्गा की पूजा और घट स्थापना की धूम है, वहीं राजस्थान के अजमेर में एक परिवार ने मानवता की अनूठी मिसाल पेश की है। अजमेर के जवाहरलाल नेहरू (जेएलएन) अस्पताल में एक युवती, जिसे प्यार से 'दुर्गा' के नाम से जाना जाता है, ने अपनी मृत्यु से पहले अपने अंगों का दान कर तीन लोगों को नया जीवन दिया। इस नेक कार्य ने न केवल उनके परिवार की उदारता को दर्शाया, बल्कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक संदेश भी छोड़ा।
एक परिवार का साहसी निर्णय
जेएलएन अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, दुर्गा नामक इस युवती को गंभीर स्वास्थ्य स्थिति के कारण अस्पताल में भर्ती किया गया था। चिकित्सकों के अथक प्रयासों के बावजूद, उसे बचाया नहीं जा सका और उसे ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। ऐसे में उनके परिवार ने एक कठिन परंतु साहसी निर्णय लिया। उन्होंने दुर्गा के अंगों—किडनी और फेफड़ों—को दान करने का फैसला किया, ताकि दूसरों को जीवन का उपहार मिल सके। यह निर्णय नवरात्रि के पवित्र दिनों में लिया गया, जो मां दुर्गा की शक्ति और करुणा का प्रतीक है।
तीन जिंदगियों को मिला नया आधार
दुर्गा के अंगों के दान से तीन लोगों को नया जीवन मिला। उनकी दोनों किडनियों और फेफड़ों को जरूरतमंद मरीजों में प्रत्यारोपित किया गया। जेएलएन अस्पताल के चिकित्सकों और अंग प्रत्यारोपण विशेषज्ञों की टीम ने इस प्रक्रिया को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने बताया, "यह एक जटिल प्रक्रिया थी, लेकिन परिवार के सहयोग और हमारी मेडिकल टीम की मेहनत से तीन मरीजों को नया जीवन मिल सका। यह नवरात्रि का सबसे बड़ा उपहार है।"
समाज के लिए प्रेरणा
दुर्गा के परिवार का यह कदम न केवल उनके लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। अंग दान के प्रति जागरूकता अभी भी भारत में सीमित है, और ऐसे समय में जब लोग अपने प्रियजनों को खोने के दुख में डूब जाते हैं, तब इस तरह का निर्णय लेना असाधारण साहस का परिचय देता है।