दहेज की आग में झुलसी एक और बेटी, अमरोहा में सिपाही पति ने पत्नी को जिंदा जलाया, परिवार पर केस दर्ज.

अमरोहा, उत्तर प्रदेश में दहेज की आग ने एक और बेटी की जिंदगी को खतरे में डाल दिया। यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबल देवेंद्र ने अपनी पत्नी पारुल को दहेज के लिए प्रताड़ित कर जिंदा जलाने की कोशिश की। 13 साल की शादी और दो बच्चों के बाद भी दहेज की भूख ने पारुल को दिल्ली के अस्पताल में जिंदगी-मौत के बीच ला खड़ा किया। पुलिस ने देवेंद्र और उसके परिवार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उसे हिरासत में लिया है। यह घटना समाज को झकझोरती है कि आधुनिक युग में भी दहेज का जहर बेटियों की जिंदगी छीन रहा है।

Aug 27, 2025 - 23:14
दहेज की आग में झुलसी एक और बेटी, अमरोहा में सिपाही पति ने पत्नी को जिंदा जलाया, परिवार पर केस दर्ज.

उत्तर प्रदेश के अमरोहा जिले से दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां दहेज की भूख ने एक बार फिर एक बेटी की जिंदगी को आग के हवाले कर दिया। यूपी पुलिस के हेड कांस्टेबल देवेंद्र ने अपनी पत्नी पारुल को कथित तौर पर दहेज के लिए प्रताड़ित कर जिंदा जलाने की कोशिश की। यह सनसनीखेज मामला डिडौली थाना क्षेत्र के नारंगपुर गांव का है, जहां 32 वर्षीय पारुल, जो स्वास्थ्य विभाग में GNM (सहायक नर्स) के पद पर कार्यरत हैं, अब दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही हैं। उनकी हालत बेहद नाजुक बताई जा रही है। इस क्रूर घटना में पुलिस ने आरोपी पति देवेंद्र को हिरासत में ले लिया है और उसके परिवार के पांच अन्य सदस्यों—भाई सोनू, पिता गजेश, मां अनीता, जितेंद्र और संतोष—के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।

घटना का दर्दनाक विवरण

पारुल और देवेंद्र की शादी को 13 साल हो चुके हैं। इस दंपती के दो बच्चे—एक बेटा और एक बेटी—हैं। पारुल इकौदा के ग्रामीण स्वास्थ्य केंद्र में नर्स के रूप में सेवा दे रही थीं, जबकि देवेंद्र यूपी पुलिस में हेड कांस्टेबल हैं और हाल ही में उनका ट्रांसफर रामपुर से बरेली हुआ था। घटना के समय वह छुट्टी पर अपने गांव नारंगपुर आए थे। पीड़िता की मां अनीता के अनुसार, मंगलवार (26 अगस्त 2025) की सुबह पड़ोसियों ने उन्हें सूचना दी कि उनकी बेटी को ससुराल वालों ने आग लगा दी है। जब मायके वाले मौके पर पहुंचे, तो पारुल 90% तक झुलसी हालत में तड़प रही थीं। उन्हें तुरंत स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उन्हें दिल्ली रेफर कर दिया गया। 

दहेज की भेंट चढ़ा रिश्ता

पारुल की मां और भाई कपिल सिंह ने बताया कि शादी के बाद से ही पारुल को दहेज के लिए लगातार प्रताड़ित किया जाता था। परिवार का आरोप है कि देवेंद्र और उसके परिजन दहेज की मांग को लेकर पारुल पर दबाव बनाते थे। कुछ रिपोर्ट्स में यह भी सामने आया है कि पारुल के नाम पर एक प्लॉट को लेकर भी पति-पत्नी के बीच अक्सर विवाद होता था। इस विवाद ने इतना भयावह रूप ले लिया कि देवेंद्र ने अपने परिवार के साथ मिलकर पारुल को मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जलाने की कोशिश की। यह घटना समाज में दहेज प्रथा की जड़ें कितनी गहरी हैं, इसका एक और क्रूर उदाहरण है। 

पुलिस की कार्रवाई और कानूनी प्रक्रिया

घटना की सूचना मिलते ही अमरोहा पुलिस ने त्वरित कार्रवाई की। पीड़िता के भाई की तहरीर के आधार पर थाना डिडौली में देवेंद्र और उसके परिवार के छह सदस्यों के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। अमरोहा के एसपी अमित कुमार आनंद ने बताया कि आरोपी पति को हिरासत में ले लिया गया है, जबकि अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। पुलिस ने यह भी पुष्टि की कि पारुल की हालत अत्यंत गंभीर है और उनका इलाज दिल्ली के एक अस्पताल में चल रहा है। 

क्या आज भी जिंदा है दहेज प्रथा?

यह घटना उस समय सामने आई है, जब ग्रेटर नोएडा में निक्की भाटी हत्याकांड की गूंज अभी थमी भी नहीं थी। अमरोहा का यह मामला एक बार फिर समाज को झकझोरता है और सवाल उठाता है कि आधुनिक युग में भी क्या दहेज प्रथा का जहर हमारे समाज को खोखला कर रहा है? शिक्षा और नौकरी में आत्मनिर्भर होने के बावजूद पारुल जैसी महिलाएं दहेज की बलि चढ़ रही हैं। यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चेतावनी है कि दहेज जैसी कुप्रथा को जड़ से खत्म करने की जरूरत है।

समाज और कानून के सामने चुनौती

पारुल का मामला दहेज के खिलाफ कानूनों की सख्ती और सामाजिक जागरूकता की कमी को उजागर करता है। भले ही कानून में दहेज उत्पीड़न और हत्या के लिए कठोर सजा का प्रावधान हो, लेकिन ऐसी घटनाएं बार-बार सामने आना दर्शाता है कि समाज में अभी भी मानसिकता बदलने की जरूरत है। यह सिर्फ कानूनी कार्रवाई का मामला नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार और जागरूकता का सवाल है। क्या हमारा समाज अब भी दहेज को रिश्तों की कीमत मानता है? यह सवाल हर किसी को सोचने पर मजबूर करता है।

अमरोहा की इस घटना ने एक बार फिर दहेज प्रथा की क्रूर सच्चाई को सामने ला दिया है। पारुल की जिंदगी अब एक पतली डोर पर टिकी है, और उनका परिवार न्याय की आस में है। यह समाज के लिए समय है कि हम दहेज जैसी कुप्रथा के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं।