चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा जिले "आंधी की बेरहम चपेट में टूटा परिवार: दादी और मासूम सूरज की दर्दनाक मौत, गांव में छाया मातम"
चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा मार्ग पर साडास गांव (फलोदी, गंगरार) में तेज आंधी और तूफान के कारण एक मकान की दीवार गिरने से दादी शायरी देवी और उनके 8 वर्षीय पोते सूरज की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे में रतनलाल सहित दो अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हुए, जिनका भीलवाड़ा अस्पताल में इलाज चल रहा है। यह घटना उस समय हुई जब परिवार में 27 मई को होने वाली शादी की तैयारियां चल रही थीं, जिससे खुशियों का माहौल मातम में बदल गया। पुलिस मौके पर पहुंची और जांच शुरू की। पूरे गांव में शोक की लहर है।

चित्तौड़गढ़-भीलवाड़ा जिले की सीमा पर बसे साडास थाना क्षेत्र के छोटे से गांव भीलों का झोपड़ा में गुरुवार की देर शाम एक ऐसी त्रासदी हुई, जिसने पूरे गांव को दुख के सागर में डुबो दिया। तेज आंधी और मूसलाधार बारिश ने एक कच्चे मकान की दीवार को बेरहमी से ढहा दिया, और इस हादसे ने एक मासूम बच्चे और उसकी दादी की जिंदगी को हमेशा के लिए छीन लिया। इस हृदयविदारक घटना ने न केवल एक परिवार को तोड़ दिया, बल्कि पूरे गांव को गहरे सदमे में डाल दिया।
हादसे में जान गंवाने वालों में 50 वर्षीय शांति देवी उर्फ सायरी, पत्नी मगना भील, और उनका चार साल का मासूम पोता सूरज, पुत्र सुरेश भील, शामिल हैं। दोनों इस गांव के साधारण से परिवार का हिस्सा थे, जहां मेहनत और सादगी से जिंदगी चलती थी। उसी परिवार का 12 वर्षीय रतन, पुत्र कैलाश भील, इस हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गया। उसे तुरंत महात्मा गांधी अस्पताल ले जाया गया, जहां वह जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहा है।
गुरुवार की शाम, जब आसमान काले बादलों से घिर गया और तेज हवाएं चलने लगीं, किसी ने नहीं सोचा था कि यह मौसम इतना भयानक रूप ले लेगा। बारिश की बौछारों के साथ कुछ इलाकों में ओले भी गिरे। भीलों का झोपड़ा गांव में उस समय हाहाकार मच गया, जब एक कच्चे मकान की दीवार अचानक भरभराकर ढह गई। उस दीवार के नीचे दब गए शांति देवी और छोटा सूरज, जिनके चेहरों पर कभी हंसी और सपने बस्ते थे। शांति देवी, जो अपने परिवार की रीढ़ थीं, और सूरज, जो अपने नन्हे कदमों से घर में खुशियां बिखेरता था, दोनों की सांसें मलबे में दम तोड़ गईं। यह दृश्य देखकर हर किसी की आंखें नम हो गईं।
ग्रामीणों के मुताबिक, शांति देवी अपने पोते सूरज को बहुत प्यार करती थीं। वह अक्सर उसे गोद में लेकर गांव की गलियों में घूमा करती थीं, और सूरज की नटखट हरकतें पूरे परिवार को हंसी से भर देती थीं। लेकिन अब वह घर सूना हो गया है। रतन, जो इस हादसे में घायल हुआ, अपने छोटे भाई सूरज का सबसे करीबी दोस्त था। अब अस्पताल के बिस्तर पर वह दर्द और सदमे से जूझ रहा है, शायद यह समझने की कोशिश में कि उसका नन्हा साथी अब कभी नहीं लौटेगा।
साडास थाना पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर राहत कार्य शुरू किए। घायल रतन को अस्पताल पहुंचाया गया, और मृतकों के शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया। लेकिन इस औपचारिकता से उस दर्द का क्या, जो परिवार और गांववासियों के दिलों में छा गया है? गांव में हर ओर सन्नाटा पसरा है, और लोग इस बात से चिंतित हैं कि कच्चे मकानों की कमजोर स्थिति और मौसम की मार ऐसे कितने और परिवारों को छीन लेगी।
यह हादसा केवल एक खबर नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है। यह हमें याद दिलाता है कि प्रकृति के सामने इंसान कितना बेबस है, और कच्चे मकानों में रहने वाले परिवारों की जिंदगी कितनी जोखिम में है। शांति देवी और सूरज की यादें अब इस गांव की गलियों में गूंजेंगी, और उनका परिवार हमेशा इस दुख को अपने दिल में संजोए रखेगा। हमारी संवेदनाएं इस परिवार के साथ हैं, और प्रार्थना है कि रतन जल्द स्वस्थ होकर अपने परिवार के लिए नई उम्मीद बन सके।