सेक्सटिंग और रिवेंज पॉर्न से रहें सावधान: ऑनलाइन शोषण के खिलाफ जागरूकता जरूरी
आज की डिजिटल दुनिया में, जहां सोशल मीडिया और इंस्टेंट मैसेजिंग हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुके हैं, ऑनलाइन सुरक्षा एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। खासकर सेक्सटिंग, रिवेंज पॉर्न और ऑनलाइन शोषण जैसे जोखिमों के बारे में जागरूकता जरूरी है। ये न केवल गोपनीयता को खतरे में डाल सकते हैं, बल्कि कानूनी और भावनात्मक परेशानियों का कारण भी बन सकते हैं।

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कानूनी परिणाम: भारत में, 18 वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों की ऐसी सामग्री साझा करना POCSO एक्ट, 2012 के तहत अपराध है, भले ही यह सहमति से हो। वयस्कों के लिए भी, गैर-सहमति से साझा करना आईटी एक्ट, 2000 के तहत दंडनीय है।
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गोपनीयता का उल्लंघन: स्क्रीनशॉट या हैकिंग के जरिए सामग्री लीक हो सकती है। 2023 के एक सर्वे के अनुसार, 20% युवाओं ने बताया कि उनकी निजी सामग्री बिना अनुमति के साझा की गई।
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सुझाव: चेहरे या पहचान उजागर करने वाली सामग्री न भेजें, सुरक्षित ऐप्स का उपयोग करें, और स्थानीय कानूनों को समझें।
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कानूनी स्थिति: भारत में, यह आईटी एक्ट की धारा 66E और IPC की धारा 354C के तहत अपराध है, जिसमें 7 साल तक की सजा हो सकती है।
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सामाजिक प्रभाव: पीड़ितों को सामाजिक बहिष्कार, नौकरी में नुकसान या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। 2024 के एक सर्वे में 10 में से 1 व्यक्ति ने गैर-सहमति से छवि साझा होने की बात कही।
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सुझाव: भरोसेमंद व्यक्तियों के साथ ही सामग्री साझा करें, और सोशल मीडिया पर गोपनीयता सेटिंग्स को मजबूत करें। X जैसे प्लेटफॉर्म पर गैर-सहमति सामग्री की शिकायत की जा सकती है।
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सेक्सटॉर्शन: अपराधी निजी छवियों के आधार पर ब्लैकमेल कर सकते हैं। 2022-2024 के बीच भारत में सेक्सटॉर्शन के मामलों में 20% की वृद्धि देखी गई।
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ग्रूमिंग: नाबालिगों को सोशल मीडिया या गेमिंग प्लेटफॉर्म पर निशाना बनाया जा सकता है।
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सुझाव: अनजान लोगों से सावधान रहें, व्यक्तिगत जानकारी सीमित करें, और संदिग्ध गतिविधियों की शिकायत साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर करें।
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मजबूत पासवर्ड: 80% डेटा उल्लंघन कमजोर पासवर्ड के कारण होते हैं। दो-कारक प्रमाणीकरण (2FA) का उपयोग करें।
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गोपनीयता सेटिंग्स: X, इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म पर गोपनीयता सेटिंग्स को नियमित रूप से जांचें।
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सुरक्षित संचार: व्हाट्सएप या सिग्नल जैसे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग करें।
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अधिकारों की जानकारी: भारत में गैर-सहमति सामग्री हटाने के लिए आईटी नियम, 2021 के तहत प्लेटफॉर्म जिम्मेदार हैं।