बाड़मेर के किसान दंपति को स्वतंत्रता दिवस 2025 में लाल किले पर विशेष अतिथि का गौरव..
रेगिस्तान की धरती बाड़मेर के झाक गांव से निकले किसान दंपति, डॉ. देवाराम पंवार और धापू, ने मेहनत और नवाचार से खेती-पशुपालन को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। औषधीय खेती और आधुनिक बकरी पालन के दम पर उन्होंने न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि अन्य किसानों के लिए प्रेरणा बने। स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर उन्हें लाल किले पर विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है, जो उनके समर्पण और सफलता का सबसे बड़ा सम्मान है। यह कहानी है मेहनत, नवाचार और देशभक्ति की, जो हर भारतीय को गर्व महसूस कराएगी!

बाड़मेर, राजस्थान: सीमावर्ती बाड़मेर जिले की बाटाडू तहसील के झाक ग्राम पंचायत के किसान दंपति, डॉ. देवाराम पंवार और उनकी पत्नी धापू, को स्वतंत्रता दिवस 2025 के अवसर पर नई दिल्ली के लाल किले पर आयोजित राष्ट्रीय समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। यह सम्मान न केवल उनके परिवार और गांव के लिए, बल्कि पूरे बाड़मेर जिले और राजस्थान के लिए गर्व का क्षण है। यह उपलब्धि उनके कृषि और पशुपालन के क्षेत्र में किए गए असाधारण योगदान को रेखांकित करती है, जो देशभर के किसानों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।
नवाचार और मेहनत की मिसाल
डॉ. देवाराम पंवार और धापू ने पारंपरिक खेती को आधुनिक तकनीकों के साथ जोड़कर एक नया आयाम स्थापित किया है। उन्होंने औषधीय फसलों की खेती को अपनाया और उन्नत पशुपालन के तरीकों को लागू किया, जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई, बल्कि क्षेत्र के अन्य किसानों के लिए भी एक मॉडल तैयार हुआ। रेगिस्तान की कठिन परिस्थितियों में बकरी पालन को एक लाभकारी उद्योग में बदलने का उनका प्रयास विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
डॉ. पंवार ने राष्ट्रीय पशुधन मिशन का लाभ उठाकर वैज्ञानिक तरीकों से बकरी पालन को व्यवसायिक रूप दिया। उन्होंने बकरियों के दूध और अन्य उत्पादों के महत्व को समझा और इसे एक टिकाऊ व्यवसाय में तब्दील किया। उनकी यह पहल न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद रही, बल्कि इसने युवाओं को भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ
इस दंपति ने केंद्र और राजस्थान सरकार की विभिन्न योजनाओं का उपयोग कर अपनी खेती को और समृद्ध किया। जैविक खाद और वर्षा जल संरक्षण जैसी तकनीकों को अपनाकर उन्होंने अपनी फसलों की पैदावार बढ़ाई और लागत को कम किया। इसके अलावा, डॉ. पंवार ने अपने अनुभव और ज्ञान को अन्य किसानों के साथ साझा कर उन्हें नई तकनीकों के प्रति जागरूक किया। उनकी यह पहल बाड़मेर के युवा किसानों के लिए एक प्रेरणा बन गई है, जो अब बकरी पालन और औषधीय खेती जैसे क्षेत्रों में रुचि दिखा रहे हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता
डॉ. देवाराम पंवार को पहले भी उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। केंद्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा ने उन्हें बकरी पालन में उत्कृष्टता के लिए प्रशंसा पत्र प्रदान किया। इसके अलावा, ICAR-राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, करनाल द्वारा नस्ल संरक्षण पुरस्कार 2023 और अन्य संस्थानों द्वारा भी उन्हें सम्मानित किया गया है। उनकी पत्नी धापू ने भी खेती और पशुपालन में बराबर का योगदान दिया, जिससे यह दंपति एक आदर्श जोड़ी के रूप में उभरा है।
स्वतंत्रता दिवस समारोह में आमंत्रण
स्वतंत्रता दिवस 2025 के मौके पर लाल किले पर आयोजित होने वाले समारोह में विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किए जाने से झाक गांव और बाड़मेर जिले में खुशी की लहर दौड़ गई है। स्थानीय समुदाय, नेताओं और किसानों ने इस दंपति को उनकी इस उपलब्धि के लिए बधाई दी है। सरकार ने उनके जोधपुर से दिल्ली तक के हवाई यात्रा की व्यवस्था की है, जो इस सम्मान को और भी खास बनाता है।
प्रेरणा का स्रोत
डॉ. देवाराम और धापू की कहानी यह दर्शाती है कि कठिन परिस्थितियों में भी मेहनत, नवाचार और सरकारी योजनाओं का सही उपयोग कर असाधारण सफलता हासिल की जा सकती है। उनकी उपलब्धियां न केवल बाड़मेर, बल्कि पूरे देश के किसानों के लिए एक प्रेरणा हैं। यह सम्मान अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित करेगा कि वे आधुनिक तकनीकों को अपनाकर कृषि और पशुपालन को और अधिक लाभकारी बनाएं।