धनतेरस 2025: आज से शुरू हो रहा दीपावली का उत्सव, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खरीदारी का समय.

धनतेरस 2025, जो 18 अक्टूबर को मनाया जा रहा है, दीपावली के उत्सव की शुरुआत है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की पूजा की जाती है, जो धन, समृद्धि और स्वास्थ्य का प्रतीक है। शुभ मुहूर्त में खरीदारी (सोना, चांदी, बर्तन, झाड़ू) और पूजा से सकारात्मकता और समृद्धि आती है। यम दीपक जलाने की परंपरा अकाल मृत्यु से रक्षा करती है।

Oct 18, 2025 - 10:14
धनतेरस 2025: आज से शुरू हो रहा दीपावली का उत्सव, जानें शुभ मुहूर्त, पूजन विधि और खरीदारी का समय.

धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, भारत में दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। यह पर्व 18 अक्टूबर 2025 को देशभर में हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन माता लक्ष्मी और धन के देवता कुबेर की पूजा से घर में सुख, समृद्धि और धन का आगमन होता है। साथ ही, इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा भी की जाती है, जो स्वास्थ्य और दीर्घायु के देवता माने जाते हैं। आइए, धनतेरस 2025 के शुभ मुहूर्त, पूजन विधि, खरीदारी के टिप्स और इसके महत्व के बारे में विस्तार से जानते हैं।

धनतेरस 2025: तिथि और समय

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 18 अक्टूबर 2025 को दोपहर 12:18 बजे शुरू होगी और 19 अक्टूबर 2025 को दोपहर 1:51 बजे समाप्त होगी। इस दिन खरीदारी और पूजा के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं, जो इस पर्व को और भी विशेष बनाते हैं।

खरीदारी के शुभ मुहूर्त

धनतेरस के दिन खरीदारी को विशेष रूप से शुभ माना जाता है, क्योंकि ऐसा विश्वास है कि इस दिन खरीदी गई वस्तुएं पूरे वर्ष समृद्धि लाती हैं। 18 अक्टूबर 2025 को खरीदारी के लिए निम्नलिखित शुभ मुहूर्त हैं:

प्रथम मुहूर्त:

सुबह 8:50 से 10:33 बजे तक 

द्वितीय मुहूर्त: सुबह 11:43 से दोपहर 12:28 बजे तक

तृतीय मुहूर्त: शाम 7:16 से रात 8:20 बजे तक

चौघड़िया मुहूर्त:

शुभ काल: सुबह 7:49 से 9:15 बजे तक 

लाभ-उन्नति मुहूर्त: दोपहर 1:32 से 2:57 बजे तक

अमृत काल: दोपहर 2:57 से शाम 4:23 बजे तक

चर काल: दोपहर 12:06 से 1:32 बजे तक

इन मुहूर्तों में सोना, चांदी, बर्तन, वाहन या अन्य शुभ वस्तुओं की खरीदारी करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

पूजन का शुभ मुहूर्त

धनतेरस पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की पूजा का विशेष महत्व है। पूजन के लिए सबसे शुभ समय शाम 7:16 से रात 8:20 बजे तक है। इस दौरान विधि-विधान से पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि और अच्छा स्वास्थ्य प्राप्त होता है।

यम दीपक जलाने का मुहूर्त

धनतेरस के दिन सूर्यास्त के बाद यमराज के लिए चार मुखी दीपक जलाने की परंपरा है, जिसे यम दीपम या दीपदान कहा जाता है। यह अनुष्ठान परिवार की सुख-शांति और अकाल मृत्यु से रक्षा के लिए किया जाता है। यम दीपक मुहूर्त: शाम 5:48 से 7:04 बजे तक (अवधि: 1 घंटा 16 मिनट) 

धनतेरस पर क्या खरीदें?

धनतेरस के दिन खरीदारी न केवल परंपरा है, बल्कि यह घर में सकारात्मक ऊर्जा और समृद्धि लाने का माध्यम भी माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार, निम्नलिखित वस्तुएं खरीदना शुभ होता है:

सोना और चांदी: सोने-चांदी के आभूषण, सिक्के या बर्तन खरीदने से माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

तांबे और पीतल के बर्तन: ये बर्तन घर में समृद्धि और सकारात्मकता लाते हैं।

झाड़ू: नई झाड़ू खरीदना नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक है।

वाहन या इलेक्ट्रॉनिक्स: धनतेरस पर वाहन, गैजेट्स या अन्य उपयोगी वस्तुएं खरीदना भी शुभ माना जाता है।

लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियां: पूजा के लिए नई मूर्तियां या सिक्के खरीदना शुभ होता है।

धनतेरस पूजन विधि

धनतेरस की पूजा विधि सरल और प्रभावशाली है। निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

पूजा की तैयारी: घर को साफ करें और पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। 

चौकी सजाएं: एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं और उस पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और भगवान धन्वंतरि की मूर्तियां या चित्र स्थापित करें।

दीपक जलाएं: एक घी का दीपक जलाएं और रोली, चंदन, फूल, अक्षत, और मिठाई अर्पित करें।

मंत्र जाप: माता लक्ष्मी के मंत्र "ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः" और कुबेर मंत्र "ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा" का जाप करें।

आरती और प्रसाद: पूजा के अंत में लक्ष्मी और धन्वंतरि की आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

यम दीपम: सूर्यास्त के बाद घर के मुख्य द्वार पर तेल का चार मुखी दीपक जलाएं और यमराज को प्रणाम करें।

धनतेरस का महत्व

धनतेरस का पर्व केवल धन-संपदा की प्राप्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य और दीर्घायु का भी प्रतीक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे और मानवता को आयुर्वेद का उपहार दिया था। इस दिन उनकी पूजा से अच्छा स्वास्थ्य और कल्याण की प्राप्ति होती है। साथ ही, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा से आर्थिक समृद्धि और स्थिरता की कामना पूरी होती है।

 धनतेरस 2025 का पर्व न केवल खरीदारी और उत्सव का अवसर है, बल्कि यह आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। इस दिन शुभ मुहूर्त में पूजा और खरीदारी करके आप अपने परिवार के लिए सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की कामना कर सकते हैं। तो, इस धनतेरस पर माता लक्ष्मी, भगवान कुबेर और धन्वंतरि की कृपा प्राप्त करें और अपने जीवन को समृद्ध बनाएं।

शुभ धनतेरस!