गुलाबी नगर में दिखी दिवाली की चमक , सड़कों की रौनक

Oct 17, 2025 - 13:18
Oct 17, 2025 - 18:23
गुलाबी नगर में दिखी दिवाली की चमक , सड़कों की रौनक

गुलाबी नगर में दिखी दिवाली की चमक, सड़कों की रौनक

जयपुर, 17 अक्टूबर 2025: रोशनी के त्योहार दिवाली की पूर्व संध्या पर राजस्थान की राजधानी जयपुर, जिसे दुनिया गुलाबी नगर के नाम से जानती है, एक जगमगाते हुए स्वर्ग में बदल गया। धनतेरस से शुरू हुई यह उत्सवी तैयारी आज चरम पर पहुंच गई, जहां गुलाबी दीवारों वाली संकरी गलियों से लेकर चौड़ी सड़कों तक हर कोने में दीयों की लौ, रंग-बिरंगी रोशनी की मालाओं और पारंपरिक रंगोलियों ने शहर को आकर्षक बना दिया। पर्यटकों और स्थानीय निवासियों की भीड़ उमड़ पड़ी है, जो इस ऐतिहासिक शहर की सांस्कृतिक धरोहर को दिवाली की चमक से निखारते हुए नजर आ रही है।

दिवाली 2025 इस बार खास है, क्योंकि कार्तिक अमावस्या 62 साल बाद दो दिनों तक फैली हुई है 20 और 21 अक्टूबर। अधिकांश राजस्थानी पंचांगों के अनुसार, जयपुर में मुख्य दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन इस असमंजस ने उत्साह को और बढ़ा दिया है। धनतेरस (18 अक्टूबर) पर ही सोने-चांदी के आभूषणों और बर्तनों की खरीदारी ने बाजारों को जीवंत कर दिया। जौहरी बाजार, जो जयपुर का प्रसिद्ध ज्वेलरी हब है, सुबह से ही चहल-पहल से गूंज रहा था। यहां के दुकानदारों ने पारंपरिक राजस्थानी जेवरों जैसे मीनाकारी वाले हार, कंठी और पायल को विशेष डिस्काउंट पर सजाया है। "इस बार विदेशी पर्यटक भी खूब आ रहे हैं। वे दिवाली की शॉपिंग के साथ-साथ हमारी सांस्कृतिक परंपराओं में रुचि ले रहे हैं।"शहर की सड़कों पर रौनक देखते ही बन रही है। एमआई रोड पर लगीं विशाल लाइटिंग इंस्टॉलेशन्स।  

फूलों की आकृतियों और राजस्थानी मोटिफ्स वाली—रात के अंधेरे को चीर रही हैं। हवा महल के सामने का इलाका, जो पहले से ही अपनी गुलाबी भव्यता के लिए मशहूर है, अब दीयों की हजारों लौों से नहाया हुआ लग रहा है। पर्यटक यहां सेल्फी लेते नजर आ रहे हैं, जबकि स्थानीय परिवार रंगोली बनाकर घरों के द्वार सजाने में व्यस्त हैं। सिटी पैलेस परिसर में आयोजित विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पारंपरिक लोक नृत्य जैसे घूमर और कालबेलिया ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय के वंशजों ने भी यहां लक्ष्मी पूजा की तैयारी की झलक दिखाई, जो शहरवासियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी।

गुलाबी नगर का यह नाम 1876 में इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के स्वागत में महाराजा रामसिंह द्वितीय द्वारा पूरे शहर को गुलाबी रंग से पुते जाने से पड़ा था। आज भी यह परंपरा जीवित है—दिवाली पर गुलाबी इमारतें पीले-सफेद दीयों और रंगीन लाइट्स के साथ और भी जीवंत हो उठती हैं। पिछले पांच वर्षों में विदेशी पर्यटकों में त्योहारों को सेलिब्रेट करने का क्रेज बढ़ा है। इस बार भी अमेरिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया से सैकड़ों पर्यटक जयपुर पहुंचे हैं, जो न केवल बाजार घूम रहे हैं बल्कि स्थानीय परिवारों के साथ पूजा-अर्चना में भी हिस्सा ले रहे हैं। एक अमेरिकी पर्यटक ने कहा, "जयपुर की दिवाली जैसा कुछ कहीं नहीं। यह रोशनी का त्योहार यहां इतिहास और संस्कृति से जुड़

जाता है।"