बनास नदी में फंसे दो छात्र, कॉन्स्टेबल की बहादुरी ने बचाई जान...

आबूरोड में बनास नदी में नहाने गए दो छात्र, सुरेश और भरत, तेज बहाव में फंस गए। सुरेश को पुलिस और ग्रामीणों ने बचा लिया, जबकि भरत दो घंटे तक पत्थर पर फंसा रहा। कॉन्स्टेबल शंभूराम ने रस्सी के सहारे नदी में उतरकर भरत को सुरक्षित निकाला। यह हादसा सावधानी और साहस की मिसाल बन गया।

Aug 24, 2025 - 14:38
Aug 24, 2025 - 14:39
बनास नदी में फंसे दो छात्र, कॉन्स्टेबल की बहादुरी ने बचाई जान...

आबूरोड, राजस्थान में रविवार की सुबह एक दिल दहला देने वाला हादसा होते-होते टल गया, जब बनास नदी के तेज बहाव में फंसे दो छात्रों की जान पुलिस और ग्रामीणों की तत्परता से बचाई गई। यह घटना आदर्श विद्या मंदिर स्कूल के पीछे बहने वाली बनास नदी में हुई, जहां सियावा जनजाति छात्रावास के दो छात्र, सुरेश कुमार (कक्षा 11) और भरत कुमार (कक्षा 10), नहाने के दौरान मुसीबत में फंस गए।

हादसे का विवरण

घटना रविवार सुबह की है, जब दोनों छात्र नहाने के लिए बनास नदी में उतरे। नदी में उस समय पानी का बहाव तेज था, जिसके कारण दोनों छात्र बह गए और तेज धारा में फंस गए। सुबह करीब 11:30 बजे ग्रामीणों और पुलिस की त्वरित कार्रवाई से सुरेश कुमार को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया। हालांकि, भरत कुमार नदी के बीच में एक बड़े पत्थर पर फंस गया और करीब दो घंटे तक वहां डरा-सहमा रहा। चारों ओर तेज बहाव के कारण उसका बचाव कार्य चुनौतीपूर्ण हो गया था।

कॉन्स्टेबल शंभूराम की बहादुरी

स्थानीय लोगों ने तुरंत पुलिस को सूचना दी, जिसके बाद आबूरोड शहर थाने की टीम मौके पर पहुंची। इस बचाव अभियान में कॉन्स्टेबल शंभूराम ने अदम्य साहस का परिचय दिया। उन्होंने रस्सी के सहारे नदी के तेज बहाव में उतरकर भरत कुमार को सुरक्षित बाहर निकाला। इस दौरान ग्रामीणों ने भी पुलिस का पूरा साथ दिया। करीब दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद भरत को सकुशल बचा लिया गया।

पुलिस और ग्रामीणों की तत्परता

इस घटना में पुलिस की त्वरित प्रतिक्रिया और ग्रामीणों के सहयोग ने बड़ा हादसा होने से रोक लिया। दोनों छात्रों को सुरक्षित निकालने के बाद उनकी हालत स्थिर बताई गई। घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय प्रशासन भी सतर्क हो गया और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नदी किनारे सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है।

बनास नदी और खतरे

बनास नदी, जो राजस्थान के अरावली पर्वतमाला से निकलती है, बरसात के मौसम में तेज बहाव के लिए जानी जाती है। यह नदी गर्मियों में अक्सर सूख जाती है, लेकिन मानसून के दौरान इसका जलस्तर बढ़ जाता है, जिससे यह खतरनाक हो जाती है। इस हादसे ने एक बार फिर नदी में नहाने के खतरों को उजागर किया है, खासकर उन जगहों पर जहां कोई चेतावनी बोर्ड या सुरक्षा व्यवस्था नहीं है।

प्रशासन की प्रतिक्रिया

हादसे के बाद स्थानीय प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। पुलिस ने इस घटना की जांच शुरू कर दी है ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या लापरवाही या अन्य कारणों ने इस हादसे को जन्म दिया। साथ ही, भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नदी किनारे चेतावनी बोर्ड लगाने और सुरक्षा उपायों को बढ़ाने की योजना बनाई जा रही है।

यह हादसा एक सबक है कि प्राकृतिक जलस्रोतों के पास सावधानी बरतना कितना जरूरी है। कॉन्स्टेबल शंभूराम की वीरता और ग्रामीणों के सहयोग ने न केवल दो छात्रों की जान बचाई, बल्कि यह भी दिखाया कि एकजुटता और त्वरित कार्रवाई से किसी भी आपदा को टाला जा सकता है। इस घटना ने स्थानीय समुदाय में जागरूकता पैदा की है और प्रशासन को सुरक्षा उपायों पर और ध्यान देने के लिए प्रेरित किया है।