बामनवास विधायक इंदिरा मीणा को हाईकोर्ट से राहत, बीजेपी मंडल अध्यक्ष की FIR पर दंडात्मक कार्रवाई रुकी
सवाई माधोपुर के बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बीजेपी मंडल अध्यक्ष की ओर से दर्ज एक एफआईआर को लेकर चल रहा विवाद अब नया मोड़ ले चुका है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने इस मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है, जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार काफी गरमाया हुआ है।

भूमि यादव
जयपुर : बामनवास विधायक इंदिरा मीणा को हाईकोर्ट से राहत, बीजेपी मंडल अध्यक्ष की FIR पर दंडात्मक कार्रवाई रुकी....
सवाई माधोपुर के बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। बीजेपी मंडल अध्यक्ष की ओर से दर्ज एक एफआईआर को लेकर चल रहा विवाद अब नया मोड़ ले चुका है। जस्टिस समीर जैन की अदालत ने इस मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है, जिसके बाद सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार काफी गरमाया हुआ है।
बता दे कि बामनवास से कांग्रेस विधायक इंदिरा मीणा के खिलाफ बीजेपी मंडल अध्यक्ष हनुमत दीक्षित की शिकायत पर दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस समीर जैन ने पुलिस को तथ्यात्मक रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है और साथ ही विधायक के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
हालांकि,मामला दो साल पुराना है ...जब सवाई माधोपुर के बौंली में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा का अनावरण हुआ था। इस दौरान पीडब्ल्यूडी की ओर से बनाए जा रहे चौराहे का शिलान्यास विधायक इंदिरा मीणा ने किया था, जिसमें उनके और तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम पट्टिका पर अंकित था। लेकिन इस साल 13 अप्रैल को, अंबेडकर जयंती से ठीक एक दिन पहले, इस पट्टिका को लेकर विधायक और बीजेपी मंडल अध्यक्ष हनुमत दीक्षित के बीच तीखी नोकझोंक हो गई।
आइए अब बात करते है विवाद का कारण की बीजेपी मंडल अध्यक्ष हनुमत दीक्षित और प्रधान कृष्ण पोसवाल पर आरोप लगा कि उन्होंने विधायक और पूर्व सीएम के नाम वाली पट्टिका हटा दी। इसकी सूचना मिलते ही इंदिरा मीणा मौके पर पहुंचीं, जहां उनका बीजेपी मंडल अध्यक्ष से विवाद हो गया। आरोप है कि इस दौरान विधायक ने हनुमत दीक्षित के साथ हाथापाई की, उनकी कॉलर पकड़कर खींची और शर्ट फाड़ दी। विधायक का कहना था, “जयंती को शांति से क्यों नहीं मनाने दे रहे? ये लोग दंगे करवाना चाहते हैं।”
विवाद बढ़ने पर इंदिरा मीणा ने एसडीएम को फोन कर कड़े शब्दों में कहा, “एसडीएम साहब, इतने दब्बू मत बनो। समय-समय की बात है, सरकार की इतनी गुलामी मत करो। सरकार के लोग पुलिस को गालियां दे रहे हैं और पट्टिकाएं तोड़ रहे हैं।” इस घटना के बाद बीजेपी मंडल अध्यक्ष ने विधायक के खिलाफ मारपीट और गाड़ी में तोड़फोड़ का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।
हाईकोर्ट में विधायक की दलील ...
इंदिरा मीणा की ओर से वकील कृतेश ओसवाल ने हाईकोर्ट में दलील दी कि यह एफआईआर राजनीतिक द्वेषता से प्रेरित है और इसमें लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। उन्होंने बताया कि परिवादी ने मारपीट का दावा किया, लेकिन कोई मेडिकल जांच नहीं कराई, जो उनके आरोपों की सत्यता पर सवाल उठाता है। इसके साथ ही, विधायक की ओर से घटना के फोटो और वीडियो सबूत के तौर पर कोर्ट में पेश किए गए।
बात करें हाईकोर्ट के फैसला की तो जस्टिस समीर जैन की अदालत ने मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस से तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है और अगली सुनवाई तक विधायक के खिलाफ किसी भी तरह की दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी है। इस फैसले ने जहां कांग्रेस खेमे में राहत की सांस दी है, वहीं बीजेपी इसे राजनीतिक नजरिए से देख रही है।
यह मामला अब न केवल कानूनी, बल्कि सियासी रंग भी ले चुका है। दोनों पक्षों के बीच तनातनी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हाईकोर्ट की अगली सुनवाई में पुलिस की तथ्यात्मक रिपोर्ट और पेश किए गए सबूतों के आधार पर इस मामले में नया मोड़ आ सकता है। फिलहाल, इंदिरा मीणा को मिली राहत ने सवाई माधोपुर की सियासत में एक नई बहस छेड़ दी है।