"चाय भी नशा, युवा रहें सावधान: हेमाराम चौधरी का नशामुक्ति का अनोखा संदेश"
कांग्रेस के दिग्गज नेता हेमाराम चौधरी का अनोखा बयान: 'चाय भी एक नशा, युवा पीढ़ी इससे दूर रहें'बाड़मेर, 5 अक्टूबर 2025 (विशेष संवाददाता): राजस्थान की राजनीति के सूरमा और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता हेमाराम चौधरी ने आज नशामुक्ति के संदर्भ में एक ऐसा बयान दिया, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। एक स्थानीय कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए चौधरी ने युवा पीढ़ी को नशे की लत से दूर रहने की सलाह देते हुए कहा, "चाय भी एक नशा है। आज की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रहना चाहिए।" उनका यह बयान न केवल नशामुक्त भारत अभियान से जुड़ा लगता है, बल्कि युवाओं के बीच बढ़ती लत की समस्या पर गंभीर चिंता भी जाहिर करता है।हेमाराम चौधरी, जो गुड़ामालानी विधानसभा क्षेत्र से पूर्व विधायक और राजस्थान सरकार में पूर्व कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं, को 'मारवाड़ का गांधी' के रूप में जाना जाता है। उनकी सादगी और जनसेवा के प्रति समर्पण की मिसालें कायम हैं। 77 वर्षीय चौधरी ने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा किसानों, मजदूरों और युवाओं के मुद्दों को प्राथमिकता दी है। हाल ही में मार्च 2024 में एक कार्यक्रम में उन्होंने चुनाव लड़ने को भी "नशा" करार देते हुए कहा था, "चुनाव लड़ने का मैंने नशा छोड़ दिया है, आप भी इस नशे को छोड़ दो।" आज का उनका बयान उसी निरंतरता का हिस्सा लगता है, जहां वे रोजमर्रा की आदतों को भी नशे के रूप में चिह्नित कर युवाओं को सजग कर रहे हैं।कार्यक्रम बाड़मेर जिले के एक सामुदायिक सभा में आयोजित था, जहां नशामुक्ति और युवा जागरूकता पर चर्चा हो रही थी। चौधरी ने कहा, "नशा सिर्फ शराब या ड्रग्स तक सीमित नहीं है। चाय जैसी छोटी-छोटी चीजें भी आदत बन जाती हैं और जीवन को बंधन में जकड़ लेती हैं। युवा पीढ़ी को इनसे बचना चाहिए, ताकि वे स्वस्थ और उत्पादक बन सकें।" उनका यह बयान वीडियो के रूप में सोशल मीडिया पर तेजी से फैल गया, जहां इसे हजारों व्यूज मिल चुके हैं। कई यूजर्स ने इसे सराहा, तो कुछ ने चाय की सांस्कृतिक महत्वता का हवाला देकर हल्का-फुल्का विरोध भी जताया।चौधरी का यह बयान वर्तमान संदर्भ में बेहद प्रासंगिक है। भारत में नशे की समस्या तेजी से बढ़ रही है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, 18-40 वर्ष के युवाओं में 75-85 प्रतिशत किसी न न किसी रूप में नशे की गिरफ्त में हैं, चाहे वह गांजा, चरस हो या फिर कैफीन युक्त पेय। ब्रह्माकुमारीज जैसे संगठनों द्वारा आयोजित युवा शिखर सम्मेलनों में भी इस मुद्दे पर जोर दिया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर भाजयुमो द्वारा 'नमो युवा दौड़' जैसे कार्यक्रमों ने भी नशामुक्त भारत का संदेश दिया। चौधरी का बयान इसी अभियान को मजबूती प्रदान करता है।हेमाराम चौधरी का जीवन स्वयं प्रेरणा का स्रोत है। बाड़मेर के बायतु गांव में 1948 में जन्मे चौधरी ने कभी सत्ता के लालच में नहीं पड़े। वे विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष रह चुके हैं, फिर भी बस में सफर करने और आम जनता के साथ रहने से कभी नहीं हिचके। उन्होंने अपने निजी खर्चे पर 'वीरेंद्र धाम' छात्रावास बनवाया, जहां सैकड़ों युवा पढ़ाई कर रहे हैं। किसानों के अधिकारों के लिए सड़क से संसद तक संघर्ष करने वाले चौधरी का मानना है कि युवा ही देश का भविष्य हैं। "नशा छोड़ो, शिक्षा और मेहनत को अपनाओ," यह उनका संदेश है।सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं मिली-जुली हैं। कुछ यूजर्स ने लिखा, "चौधरी साहब सही कह रहे हैं, चाय की लत भी स्वास्थ्य बिगाड़ती है।" वहीं, अन्य ने चुटकी ली, "चाय के बिना जिंदगी अधूरी, लेकिन नशे से तो बेहतर!" चौधरी के समर्थक मानते हैं कि उनका यह बयान युवाओं को सोचने पर मजबूर करेगा।कांग्रेस पार्टी ने भी इस बयान का समर्थन किया है। पार्टी प्रवक्ता ने कहा, "हेमाराम जी जैसे नेता ही कांग्रेस की ताकत हैं। उनका संदेश नशामुक्त राजस्थान की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।" आने वाले दिनों में चौधरी के इस अभियान को और विस्तार मिलने की उम्मीद है। युवा पीढ़ी के लिए यह बयान एक जागृति का संकेत है—नशे की हर रूप से मुक्ति ही सच्ची आजादी है।