आसाराम की जोधपुर जेल में हुई वापसी,मेडिकल जमानत रद्द, नाबालिग रेप मामले में सरेंडर...

नाबालिग से रेप के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कथित संत आसाराम बापू को जोधपुर सेंट्रल जेल में 30 अगस्त 2025 को सरेंडर करना पड़ा। राजस्थान हाईकोर्ट ने उनकी मेडिकल आधार वाली अंतरिम जमानत को 27 अगस्त को बढ़ाने से इनकार कर दिया, क्योंकि अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की रिपोर्ट में उनकी स्थिति गंभीर नहीं पाई गई। 2013 के जोधपुर आश्रम दुष्कर्म मामले और गुजरात के एक अन्य रेप केस में सजा पाने वाले 86 वर्षीय आसाराम की कानूनी लड़ाई जारी है, लेकिन कोर्ट का सख्त रुख और बार-बार जमानत याचिकाओं का खारिज होना उनके लिए बड़ा झटका है।

Aug 30, 2025 - 11:13
आसाराम की जोधपुर जेल में हुई वापसी,मेडिकल जमानत रद्द, नाबालिग रेप मामले में सरेंडर...

जोधपुर: नाबालिग से यौन शोषण के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे कथित संत आसाराम बापू को राजस्थान हाईकोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। 86 वर्षीय आसाराम को 30 अगस्त 2025 की सुबह 10 बजे तक जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर करना पड़ा, क्योंकि राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 अगस्त 2025 को उनकी अंतरिम जमानत को आगे बढ़ाने से इनकार कर दिया। यह जमानत उन्हें मेडिकल आधार पर दी गई थी, लेकिन अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने पाया कि उनकी स्वास्थ्य स्थिति इतनी गंभीर नहीं है कि जमानत को और बढ़ाया जाए।

मामला क्या है?

आसाराम का यह मामला 2013 में तब सुर्खियों में आया, जब उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर की एक 16 वर्षीय नाबालिग लड़की ने जोधपुर के मणई आश्रम में उनके खिलाफ यौन शोषण का आरोप लगाया। पीड़िता मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में आसाराम के आश्रम में पढ़ाई कर रही थी। उसने आरोप लगाया कि 15 अगस्त 2013 को आसाराम ने उसे आश्रम की कुटिया में बुलाकर दुष्कर्म किया। दिल्ली के कमला मार्केट थाने में शिकायत दर्ज होने के बाद मामला जोधपुर पुलिस को सौंपा गया। 31 अगस्त 2013 को जोधपुर पुलिस ने आसाराम को इंदौर के उनके आश्रम से गिरफ्तार किया और 2 सितंबर 2013 को उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। पांच साल की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, 25 अप्रैल 2018 को जोधपुर की विशेष पॉक्सो कोर्ट ने उन्हें दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

इसके अलावा, गुजरात के गांधीनगर में एक अन्य मामले में एक महिला अनुयायी ने 2001 से 2006 के बीच बार-बार यौन शोषण का आरोप लगाया था। इस मामले में भी 31 जनवरी 2023 को गांधीनगर कोर्ट ने आसाराम को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों मामलों में सजा के कारण आसाराम को तब तक जेल में रहना होगा, जब तक दोनों मामलों में राहत न मिल जाए।

मेडिकल आधार पर जमानत और पैरोल की कहानी

86 वर्षीय आसाराम को हृदय रोग सहित कई स्वास्थ्य समस्याओं का हवाला देते हुए समय-समय पर अंतरिम जमानत और पैरोल मिलती रही है। पहली बार 13 अगस्त 2024 को उन्हें पुणे के माधव बाग आयुर्वेदिक अस्पताल में इलाज के लिए 7 दिन की पैरोल दी गई थी। इसके बाद 17 दिन की पैरोल और 5 दिन का विस्तार जोधपुर के एक निजी अस्पताल में इलाज के लिए दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी 7 जनवरी 2025 को गुजरात मामले में मेडिकल आधार पर 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन राजस्थान मामले में राहत नहीं मिलने से उन्हें जेल से बाहर नहीं रहने दिया गया। 

इस साल जनवरी में राजस्थान हाईकोर्ट ने उन्हें 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी, जिसके बाद उनके समर्थकों ने जोधपुर के आरोग्यम अस्पताल के बाहर आतिशबाजी और उत्सव मनाया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की शर्त थी कि आसाराम अपने अनुयायियों से मिल नहीं सकते और न ही मीडिया में बयानबाजी कर सकते हैं। मगर सरकारी वकील ने कोर्ट में दलील दी कि आसाराम ने इन शर्तों का उल्लंघन किया, जिसके बाद उनकी जमानत याचिका पर 2 अप्रैल 2025 को सुनवाई हुई, लेकिन राहत नहीं मिली।

गुजरात हाईकोर्ट ने 19 अगस्त 2025 को उनकी अंतरिम जमानत को 3 सितंबर तक बढ़ाया था, क्योंकि वे उस समय अहमदाबाद के सिविल हॉस्पिटल में आईसीयू में भर्ती थे। लेकिन राजस्थान हाईकोर्ट ने 27 अगस्त 2025 को उनकी मेडिकल स्थिति को गंभीर न मानते हुए जमानत अवधि बढ़ाने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने अहमदाबाद सिविल हॉस्पिटल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि उनकी स्थिति जमानत के लिए पर्याप्त गंभीर नहीं है।

जेल में सरेंडर और मौजूदा स्थिति

30 अगस्त 2025 को आसाराम ने जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर कर दिया। इससे पहले अप्रैल 2025 में भी उन्होंने पैर में प्लास्टर के साथ जेल में सरेंडर किया था, जब उनकी अंतरिम जमानत 31 मार्च को खत्म हो गई थी। उस समय वे व्हीलचेयर के जरिए अपनी बैरक तक पहुंचे थे। कोर्ट ने उनकी उम्र और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जेल में व्हीलचेयर और सहायक की सुविधा दी है, साथ ही जोधपुर एम्स में जांच की अनुमति भी दी है। 

सुरक्षा और समर्थकों का रुख

आसाराम की जमानत अवधि बढ़ने या सरेंडर की खबरों के बाद उनके समर्थकों में उत्साह देखा गया। जनवरी 2025 में जमानत मिलने पर उनके अनुयायियों ने जोधपुर के आरोग्यम अस्पताल के बाहर नाच-गाकर जश्न मनाया था। हालांकि, कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए उन्हें अनुयायियों से मिलने और बयानबाजी से मना किया है। दूसरी ओर, पीड़िता के परिवार ने शाहजहांपुर में अपनी सुरक्षा को लेकर चिंता जताई है। इसके चलते पुलिस ने उनके घर पर गार्ड, सीसीटीवी, और सुरक्षा गनर तैनात किए हैं। 

आसाराम की कानूनी लड़ाई

पिछले 12 सालों में आसाराम ने जमानत के लिए कई बड़े वकीलों की सेवाएं लीं, जिनमें राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद, और सुब्रमण्यम स्वामी जैसे नाम शामिल हैं। इसके बावजूद, उनकी 12 से ज्यादा जमानत याचिकाएं अलग-अलग कोर्ट्स में खारिज हो चुकी हैं। 2014 में जोधपुर में हत्या की धमकी और 2017 में फर्जी दस्तावेज देने के मामले भी उनके खिलाफ दर्ज हुए। 

आसाराम का मामला देश में महिला सुरक्षा और धार्मिक गुरुओं की जवाबदेही पर सवाल उठाता रहा है। उनकी सजा और बार-बार जमानत याचिकाओं ने इस मामले को सुर्खियों में रखा। अब, 30 अगस्त 2025 को जोधपुर सेंट्रल जेल में सरेंडर के साथ उनकी कानूनी लड़ाई एक नए मोड़ पर है, लेकिन सजा के खिलाफ उनकी अपील अभी भी कोर्ट में लंबित है।