अरुण चतुर्वेदी बने राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष, नरेश ठकराल को सचिव की जिम्मेदारी

राजस्थान में पूर्व बीजेपी अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष और पूर्व आईएएस नरेश ठकराल को सचिव नियुक्त किया गया है। वित्त विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी।

Aug 2, 2025 - 18:30
अरुण चतुर्वेदी बने राजस्थान राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष, नरेश ठकराल को सचिव की जिम्मेदारी

राजस्थान में एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक नियुक्ति ने सुर्खियां बटोरी हैं। पूर्व बीजेपी अध्यक्ष और वसुंधरा राजे सरकार में समाज कल्याण मंत्री रहे अरुण चतुर्वेदी को राज्य वित्त आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। उनके साथ-साथ पूर्व आईएएस अधिकारी नरेश ठकराल को आयोग का सचिव बनाया गया है। इस नियुक्ति को लेकर वित्त विभाग ने देर रात अधिसूचना जारी कर दी, जिसने राज्य के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा का माहौल बना दिया है।

अरुण चतुर्वेदी: अनुभव और नेतृत्व का संगम

अरुण चतुर्वेदी राजस्थान की राजनीति में एक जाना-माना नाम हैं। बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने संगठन को मजबूती प्रदान की और वसुंधरा राजे सरकार में समाज कल्याण मंत्री के रूप में अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया। अब राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष के रूप में उनकी नियुक्ति से सरकार ने उनके अनुभव और नेतृत्व पर भरोसा जताया है। यह नियुक्ति न केवल उनकी राजनीतिक क्षमता को दर्शाती है, बल्कि राज्य की वित्तीय नीतियों को और सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

नरेश ठकराल: वित्तीय विशेषज्ञता का लाभ

पूर्व आईएएस अधिकारी नरेश ठकराल को आयोग का सचिव नियुक्त किया गया है। वित्त विभाग में लंबे समय तक अपनी सेवाएं दे चुके ठकराल अपनी प्रशासनिक कुशलता और वित्तीय मामलों में विशेषज्ञता के लिए जाने जाते हैं। उनकी नियुक्ति से आयोग को वित्तीय नीतियों के विश्लेषण और कार्यान्वयन में मजबूती मिलने की उम्मीद है। ठकराल का अनुभव आयोग के लिए एक महत्वपूर्ण संपत्ति साबित हो सकता है, खासकर जब बात पंचायतों और शहरी निकायों के लिए संसाधनों के आवंटन और प्रबंधन की हो।

राज्य वित्त आयोग: कार्य और जिम्मेदारियां

राज्य वित्त आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसका गठन राज्य की वित्तीय स्थिति की समीक्षा और स्थानीय निकायों को वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। आयोग का कार्यकाल 1 अप्रैल 2025 से शुरू होकर अगले डेढ़ वर्ष तक रहेगा। इस दौरान आयोग निम्नलिखित प्रमुख जिम्मेदारियों को निभाएगा:

  • पंचायतों के लिए ग्रांट निर्धारण: आयोग पंचायतों के लिए ग्रांट की सिफारिश करेगा, जिसके आधार पर सरकार इन निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।

  • टैक्स और शुल्क की दरें: पंचायतों में वित्तीय संसाधनों को बढ़ाने के लिए टोल, शुल्क और टैक्स की दरें निर्धारित करने की सिफारिश करना।

  • शहरी निकायों की समीक्षा: शहरी स्थानीय निकायों की वित्तीय स्थिति का विश्लेषण और सुधार के लिए सुझाव देना।

  • केंद्रीय वित्त आयोग के साथ समन्वय: 16वें केंद्रीय वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर स्थानीय निकायों को दी जाने वाली सहायता राशि का समायोजन।

आयोग का कार्यकाल डेढ़ वर्ष बाद भी सरकार द्वारा बढ़ाया जा सकता है, जैसा कि पूर्ववर्ती सरकारों में होता रहा है।

एक नई शुरुआत, लेकिन दर्जा स्पष्ट नहीं

अरुण चतुर्वेदी की नियुक्ति को लेकर जहां उत्साह है, वहीं उनके दर्जे को लेकर अभी कोई स्पष्ट आदेश जारी नहीं हुआ है। आमतौर पर राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता रहा है। उदाहरण के लिए, पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में प्रद्युम्न सिंह को अध्यक्ष बनाया गया था और उन्हें कैबिनेट मंत्री का दर्जा प्राप्त था। इसके अलावा, बीजेपी नेता अशोक लाहोटी को आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया था। चतुर्वेदी के दर्जे को लेकर जल्द ही स्थिति स्पष्ट होने की उम्मीद है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .