अमेरिका के 25% टैरिफ से जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट निर्यात पर संकट के बादल, 2500 करोड़ का व्यापार खतरे में.....
अमेरिका द्वारा भारतीय आयात पर 25% टैरिफ लगाने से जोधपुर का 2500 करोड़ रुपये का वार्षिक हैंडीक्राफ्ट निर्यात संकट में है। इस टैरिफ से उत्पादों की लागत बढ़ेगी, जिससे अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा कम होगी। वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों को कम टैरिफ के कारण बढ़त मिल रही है। जोधपुर के निर्यातक और कारीगर चिंतित हैं, क्योंकि ऑर्डर रुक गए हैं और गोदामों में माल अटक रहा है। भारत सरकार वैकल्पिक बाजारों और व्यापारिक वार्ता के जरिए समाधान तलाश रही है।

जोधपुर, राजस्थान का वह शहर जो अपनी समृद्ध हस्तकला और हैंडीक्राफ्ट उद्योग के लिए विश्व प्रसिद्ध है, अब एक बड़े आर्थिक संकट का सामना कर रहा है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर 1 अगस्त 2025 से 25% टैरिफ और अतिरिक्त जुर्माना लगाने की घोषणा ने जोधपुर के निर्यातकों को चिंता में डाल दिया है। यह टैरिफ जोधपुर के लगभग 2500 करोड़ रुपये के वार्षिक हैंडीक्राफ्ट निर्यात को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है, जिससे स्थानीय उद्यमियों और कारीगरों की आजीविका पर खतरा मंडरा रहा है।
टैरिफ का जोधपुर पर प्रभाव
जोधपुर से अमेरिका को लकड़ी, धातु, चमड़ा, ऊंट की हड्डी, कांच और टेक्सटाइल जैसे पारंपरिक हस्तनिर्मित उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है। यह शहर भारत के कुल हैंडीक्राफ्ट निर्यात का एक महत्वपूर्ण हिस्सा योगदान देता है, जिसमें से लगभग 2500 करोड़ रुपये का व्यापार अकेले अमेरिका के साथ है। हालांकि, अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% टैरिफ के कारण इन उत्पादों की लागत में भारी वृद्धि होगी, जिससे वे अमेरिकी बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो सकते हैं।
प्रतिस्पर्धा में बढ़त हासिल कर रहे अन्य देश
अमेरिका ने भारत पर 25% टैरिफ लगाया है, जबकि वियतनाम पर 20% और इंडोनेशिया पर 19% टैरिफ लागू किया गया है। यह अंतर जोधपुर के निर्यातकों के लिए और भी चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देश पहले से ही टेक्सटाइल और हैंडीक्राफ्ट जैसे क्षेत्रों में भारत के प्रतिस्पर्धी हैं। वियतनाम की मजबूत सप्लाई चेन और अमेरिकी खरीदारों के साथ स्थापित संबंध उसे इस टैरिफ युद्ध में बढ़त दे रहे हैं। इसके विपरीत, बांग्लादेश (35% टैरिफ) और श्रीलंका (30% टैरिफ) जैसे देशों की स्थिति भारत से भी बदतर है, लेकिन यह जोधपुर के निर्यातकों के लिए कोई राहत की बात नहीं है।
आर्थिक नुकसान और अनिश्चितता
विश्लेषकों का अनुमान है कि इस टैरिफ के कारण भारत के कुल निर्यात में 2 से 7 अरब डॉलर तक का नुकसान हो सकता है, जिसमें हैंडीक्राफ्ट उद्योग का हिस्सा भी शामिल है। जोधपुर के लिए यह नुकसान विशेष रूप से गंभीर है, क्योंकि शहर का हैंडीक्राफ्ट उद्योग पहले से ही वैश्विक मंदी और 18% जीएसटी जैसी घरेलू चुनौतियों से जूझ रहा है। निर्यातक मनीष झंवर ने चेतावनी दी कि यदि टैरिफ हटाया नहीं गया, तो धातु आधारित हैंडीक्राफ्ट का व्यापार पूरी तरह ठप हो सकता है, जैसा कि पहले 28% मेटल टैरिफ के बाद देखा गया था।
ट्रंप की रणनीति और भारत की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने इस टैरिफ को भारत के उच्च शुल्कों और रूस के साथ रक्षा और ऊर्जा संबंधों के जवाब में लगाया है। उन्होंने भारत को "टैरिफ किंग" करार देते हुए कहा कि भारत अमेरिकी उत्पादों पर 100% से 175% तक शुल्क लगाता है, जिससे अमेरिका को व्यापारिक नुकसान हो रहा है। इसके अलावा, भारत की BRICS सदस्यता और रूस से तेल व सैन्य उपकरण खरीद को भी ट्रंप ने "अमेरिका विरोधी" करार दिया है।
भारत सरकार ने इस पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते पर बातचीत जारी है, और भारत एक निष्पक्ष डील के लिए प्रतिबद्ध है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि भारत को यूरोपीय संघ, जापान और आसियान देशों जैसे वैकल्पिक बाजारों पर ध्यान देना चाहिए ताकि अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव को कम किया जा सके।
जोधपुर के निर्यातकों के लिए यह समय कठिन है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट नए अवसर भी ला सकता है। यदि भारत सरकार टैरिफ वार्ता में सफल होती है या वैकल्पिक बाजारों में निर्यात बढ़ाने की रणनीति बनाती है, तो नुकसान को कम किया जा सकता है। इसके अलावा, यदि अमेरिका चीन पर और भारी टैरिफ लगाता है, तो जोधपुर के हैंडीक्राफ्ट निर्यातकों को प्रतिस्पर्धा में कुछ राहत मिल सकती है।
फिलहाल, जोधपुर के कारीगर और निर्यातक इस अनिश्चितता के बीच उम्मीद की किरण तलाश रहे हैं। यह टैरिफ न केवल उनके व्यवसाय को प्रभावित कर रहा है, बल्कि राजस्थान की सांस्कृतिक विरासत को विश्व मंच पर ले जाने वाले इस उद्योग के भविष्य पर भी सवाल उठा रहा है।