"40वां थार महोत्सव: बाड़मेर में सांस्कृतिक रंगों और रेगिस्तानी विरासत की धूम"
बाड़मेर में धूमधाम से मनाया जाएगा 40 वर्ष पुराना थार महोत्सव,
राजस्थान के रेगिस्तानी जिले बाड़मेर में थार महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। यह आयोजन अब 40 साल का हो चुका है, जो स्थानीय संस्कृति, परंपराओं और रंग-बिरंगे लोक कला को एक छत के नीचे लाने के लिए जाना जाता है। इस बार का उत्सव 8 अक्टूबर से शुरू होकर कई दिनों तक चलेगा, जिसमें पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच राजस्थानी विरासत की झलकियां देखने को मिलेंगी।
मिस और मिस्टर थार श्री का चयन होगा खास प्रतियोगिता,
महोत्सव का एक प्रमुख आकर्षण रहेगा मिस थार श्री और मिस्टर थार श्री का चयन। यह प्रतियोगिता युवाओं की ऊर्जा और सांस्कृतिक जुड़ाव को सामने लाएगी। प्रतिभागी पारंपरिक परिधानों में सज-धजकर भाग लेंगे, जहां नृत्य, संगीत और व्यक्तित्व परीक्षण के आधार पर विजेताओं का फैसला होगा। यह इवेंट न केवल मनोरंजन का स्रोत बनेगा, बल्कि थार क्षेत्र की युवा प्रतिभाओं को नई पहचान भी देगा।
किराडू के प्राचीन मंदिरों में सजीव सांस्कृतिक झांकियां,
किराडू के ऐतिहासिक मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, जो थार की समृद्ध विरासत को जीवंत करेंगे। यहां परंपरागत लोक नृत्य जैसे घूमर, कालबेलिया और तेरह ताल की प्रस्तुतियां देखने को मिलेंगी। साथ ही, स्थानीय कलाकारों द्वारा गायन और वाद्ययंत्रों की धुनें रेगिस्तानी हवाओं में घुलमिल जाएंगी। किराडू के खंडहरों के बीच ये कार्यक्रम पर्यटकों को इतिहास और संस्कृति के संगम का अनुभव प्रदान करेंगे।महाबार धोरे पर रंगारंग आयोजन,
महाबार के विशाल रेतीले धोरों (रेगिस्तानी इलाकों) पर भी विशेष सांस्कृतिक इवेंट्स का आयोजन होगा। यह जगह थार महोत्सव की आत्मा मानी जाती है, जहां ऊंटों की सवारी, लोक कथाओं पर आधारित नाट्य प्रस्तुतियां और पारंपरिक खेलों का प्रदर्शन होगा। रेत के टीले पर्यटकों को रेगिस्तानी जीवनशैली का जीता-जागता चित्रण दिखाएंगे, जिसमें ऊंट दौड़ और लोकगीतों की महफिल शामिल होगी। ये कार्यक्रम पर्यावरण के अनुकूल तरीके से आयोजित किए जाएंगे, ताकि थार की प्राकृतिक सुंदरता बनी रहे।अन्य आकर्षण और महत्वइस महोत्सव में हस्तशिल्प मेला भी लगेगा, जहां थार के कारीगर अपने हाथों के बनाए चंदेरी, लकड़ी की नक्काशी और ऊंट के चमड़े के सामान बेचेंगे। पर्यटक यहां राजस्थानी व्यंजनों का स्वाद ले सकेंगे, जैसे केर-सांगरी की सब्जी और बाजरे की रोटी। आयोजकों के अनुसार, यह उत्सव न केवल आर्थिक रूप से जिले को मजबूत बनाएगा, बल्कि सांस्कृतिक पर्यटन को बढ़ावा भी देगा। पिछले 40 वर्षों से चली आ रही यह परंपरा बाड़मेर को वैश्विक पटल पर चमकाने का माध्यम बनी हुई है।