बाड़मेर में दो घंटे की खुशी: 1491 शिक्षकों का स्थायीकरण आदेश जारी होते ही रद्द, निराशा का बादल

बाड़मेर में शिक्षकों के स्थायीकरण का आदेश मात्र दो घंटे में ही वापस: 1491 प्रथम व द्वितीय श्रेणी अध्यापकों पर क्या पड़ा असर?
राजस्थान के बाड़मेर जिले में शिक्षा विभाग के एक महत्वपूर्ण फैसले ने हलचल मचा दी है। एक ओर जहां 1491 प्रथम और द्वितीय श्रेणी के अध्यापकों को स्थायी नौकरी की खुशखबरी मिली, वहीं मात्र दो घंटे बाद ही यह आदेश रद्द हो गया। यह घटना जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की एक बैठक के तुरंत बाद सामने आई, जिससे शिक्षक समुदाय में निराशा और आश्चर्य का माहौल बन गया।
घटना की शुरुआत: बैठक और स्थायीकरण का आदेश
बाड़मेर जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) कार्यालय में हाल ही में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई। बैठक में विभागीय अधिकारियों, शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन के सदस्य शामिल थे। चर्चा का मुख्य फोकस उन अनुबंधित शिक्षकों पर था जो वर्षों से अस्थायी पदों पर सेवा दे रहे हैं। इनमें प्रथम श्रेणी (वरिष्ठ अध्यापक) और द्वितीय श्रेणी (वरिष्ठ सहायक अध्यापक) के कुल 1491 कर्मचारी शामिल थे।बैठक के निष्कर्ष के रूप में, डीईओ ने एक औपचारिक आदेश जारी किया, जिसमें इन सभी शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से स्थायी करने की घोषणा की गई। यह फैसला राजस्थान सरकार की उस नीति के अनुरूप था, जिसमें लंबे समय से सेवा दे रहे अनुबंधित कर्मचारियों को नियमित पदों पर समायोजित करने का प्रावधान है। आदेश में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया था कि इन शिक्षकों की सेवा शर्तें, वेतनमान और पेंशन लाभ अब स्थायी कर्मचारियों के समान होंगे।
इस घोषणा से क्षेत्र के स्कूलों में कार्यरत ये अध्यापक बेहद उत्साहित हो उठे। कई शिक्षक संगठनों ने इसे एक ऐतिहासिक कदम बताते हुए सराहना की, क्योंकि इससे न केवल उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होती, बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता।
अचानक ट्विस्ट: दो घंटे बाद रद्दगी का आदेश
खुशी का यह क्षण ज्यादा देर नहीं टिका। आदेश जारी होने के ठीक दो घंटे बाद ही डीईओ कार्यालय से एक संशोधित नोटिफिकेशन जारी हो गया, जिसमें पूर्व आदेश को पूर्णतः रद्द कर दिया गया। नए आदेश में कहा गया कि स्थायीकरण की प्रक्रिया में कुछ तकनीकी खामियां थीं, जिन्हें सुधारने की आवश्यकता है। सूत्रों के अनुसार, यह रद्दगी उच्च शिक्षा विभाग के मुख्यालय से प्राप्त एक तत्काल निर्देश के बाद हुई। विभाग ने स्पष्ट किया कि राज्य स्तर पर चल रही समीक्षा प्रक्रिया के कारण स्थानीय स्तर पर ऐसे फैसले लेना उचित नहीं है।
इस बदलाव से प्रभावित 1491 शिक्षकों में हड़बड़ी मच गई। कई अध्यापकों ने बताया कि वे अपने परिवारों को इस खुशखबरी के बारे में बता चुके थे, और अब यह अचानक रद्दीकरण उनकी योजनाओं पर पानी फेर गया है। एक वरिष्ठ अध्यापक ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "हम वर्षों से इंतजार कर रहे थे। यह फैसला हमारी मेहनत का फल था, लेकिन अब फिर अनिश्चितता का दौर शु
रू हो गया।"