94 साल की 'गोल्डन दादी' का जोश उम्र की सीमाओं को तोड़ती हुई RLP स्थापना दिवस के मंच पर पहुंची पानदेवी गोदारा, पार्टी को दिया जीत का आशीर्वाद.

94 वर्षीया 'गोल्डन दादी' पानदेवी गोदारा ने बीकानेर में RLP स्थापना दिवस के मंच पर पहुंचकर सबको प्रेरित किया। पारंपरिक परिधान में मंच चढ़ीं, हनुमान बेनीवाल को गले लगाया और पार्टी को चुनावी जीत का आशीर्वाद दिया। 92-93 साल की उम्र में नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स में 6 गोल्ड जीत चुकीं दादी अब स्वीडन वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी कर रही हैं। उनका संदेश: उम्र नहीं, जज्बा मायने रखता है!

Oct 29, 2025 - 17:16
94 साल की 'गोल्डन दादी' का जोश उम्र की सीमाओं को तोड़ती हुई RLP स्थापना दिवस के मंच पर पहुंची पानदेवी गोदारा, पार्टी को दिया जीत का आशीर्वाद.

बीकानेर, 29 अक्टूबर 2025: उम्र महज एक अंक है, ये बात साबित कर दिखाने वाली राजस्थान की प्रेरणास्रोत 'गोल्डन दादी' पानदेवी गोदारा ने एक बार फिर सबको हैरान कर दिया। 94 वर्ष की इस दिग्गज एथलीट ने बुधवार को बीकानेर में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (RLP) के स्थापना दिवस समारोह के मंच पर शिरकत की। पारंपरिक घाघरा-ओढ़नी पहनकर मंच पर चढ़ीं पानदेवी ने न सिर्फ अपनी ऊर्जा से सभी को प्रेरित किया, बल्कि पूरे दल को आशीर्वाद देकर आने वाले चुनावों में जीत की कामना की। ये नजारा ऐसा था कि मंच पर मौजूद नेता-कार्यकर्ता भावुक हो उठे, और सोशल मीडिया पर 'गोल्डन दादी' का नाम ट्रेंड करने लगा।

पानदेवी गोदारा कौन हैं? एक संघर्षपूर्ण जीवन की प्रेरक कहानी

पानदेवी गोदारा, जिन्हें प्यार से 'गोल्डन दादी' कहा जाता है, राजस्थान के बीकानेर जिले के नोखा तहसील के गांव अणखीसर की रहने वाली हैं। उनका जन्म 1931 में हुआ था, और जीवन भर उन्होंने गरीबी व कठिनाइयों से जूझते हुए मजदूरी की। खेतों में काम करना, घर संभालना—ये उनकी दिनचर्या का हिस्सा था। लेकिन 80 पार होते-होते उन्होंने फैसला लिया कि उम्र अब रुकावट नहीं बनेगी। उनके पोते जयकिशन गोदारा, जो खुद एक एथलीट हैं, ने उन्हें प्रोत्साहित किया। जयकिशन ने न सिर्फ ट्रेनिंग दी, बल्कि दादी के जज्बे को दुनिया के सामने लाने में भी अहम भूमिका निभाई।पानदेवी का एथलेटिक सफर 2024 में शुरू हुआ, जब उन्होंने 92 साल की उम्र में पुणे में आयोजित 44वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हिस्सा लिया। वहां उन्होंने 100 मीटर दौड़, गोला फेंक और तश्तरी फेंक में तीन स्वर्ण पदक जीत लिए। ये उपलब्धि ऐसी थी कि पूरे देश में तालियां गूंजीं। इसके बाद 2025 में कर्नाटक के बेंगलुरु में हुई 45वीं नेशनल मास्टर्स एथलेटिक्स चैंपियनशिप में उन्होंने फिर कमाल कर दिखाया। 93 साल की उम्र में शॉट पुट, 100 मीटर दौड़ और डिस्कस थ्रो में तीन और गोल्ड मेडल अपने नाम किए। खास बात ये रही कि दौड़ के दौरान उनके पैर जख्मी हो गए, फिर भी 45 सेकंड में फिनिश लाइन पार की। पारंपरिक परिधान में ट्रैक पर दौड़ती उनकी तस्वीरें वायरल हो गईं, और लोग उन्हें 'भारत की सबसे तेज दादी' कहने लगे।अभी हाल ही में, मार्च 2025 में बेंगलुरु के कांतिरावा स्टेडियम में 80+ उम्र की कैटेगरी में अन्य प्रतियोगियों के बीच घाघरा-ओढ़नी में खड़ी पानदेवी ने साबित कर दिया कि जज्बा उम्र से बड़ा होता है। ये पदक न सिर्फ खेल का सम्मान हैं, बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण की मिसाल भी। पानदेवी कहती हैं, "मैंने जिंदगी भर मेहनत की, अब थोड़ा जोश दिखा रही हूं। बच्चे-बुजुर्ग सबको लगे कि उम्र कोई बाधा नहीं।"

RLP स्थापना दिवस पर 'गोल्डन दादी' का धमाकेदार आगमन

आज RLP का स्थापना दिवस बीकानेर में धूमधाम से मनाया गया। पार्टी प्रमुख हनुमान बेनीवाल की मौजूदगी में सभा आयोजित हुई, जहां कार्यकर्ताओं ने पार्टी के गठन (2007 में) के सफर को याद किया। इसी बीच मंच पर पहुंचीं पानदेवी गोदारा ने सबका दिल जीत लिया। वीडियो में दिखा कि वे सहारे के बिना मंच पर चढ़ीं, मुस्कुराते हुए हनुमान बेनीवाल को गले लगाया और बोलीं, "बेटा, तुम्हारी पार्टी किसानों-मजदूरों की आवाज है। मैं आशीर्वाद देती हूं कि ये हमेशा मजबूत बने।" बेनीवाल ने उन्हें सलाम करते हुए कहा, "दादी जैसी प्रेरणा से ही हम लड़ते हैं। आपका आशीर्वाद हमारी सबसे बड़ी ताकत है।"सभा में मौजूद सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने तालियों की गड़गड़ाहट से उनका स्वागत किया। सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए वीडियो और फोटोज में दादी का जोश साफ झलक रहा है—वे न सिर्फ आशीर्वाद दे रही हैं, बल्कि युवाओं को संदेश भी दे रही हैं कि "मेहनत कभी व्यर्थ नहीं जाती।" RLP के सदस्यों ने इसे पार्टी के लिए शुभ संकेत बताया। एक कार्यकर्ता ने कहा, "94 साल की दादी का ये जोश देखकर लगता है कि RLP आने वाले दिनों में और मजबूत होगी।"

दादी का संदेश: उम्र नहीं, जज्बा जीतता है

पानदेवी गोदारा का जीवन एक जीवंत प्रेरणा है। उन्होंने कभी हार नहीं मानी—न गरीबी के आगे, न उम्र के आगे। अब वे इंटरनेशनल स्तर पर भी कमर कस रही हैं। अगस्त 2025 में स्वीडन में होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप के लिए तैयारी चल रही है, जहां वे 80+ कैटेगरी में हिस्सा लेंगी। प्रधानमंत्री से मदद की गुहार लगा चुकी हैं, ताकि वीजा और यात्रा का खर्च संभव हो सके। उनका सपना है कि देश के लिए गोल्ड लाएं।इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि असली हीरो वो हैं जो चुनौतियों को हंसकर स्वीकार करते हैं। 'गोल्डन दादी' की ये कहानी न सिर्फ खेलप्रेमियों के लिए, बल्कि हर उस व्यक्ति के लिए मिसाल है जो सोचता है कि 'अब बहुत हो गया'।