सिलेंडर ब्लास्ट में झुलसी 7 साल की बच्ची ने तोड़ा दम,माता-पिता और बहन अस्पताल में भर्ती
उदयपुर के बोरी गांव में 28 सितंबर 2025 को गैस सिलेंडर रिसाव से हुए धमाके में शंकरलाल मीणा का परिवार झुलस गया। 7 वर्षीय मोनिका की इलाज के दौरान मौत, जबकि शंकरलाल, गीता और लॉगरी की हालत स्थिर। पुलिस जांच में रिसाव कारण, प्रशासन ने आर्थिक सहायता दी।

राजस्थान के उदयपुर जिले के कुराबड़ थाना क्षेत्र के बोरी गांव में एक दिल दहला देने वाला हादसा सोमवार को सुबह हुआ। रात भर चले एलपीजी गैस सिलेंडर के रिसाव के कारण जब परिवार की महिलाएं चाय बनाने के लिए चूल्हा जला रही थीं, तो जोरदार धमाका हो गया। इस हादसे में पूरा घर आग की लपटों से घिर गया, जिसमें परिवार के चार सदस्य बुरी तरह झुलस गए। सबसे ज्यादा प्रभावित 7 वर्षीय मासूम मोनिका ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया, जबकि उसके माता-पिता और बड़ी बहन की हालत अब स्थिर बताई जा रही है।
यह घटना न केवल एक परिवार के दर्द को उजागर करती है, बल्कि गैस सिलेंडरों की सुरक्षा जांच की अनदेखी के खतरों पर सवाल खड़े करती है। स्थानीय प्रशासन ने पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता की घोषणा की है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए जागरूकता अभियान और सख्त नियमों की जरूरत है।
रात भर का रिसाव बना मौत का कारण
घटना 28 सितंबर 2025 को रविवार रात की है। बोरी गांव में रहने वाले शंकरलाल मीणा (45 वर्ष) के परिवार में सब कुछ सामान्य चल रहा था। परिवार के सदस्यों ने रात का खाना खाया और सोने चले गए। लेकिन, रसोई में रखे एलपीजी गैस सिलेंडर से रिसाव शुरू हो गया, जो रात भर चलता रहा। सुबह करीब 6 बजे, जब गीता मीणा (40 वर्ष) चाय बनाने के लिए चूल्हा जला रही थीं, तो रिसाव के कारण भरी गैस ने आग पकड़ ली।
जोरदार धमाके की आवाज पूरे गांव में गूंज उठी। धमाके की तीव्रता इतनी थी कि घर का मुख्य दरवाजा उखड़ गया, खिड़कियां टूट गईं और रसोई का सारा सामान क्षतिग्रस्त हो गया। आग तेजी से फैल गई, जिसमें शंकरलाल, गीता, उनकी बड़ी बेटी लॉगरी (9 वर्ष) और छोटी बेटी मोनिका (7 वर्ष) फंस गए। पड़ोसियों ने फौरन दौड़कर आग बुझाई और घायलों को नजदीकी एमबी अस्पताल पहुंचाया।
प्रारंभिक जांच में पाया गया कि सिलेंडर का रेगुलेटर ढीला होने या ट्यूब में खराबी के कारण रिसाव हुआ था। कुराबड़ थाने के एएसआई ईश्वरलाल ने बताया, "रिसाव रात से चल रहा था, लेकिन परिवार को इसका अहसास नहीं हुआ। चूल्हा जलाते ही धमाका हो गया। हमने सिलेंडर कंपनी से संपर्क कर नमूना जांच के लिए भेज दिया है।"
मासूम मोनिका की जिंदगी खत्म
इस हादसे ने शंकरलाल मीणा के परिवार को तहस-नहस कर दिया। सबसे ज्यादा प्रभावित उनकी 7 वर्षीय बेटी मोनिका हुई, जिन्हें 70 प्रतिशत से अधिक जलन की चोटें आईं। अस्पताल पहुंचाने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें बर्न वार्ड में भर्ती किया, लेकिन गंभीर स्थिति के कारण 30 सितंबर 2025 की देर रात मोनिका ने अंतिम सांस ली। उसके शव का पोस्टमॉर्टम कराने के बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
परिवार के अन्य सदस्यों – शंकरलाल, गीता और लॉगरी – की हालत गंभीर थी, लेकिन अब वे स्थिर हैं। तीनों का एमबी अस्पताल के बर्न वार्ड में इलाज चल रहा है। एएसआई ईश्वरलाल ने आज (1 अक्टूबर) अपडेट देते हुए कहा, "परिवार की स्थिति में सुधार हो रहा है। शंकरलाल और गीता को 50 प्रतिशत जलन हुई है, जबकि लॉगरी को 40 प्रतिशत। वे खतरे से बाहर हैं, लेकिन पूर्ण स्वस्थ होने में समय लगेगा।"
परिजनों का कहना है कि मोनिका घर की लाड़ली थी। वह स्कूल जाती थी और परिवार का चेहरा रोशन करती थी। शंकरलाल, जो एक किसान हैं, ने बताया, "हमारी लापरवाही से ये हुआ। मोनिका को बचाने की हर कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि चोटें बहुत गंभीर हैं।"
जांच और सहायता की घोषणा
घटना की सूचना मिलते ही कुराबड़ पुलिस टीम मौके पर पहुंची। प्रारंभिक जांच में गैस रिसाव को मुख्य कारण पाया गया। पुलिस ने सिलेंडर को जब्त कर कंपनी को नोटिस जारी किया है। फॉरेंसिक टीम भी जांच में जुटी हुई है, ताकि सिलेंडर की गुणवत्ता और रखरखाव की खामियों का पता लगाया जा सके।
स्थानीय प्रशासन ने पीड़ित परिवार को तत्काल 50,000 रुपये की आर्थिक सहायता की घोषणा की है। उदयपुर जिला कलेक्टर ने कहा, "हम परिवार के इलाज का पूरा खर्च वहन करेंगे और मोनिका के लिए अलग से मुआवजा देंगे। साथ ही, गांव में गैस सिलेंडर सुरक्षा जागरूकता शिविर आयोजित किया जाएगा।"
राजस्थान सरकार की ओर से भी इस घटना पर संज्ञान लिया गया है। ऊर्जा विभाग ने राज्य स्तर पर सिलेंडरों की सुरक्षा जांच अभियान चलाने के निर्देश जारी किए हैं।