52वां दिन: रिटायर्ड प्रोफेसरों का पेंशन के लिए धरना जारी,
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) के पेंशनर्स को सात महीने से पेंशन नहीं मिलने से आक्रोश है। 52वें दिन भी कुलपति कार्यालय के सामने धरना जारी रहा, जिसमें सैकड़ों शिक्षक, कर्मचारी और महिलाएं शामिल हुए। कुलपति, कुलसचिव और वित्त अधिकारी की अनुपस्थिति ने स्थिति को गंभीर बनाया। पेंशनर्स ने कुलपति के पुतले का दहन किया और "अंतिम संस्कार" की रस्में शुरू करने की घोषणा की। आर्थिक तंगी से जूझ रहे वरिष्ठ नागरिकों ने सरकार से तत्काल पेंशन भुगतान की मांग की है।

जोधपुर के प्रतिष्ठित जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय (JNVU) में पिछले सात महीनों से पेंशन भुगतान न होने के कारण पेंशनर्स में भारी आक्रोश व्याप्त है। विश्वविद्यालय प्रशासन की अनदेखी और उदासीनता ने वरिष्ठ नागरिकों को धरना-प्रदर्शन करने के लिए मजबूर कर दिया है। आज, 5 जुलाई 2025 को, यह धरना अपने 52वें दिन में प्रवेश कर चुका है, और पेंशनर्स ने विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय के मुख्य द्वार के सामने अपनी आवाज बुलंद की। इस विरोध प्रदर्शन ने अब आक्रोश का रूप ले लिया है, जिसमें कुलपति के प्रतीकात्मक पुतले का दहन किया गया और उनकी "अंतिम संस्कार" की रस्में शुरू करने की घोषणा की गई।
धरने में भारी संख्या में पेंशनर्स की उपस्थिति
धरना स्थल पर सैकड़ों की संख्या में शिक्षक, कर्मचारी, महिला शिक्षक और पारिवारिक पेंशन प्राप्त करने वाली महिलाएं उपस्थित रहीं। इनमें विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. गंगाराम जाखड़, प्रो. भंवर सिंह राजपुरोहित, प्रो. गुलाब सिंह चौहान, प्रो. चेनाराम चौधरी, प्रो. सोहन दान चारण, कर्मचारी पेंशनर्स संघ के अध्यक्ष श्री मोहन सिंह भाटी, प्रो. उषा तलवार, प्रो. रेनू शर्मा, प्रो. एसपी व्यास, प्रो. अर्जुन देव चारण, प्रो. सुनील परिहार, श्री सत्यनारायण गौड़, राधेश्याम शर्मा, प्रो. एसएन गर्ग, और प्रो. डीके शर्मा जैसे गणमान्य लोग शामिल थे। इसके अलावा, विश्वविद्यालय के कुलपति कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारी भी सांकेतिक धरने में शामिल हुए।
अनोखे प्रदर्शन: भीख मांगने से लेकर पुतला दहन तक
पेंशनर्स ने अपनी मांगों को लेकर कई अनोखे तरीके अपनाए हैं। कुछ दिन पहले, उन्होंने विश्वविद्यालय के गेट के बाहर भीख मांगकर विरोध जताया था, और अब कुलपति के प्रतीकात्मक पुतले का दहन किया गया। पेंशनर्स ने घोषणा की कि अब वे कुलपति की "अंतिम संस्कार" की रस्में निभाएंगे, जो उनके आक्रोश की तीव्रता को दर्शाता है। इससे पहले, छह पेंशनर्स ने सिर मुंडन करवाकर और विश्वविद्यालय के मुख्य द्वार पर ताला जड़कर अपनी नाराजगी जाहिर की थी।
विश्वविद्यालय प्रशासन की अनुपस्थिति
पेंशनर्स की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि विश्वविद्यालय प्रशासन में कोई सक्षम अधिकारी उनकी बात सुनने के लिए उपलब्ध नहीं है। कुलपति, कुलसचिव, और वित्त अधिकारी की अनुपस्थिति ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। पूर्व कुलपति प्रो. गुलाब सिंह चौहान और प्रो. भंवर सिंह राजपुरोहित ने वर्तमान प्रशासन और सरकार की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा कि एक दशक पहले पेंशन का भुगतान समय पर होता था, लेकिन अब व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है।
मांगें और चेतावनी
पेंशनर्स सोसाइटी ने मांग की है कि सरकार राजकीय कोष से पेंशन भुगतान सुनिश्चित करे, अजा-जजा महिला छात्राओं की फीस माफी का पुनर्भरण करे, और विश्वविद्यालय की अधिग्रहित भूमि की राशि का भुगतान करे। पेंशनर्स ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो वे और उग्र प्रदर्शन करने को मजबूर होंगे।
जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के पेंशनर्स का यह आंदोलन अब केवल पेंशन भुगतान का मुद्दा नहीं रहा, बल्कि यह विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार की जवाबदेही पर सवाल उठाने वाला एक जनांदोलन बन चुका है। 52 दिनों से अनवरत चल रहे इस धरने में वरिष्ठ नागरिकों की एकजुटता और उनके अनोखे प्रदर्शन ने समाज का ध्यान खींचा है। अब सवाल यह है कि क्या सरकार और विश्वविद्यालय प्रशासन इन बुजुर्गों की पुकार सुनेंगे, या यह आंदोलन और तीव्र होगा?