म्यांमार-थाईलैंड में फंसे 500 भारतीय युवाओं को रिहा कराया: साइबर फ्रॉड गैंग के जाल में फंसाए गए थे, नौकरी का लालच देकर बुलाया गया

म्यांमार-थाईलैंड में साइबर फ्रॉड गैंग के चंगुल से 500 भारतीय युवाओं को इंटरपोल के सहयोग से मुक्त कराया गया; पहले चरण में 270 लौटे, जिनमें 16 राजस्थानी।

Nov 8, 2025 - 10:30
म्यांमार-थाईलैंड में फंसे 500 भारतीय युवाओं को रिहा कराया: साइबर फ्रॉड गैंग के जाल में फंसाए गए थे, नौकरी का लालच देकर बुलाया गया

जयपुर, 7 नवंबर 2025: केंद्रीय गृह मंत्रालय के नेतृत्व में इंटरपोल के सहयोग से एक बड़े अंतरराष्ट्रीय अभियान के तहत म्यांमार और थाईलैंड में फंसे लगभग 500 भारतीय युवाओं को सुरक्षित मुक्त कराया गया है। ये युवा नौकरी के झूठे वादों के लालच में विदेश ले जाए गए थे, लेकिन वहां साइबर फ्रॉड गैंग के चंगुल में फंस गए। गैंग ने उन्हें जबरन डिजिटल अपराधों में झोंक दिया और बंधक बना लिया। इस अभियान के पहले चरण में गुरुवार को 270 युवाओं को भारत वापस लाया गया, जिनमें से 16 राजस्थान के निवासी थे। इन्हें जयपुर एयरपोर्ट पर उतारा गया, जहां परिवारों के साथ भावुक सैनिक हो गए।

साइबर फ्रॉड का जाल: कैसे फंसाए गए युवा?  यह मामला साइबर अपराधों के वैश्विक नेटवर्क का हिस्सा है, जो दक्षिण-पूर्व एशिया में तेजी से फैल रहा है। एजेंटों ने सोशल मीडिया, व्हाट्सएप ग्रुप्स और जॉब पोर्टल्स के जरिए युवाओं को संपर्क किया। उन्हें विदेश में 'हाई-पेइंग आईटी जॉब्स', 'कस्टमर सपोर्ट रोल्स' या 'कॉल सेंटर ऑपरेटर' जैसी नौकरियों का लालच दिया गया, जिसमें मासिक 50-80 हजार रुपये तक कमाई का वादा किया गया। कई मामलों में एजेंटों ने वीजा, टिकट और रहने की व्यवस्था का भी भरोसा दिलाया।हालांकि, म्यांमार और थाईलैंड पहुंचते ही युवाओं का काला सच सामने आ गया। उन्हें जंगल इलाकों या छिपे हुए बिल्डिंग्स में ले जाकर कैद कर लिया गया। वहां साइबर फ्रॉड सेंटरों में जबरन काम करवाया जाता था, जिसमें ऑनलाइन फिशिंग, इनवेस्टमेंट स्कैमिंग, क्रिप्टोकरेंसी फ्रॉड और अन्य डिजिटल धोखाधड़ी शामिल थे। यदि कोई युवा इनकार करता, तो शारीरिक यातनाएं, पिटाई या परिवार को धमकी दी जाती। कई युवाओं को 6-8 महीनों तक बंदी रखा गया, और उन्हें मोबाइल फोन या बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। कुपोषण, बीमारियां और मानसिक तनाव ने उनकी हालत पतली कर दी।इस नेटवर्क का केंद्र म्यांमार के पूर्वी हिस्सों और थाईलैंड के सीमावर्ती इलाकों में था, जहां चीनी और स्थानीय गैंग्स का दबदबा है। भारतीय युवाओं को विशेष रूप से टारगेट किया जाता था क्योंकि वे अंग्रेजी और हिंदी में फ्रॉड कॉल्स करने में 'कुशल' माने जाते थे। अनुमान है कि ऐसे सेंटरों से सालाना करोड़ों रुपये की कमाई होती है, जो भारत सहित कई देशों को निशाना बनाते हैं।

इंटरपोल और गृह मंत्रालय का अभियान: सफल बचाव की कहानी केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में इंटरपोल के साथ मिलकर 'ऑपरेशन साइबर शील्ड' नामक अभियान शुरू किया था। इसमें इंटेलिजेंस एजेंसियों ने पीड़ितों की लोकेशन ट्रैक करने के लिए सैटेलाइट इमेजरी, सिग्नल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया मॉनिटरिंग का इस्तेमाल किया। म्यांमार सरकार और थाईलैंड की रॉयल थाई पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर रेड की गईं।पहला चरण (म्यांमार): 150 युवाओं को मुक्त किया गया। सशस्त्र दलों ने छापेमारी की, जिसमें दो फ्रॉड सेंटर ध्वस्त हो गए। यहां से बचाए गए युवाओं में ज्यादातर उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान के थे। 

दूसरा चरण (थाईलैंड): 100 युवाओं को राजनयिक चैनलों से रिहा कराया गया। थाई अधिकारियों ने गैंग लीडर्स को गिरफ्तार किया।

तीसरा चरण: शेष युवाओं की सहायता और प्रत्यावर्तन, जो अगले हफ्ते पूरा होगा। कुल 500 में से 250 पहले ही भारत पहुंच चुके हैं।

बचाव के बाद सभी युवाओं को मेडिकल चेकअप, काउंसलिंग और कानूनी सहायता दी गई। भारतीय दूतावासों ने उनके वीजा और यात्रा दस्तावेजों का इंतजाम किया। जयपुर पहुंचने पर राजस्थान पुलिस और एनजीओ ने उन्हें परिवारों से जोड़ा।

राजस्थान के 16 युवाओं की दर्दभरी कहानी राजस्थान से 50 युवा इस जाल में फंसे थे, जिनमें जयपुर के 20 शामिल थे। गुरुवार को लाए गए 16 युवाओं में ज्यादातर 20-25 साल के थे।

अधिकारियों के बयान: प्रतिबद्धता और चेतावनी केंद्री

य गृह राज्य मंत्री ने कहा, "यह अभियान साइबर अपराधों के खिलाफ हमारी जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का प्रमाण है। इंटरपोल के साथ साझेदारी से हम ऐसे नेटवर्क को जड़ से उखाड़ फेंकेंगे। परिवारों से अपील है कि विदेशी जॉब ऑफर्स की सत्यता जांचें।" इंटरपोल के एशिया पैसिफिक चीफ ने कहा, "अंतरराष्ट्रीय सहयोग ही ऐसे क्रॉस-बॉर्डर क्राइम्स को रोक सकता है। हम भारत के साथ मिलकर और अभियान चलाएंगे।"

भविष्य की रणनीति: जागरूकता और कड़ी कार्रवाई गृह मंत्रालय ने पूरे देश में जागरूकता कैंपेन 'सुरक्षित रोजगार' शुरू करने की घोषणा की है, जिसमें स्कूलों, कॉलेजों और सोशल मीडिया पर विदेशी जॉब स्कैम्स के बारे में जानकारी दी जाएगी। राजस्थान सरकार ने पीड़ितों के लिए स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम लॉन्च किया है, ताकि वे घरेलू नौकरियों में आसानी से बस सकें। साथ ही, एजेंटों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होगी, जिसमें एमपीओ (मल्टी-पर्पस ऑर्गनाइजेशन) एक्ट के तहत मुकदमे दर्ज होंगे।