जिला अस्पताल में एंटीबायोटिक इंजेक्शन के बाद 10 बच्चों की हालत गंभीर, दो को पीबीएम रेफर किया गया
जिला अस्पताल में 10 बच्चों को एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाने के बाद तबीयत बिगड़ने से हंगामा हुआ, दो बच्चों को पीबीएम रेफर किया गया। अस्पताल प्रशासन ने लापरवाही की जांच और कार्रवाई का आश्वासन दिया।

बीकानेर के जस्सूसर गेट स्थित सैटेलाइट जिला अस्पताल में शुक्रवार देर रात एक चिंताजनक घटना सामने आई। अस्पताल में भर्ती 10 बच्चों को एंटीबायोटिक इंजेक्शन लगाए जाने के बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। बच्चों को कंप-knee और बेचैनी की शिकायत होने लगी, जिसके बाद परिजनों में आक्रोश फैल गया। गुस्साए परिजनों ने अस्पताल में हंगामा शुरू कर दिया, जिसके बाद स्थिति को नियंत्रित करने के लिए नया शहर पुलिस को मौके पर पहुंचना पड़ा।
अधिकांश बच्चों की हालत में सुधार हुआ,दो बच्चों की स्थिति गंभीर
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती बच्चों को सिफोटेक्सिम नामक एंटीबायोटिक इंजेक्शन दिया गया। प्रोटोकॉल के तहत इस इंजेक्शन को लगाने से पहले त्वचा पर एक टेस्ट डोज देना जरूरी होता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बच्चे को इंजेक्शन से कोई एलर्जी तो नहीं है। लेकिन नर्सिंग स्टाफ ने इस प्रक्रिया को नजरअंदाज करते हुए सीधे पूरी खुराक दे दी। नतीजतन, इंजेक्शन लगने के कुछ ही देर बाद बच्चों में कंपकंपी और अन्य रिएक्शन शुरू हो गए।
इस दौरान अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनील हर्ष वार्ड में राउंड पर थे। जैसे ही उन्हें बच्चों की हालत बिगड़ने की सूचना मिली, वे तुरंत मौके पर पहुंचे और स्थिति को संभालने में जुट गए। शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रवीण चतुर्वेदी को भी बुलाया गया। बच्चों को तुरंत दूसरा इंजेक्शन देकर उनका इलाज शुरू किया गया। इस उपचार से अधिकांश बच्चों की हालत में सुधार हुआ, लेकिन दो बच्चों की स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें पीबीएम अस्पताल रेफर करना पड़ा। रात करीब 1 बजे तक इन दोनों बच्चों की हालत भी स्थिर हो गई थी।
परिजनों का गुस्सा और अस्पताल प्रशासन का जवाब
बच्चों की हालत बिगड़ने की खबर मिलते ही परिजनों का गुस्सा भड़क उठा। उन्होंने अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए हंगामा शुरू कर दिया। मौके पर पहुंचे कांग्रेस नेता अरुण व्यास ने परिजनों के साथ मिलकर अस्पताल अधीक्षक डॉ. सुनील हर्ष का घेराव किया। करीब एक घंटे तक चली तीखी बातचीत के बाद डॉ. हर्ष ने लिखित आश्वासन दिया कि इस मामले में जिम्मेदार नर्सिंग स्टाफ के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और संबंधित कर्मचारियों को हटाया जाएगा।
डॉ. हर्ष ने बताया कि सिफोटेक्सिम इंजेक्शन की नई खेप हाल ही में अस्पताल को मिली थी। उन्होंने कहा कि इस इंजेक्शन से बच्चों में रिएक्शन होने की आशंका रहती है, और इस बार भी ऐसा ही हुआ। हालांकि, त्वरित कार्रवाई के कारण स्थिति को नियंत्रित कर लिया गया।
परिजनों और नेताओं के आरोप
कांग्रेस नेता अरुण व्यास ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए। उनका कहना था कि जिला अस्पताल में न केवल दवाइयों के वितरण में लापरवाही बरती जाती है, बल्कि मरीजों को समय पर दवाएं भी नहीं दी जातीं। परिजनों ने भी नर्सिंग स्टाफ की लापरवाही पर सवाल उठाए और इस घटना को अस्पताल प्रबंधन की नाकामी बताया।
हंगामे की सूचना मिलते ही नया शहर पुलिस मौके पर पहुंची। शुरुआत में पुलिस ने दोनों पक्षों के बीच बातचीत को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की कोशिश की, लेकिन जब तनाव बढ़ने लगा तो पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने हंगामा कर रहे लोगों को अस्पताल परिसर से बाहर निकाला।