लैब में मच्छर तैयार करने की रणनीति
चिकित्सा विभाग ने मच्छर जनित बीमारियों पर नियंत्रण के लिए एक अनूठा दृष्टिकोण अपनाया है। इसके तहत विभाग की प्रयोगशालाओं में लार्वा से वयस्क मच्छर तैयार किए जाएंगे। इन मच्छरों को दिल्ली की एनसीडीसी लैब में भेजा जाएगा, जहां विशेषज्ञ यह जांच करेंगे कि मच्छर किस बीमारी का वाहक है। यह पहल डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया जैसे रोगों के प्रसार को समझने और रोकने में मदद करेगी।
जयपुर जोन में शुरू हुआ प्रयोग
इस एक्शन प्लान का पहला चरण जयपुर जोन में शुरू किया गया है। इसके लिए जयपुर में एक एंटोमोलॉजिकल यूनिट स्थापित की गई है, जहां लार्वा से मच्छर तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। यह यूनिट मच्छरों के प्रजनन और उनके रोग फैलाने की क्षमता का अध्ययन करेगी। विभाग का लक्ष्य है कि इस प्रयोग से मच्छरों के व्यवहार और बीमारी फैलाने के पैटर्न को समझकर लक्षित कार्रवाई की जाए।
एनसीडीसी लैब की भूमिका
लैब में तैयार किए गए मच्छरों को एनसीडीसी की विशेषज्ञ टीम जांचेगी। यह लैब मच्छरों के डीएनए और रोग वाहक क्षमता का विश्लेषण कर यह निर्धारित करेगी कि कौन सा मच्छर डेंगू, मलेरिया या चिकनगुनिया जैसे रोगों को फैलाने में सक्षम है। इस वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बीमारियों की रोकथाम के लिए सटीक उपाय किए जा सकेंगे।
मच्छर जनित बीमारियों पर प्रभावी नियंत्रण
चिकित्सा विभाग का यह एक्शन प्लान मच्छर जनित बीमारियों को जड़ से खत्म करने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। पिछले वर्षों में राजस्थान में डेंगू के 12,514, मलेरिया के 2,213 और चिकनगुनिया के 1,268 मामले दर्ज किए गए थे, जो इन बीमारियों की गंभीरता को दर्शाते हैं। इस योजना के तहत न केवल मच्छरों की प्रजातियों की पहचान होगी, बल्कि उनके प्रजनन स्थलों को नष्ट करने और कीटनाशक छिड़काव जैसे उपायों को और प्रभावी बनाया जाएगा।
जागरूकता और समन्वय पर जोर
चिकित्सा विभाग ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए जिला प्रशासन और स्थानीय निकायों के साथ समन्वय बढ़ाने का फैसला किया है। जिला कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि वे साप्ताहिक समीक्षा करें और मच्छरों के प्रजनन स्थलों, साफ-सफाई और लार्वा नाशक छिड़काव की स्थिति की निगरानी करें। साथ ही, आमजन को जागरूक करने के लिए अभियान भी चलाए जा रहे हैं।