सावन में शिवलिंग पर क्या-क्या गलती से भी नहीं चढ़ाना चाहिए? वर्ना लग सकता है दोष!

सावन में शिवलिंग पर हल्दी, सिंदूर, तुलसी, केतकी, टूटे चावल, शंख का जल और खराब बेलपत्र चढ़ाने से बचें, ताकि अशुभ प्रभाव न हो।

Jul 8, 2025 - 18:48
सावन में शिवलिंग पर क्या-क्या गलती से भी नहीं चढ़ाना चाहिए? वर्ना लग सकता है दोष!

सावन का महीना भगवान शिव की भक्ति और आराधना के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दौरान श्रद्धालु व्रत, कांवड़ यात्रा, जलाभिषेक और शिवलिंग पूजन के माध्यम से भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करते हैं। हालांकि, शिव पूजा में कुछ नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। अनजाने में भी अगर शिवलिंग पर कुछ ऐसी चीजें चढ़ा दी जाएं, जो वर्जित हैं, तो यह दोष का कारण बन सकता है और पूजा का फल उल्टा हो सकता है। आइए जानते हैं कि सावन में किन चीजों को शिवलिंग पर भूलकर भी नहीं चढ़ाना चाहिए।

  1. हल्दी
    हल्दी को शुभता और सौंदर्य का प्रतीक माना जाता है, और यह भगवान विष्णु और अन्य देवताओं को अर्पित की जाती है। लेकिन भगवान शिव को हल्दी नहीं चढ़ाई जाती। शिव वैराग्य, तप और त्याग के प्रतीक हैं, जबकि हल्दी सौभाग्य और सौंदर्य से जुड़ी है। चूंकि शिवलिंग पुरुष तत्व का प्रतीक है और हल्दी का उपयोग स्त्रियां सौंदर्य वृद्धि के लिए करती हैं, इसलिए इसे शिवलिंग पर चढ़ाना अशुभ माना जाता है।
  2. सिंदूर या कुमकुम
    सिंदूर और कुमकुम सुहाग और सौभाग्य के प्रतीक हैं, जिन्हें विवाहित महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए लगाती हैं। ये कई देवी-देवताओं की पूजा में प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन भगवान शिव पर इन्हें चढ़ाना वर्जित है। शिव संहारक और वैरागी स्वरूप के देवता हैं, और सिंदूर सौभाग्य का प्रतीक होने के कारण उनकी पूजा के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता।
  3. तुलसी के पत्ते
    तुलसी को पवित्र माना जाता है और यह भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है। लेकिन शिवलिंग पर तुलसी चढ़ाना निषिद्ध है। इसके पीछे पौराणिक कथा है कि जालंधर नामक असुर की पत्नी वृंदा पतिव्रता थी, और उसकी पवित्रता के कारण जालंधर अजेय था। भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रत भंग किया, जिसके बाद वह तुलसी बन गईं। जालंधर का वध भगवान शिव ने किया था। इस कारण वृंदा (तुलसी) ने श्राप दिया कि उनकी पूजा में तुलसी का उपयोग नहीं होगा।
  4. केतकी का फूल
    केतकी का फूल सुंदर और सुगंधित होता है, लेकिन इसे शिवलिंग पर चढ़ाना मना है। पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु में श्रेष्ठता को लेकर विवाद हुआ। तब एक विशाल ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ, और यह तय हुआ कि जो इसका आदि या अंत ढूंढ लेगा, वही श्रेष्ठ होगा। ब्रह्मा ने केतकी के फूल को झूठ बोलने के लिए मनाया कि वह उनके साथ ज्योतिर्लिंग का आदि ढूंढने गए थे। इस झूठ के कारण शिव ने केतकी को अपनी पूजा में उपयोग न होने का श्राप दे दिया।
  5. टूटे चावल
    चावल को अक्षत कहते हैं, जो पूजा में शुभ माना जाता है। लेकिन शिवलिंग पर केवल साबुत चावल ही चढ़ाने चाहिए। टूटे हुए चावल अशुभ और अपूर्णता के प्रतीक हैं, इसलिए इन्हें पूजा में प्रयोग नहीं करना चाहिए। साबुत चावल ही शिव को अर्पित करने चाहिए।
  6. शंख से जल
    शिव पूजा में शंख से जल चढ़ाना वर्जित है। पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने शंखचूड़ नामक असुर का वध किया था, जो विष्णु भक्त था। शंखचूड़ की हड्डियों से ही शंख बना। इस कारण शिवलिंग पर शंख से जल अर्पित नहीं किया जाता। हालांकि, भगवान विष्णु की पूजा में शंख का उपयोग शुभ है।
  7. टूटा या सूखा बेलपत्र
    बेलपत्र भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, लेकिन टूटा, कीड़ा लगा, या सूखा बेलपत्र चढ़ाना शुभ नहीं माना जाता। बेलपत्र स्वच्छ, हरा और तीन पत्तियों वाला होना चाहिए। यह सुनिश्चित करना पूजा की शुद्धता के लिए जरूरी है।

इन नियमों का पालन करके सावन में भगवान शिव की पूजा श्रद्धा और भक्ति के साथ करें, ताकि उनकी कृपा प्राप्त हो और पूजा का पूर्ण फल मिले।

Yashaswani Journalist at The Khatak .