मां दुर्गा आएंगी हाथी पर सवार, 22 सितंबर से आरंभ होगा शक्ति साधना का महापर्व – जानें घटस्थापना मुहूर्त व पूजन की सम्पूर्ण विधि!

शारदीय नवरात्रि 2025: 22 सितंबर से शुरू हो रहा है नवरात्रि का पावन पर्व, जो 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ समाप्त होगा। घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6:15 से दोपहर 12:38 बजे तक है। इस बार चतुर्थी तिथि की वृद्धि से नवरात्रि 10 दिन की होगी।

Sep 21, 2025 - 22:00
मां दुर्गा आएंगी हाथी पर सवार, 22 सितंबर से आरंभ होगा शक्ति साधना का महापर्व – जानें घटस्थापना मुहूर्त व पूजन की सम्पूर्ण विधि!

हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक शारदीय नवरात्रि का आरंभ इस वर्ष 22 सितंबर को हो रहा है। मां दुर्गा की आराधना का यह नौ दिवसीय उत्सव 2 अक्टूबर को विजयादशमी के साथ संपन्न होगा। इस बार नवरात्रि की शुरुआत सोमवार से हो रही है, जिसके चलते मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर धरती पर अवतरित होंगी। देवी भक्तों में इस पर्व को लेकर जबरदस्त उत्साह है, और पूरे देश में मंदिरों तथा पंडालों को सजाया जा रहा है। आइए, जानते हैं इस वर्ष की नवरात्रि से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां, जिसमें घटस्थापना का मुहूर्त, सामग्री सूची, पूजन विधि और मंत्र शामिल हैं।

घटस्थापना नवरात्रि का महत्वपूर्ण अनुष्ठान

शारदीय नवरात्रि का प्रारंभ घटस्थापना या कलश स्थापना से होता है, जो देवी शक्ति के आह्वान का प्रतीक है। बिना इस अनुष्ठान के नवरात्रि अधूरी मानी जाती है। भक्त अपने घरों में विधि-विधान से कलश स्थापित करते हैं और नौ दिनों तक इसकी पूजा-अर्चना करते हैं। ज्योतिष के अनुसार, घटस्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में की जानी चाहिए। इस वर्ष यह 22 सितंबर को प्रतिपदा तिथि पर संपन्न होगी, और तिथि के पहले एक-तिहाई भाग को सबसे उत्तम समय माना गया है।

घटस्थापना का शुभ मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, 22 सितंबर को घटस्थापना के लिए कई शुभ मुहूर्त उपलब्ध हैं। मुख्य मुहूर्त सुबह 6:15 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक है। इसके अलावा, विस्तृत मुहूर्त इस प्रकार हैं:

  • श्रेष्ठ मुहूर्त: सुबह 6:19 बजे से 7:49 बजे तक।
  • कलश स्थापना मुहूर्त: सुबह 6:00 बजे से 8:00 बजे तक।
  • अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:49 बजे से दोपहर 12:38 बजे तक।

चौघड़िया मुहूर्त के आधार पर:

  • अमृत चौघड़िया: सुबह 6:15 बजे से 7:46 बजे तक।
  • शुभ चौघड़िया: सुबह 9:17 बजे से 10:48 बजे तक।
  • अभिजीत चौघड़िया: सुबह 11:55 बजे से दोपहर 12:43 बजे तक।
  • चर/लाभ/अमृत चौघड़िया: दोपहर 1:50 बजे से शाम 6:23 बजे तक।

इस दिन हस्त नक्षत्र के साथ ब्रह्म योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग भी बन रहा है, जो अनुष्ठान को और अधिक फलदायी बनाता है।

घटस्थापना सामग्री सूची

घटस्थापना के लिए आवश्यक सामग्री को पहले से तैयार कर लें। यहां पूरी लिस्ट दी गई है:

  • चौड़े मुंह वाला मिट्टी का बर्तन।
  • पवित्र स्थान की मिट्टी।
  • आम या अशोक के पत्ते (पल्लव)।
  • अक्षत (कच्चा साबुत चावल)।
  • सप्तधान्य (सात प्रकार के अनाज)।
  • लाल कपड़ा।
  • फूल और फूलमाला।
  • कलश।
  • जल (यदि संभव हो तो गंगाजल)।
  • कलावा या मौली।
  • सुपारी।
  • जटा वाला नारियल (छिलके सहित)।

ये सामग्रियां आसानी से बाजार में उपलब्ध होती हैं और इनका उपयोग पूजन को पूर्णता प्रदान करता है।

घटस्थापना पूजन विधि: चरणबद्ध तरीका

घटस्थापना की विधि सरल लेकिन महत्वपूर्ण है। इसे निम्न चरणों में संपन्न करें:

  1. सबसे पहले एक साफ स्थान से मिट्टी लें और उस पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।
  2. इस मिट्टी को चौड़े मुंह वाले मिट्टी के बर्तन में रखें और उसमें जौ या सप्तधान्य बोएं।
  3. बर्तन के ऊपर जल से भरा कलश रखें और कलश के ऊपरी भाग पर कलावा बांधें।
  4. कलश के जल में लौंग, हल्दी की गांठ, सुपारी, दूर्वा और एक रुपए का सिक्का डालें।
  5. कलश के ऊपर आम या अशोक के पत्ते रखें।
  6. एक नारियल लें, उसे लाल कपड़े में लपेटकर कलश के ऊपर स्थापित करें। नारियल पर माता की चुन्नी और कलावा बंधा होना चाहिए।
  7. इसके बाद फूल, कपूर, अगरबत्ती और ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
  8. नौ दिनों तक मां दुर्गा से जुड़े मंत्रों का जाप करें और विधि-विधान से पूजा-अर्चना करें।
  9. नवरात्रि के अंतिम दिन कलश का विसर्जन करें।

इस विधि का पालन करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

नवरात्रि माता रानी मंत्र: देवी की स्तुति

नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा के इन मंत्रों का जाप विशेष फलदायी होता है:

  • या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
  • या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।

ये मंत्र देवी की विभिन्न रूपों की स्तुति करते हैं और भक्तों को शक्ति, धन, संतोष और शांति प्रदान करते हैं।

मां दुर्गा का आगमन और प्रस्थान: शुभ संकेत

इस वर्ष नवरात्रि का प्रारंभ सोमवार को होने से मां दुर्गा हाथी पर सवार होकर आएंगी, जो सुख, समृद्धि, धन और धान्य का प्रतीक है। वहीं, समापन 2 अक्टूबर को गुरुवार होने से उनका प्रस्थान मनुष्य की सवारी (पालकी) पर होगा, जो भी शुभ फलदायी है। यह संकेत बताते हैं कि यह नवरात्रि भक्तों के लिए विशेष लाभकारी होगी।

तिथि वृद्धि: नौ नहीं, दस दिन का पर्व

इस बार शारदीय नवरात्रि में चतुर्थी तिथि की वृद्धि हो रही है, जिससे पर्व नौ की बजाय दस दिनों का होगा। तिथि वृद्धि को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह सुख-समृद्धि और सौभाग्य का संकेत देती है। कारण यह है कि चतुर्थी तिथि 22 और 23 सितंबर दोनों दिनों पर पड़ेगी, जो माता के आशीर्वाद से सभी कार्यों में सफलता दिलाती है।

शारदीय नवरात्रि 2025 की मुख्य तिथियां

  • प्रारंभ: 22 सितंबर (सोमवार)।
  • घटस्थापना: 22 सितंबर।
  • महाअष्टमी: 30 सितंबर (मंगलवार)।
  • महानवमी: 1 अक्टूबर (बुधवार)।
  • विजयादशमी (दुर्गा विसर्जन): 2 अक्टूबर (गुरुवार)।

इस पर्व पर पूरे देश में उत्साह का माहौल है। भक्त मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत, पूजा और जाप में लीन रहेंगे। यदि आप भी इस उत्सव में शामिल हो रहे हैं, तो ऊपर दी गई जानकारियों का पालन जरूर करें। जय माता दी!

Yashaswani Journalist at The Khatak .