वक़्फ़ बिल को मिली राष्ट्रपति की हरी झंडी: पारदर्शिता या विवाद का नया अध्याय?
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल, 2025 को वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह आज, 6 अप्रैल, 2025 से कानून बन गया है। संसद में तीखी बहस के बाद पारित इस बिल का मकसद वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता और समावेशिता लाना है, लेकिन इसे लेकर मुस्लिम संगठनों में असंतोष भी देखने को मिल रहा है। गैर-मुस्लिम सदस्यों को वक़्फ़ बोर्ड में शामिल करने जैसे प्रावधानों ने इस कानून को चर्चा का केंद्र बना दिया है।

देश में वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को लेकर एक नया अध्याय शुरू हो गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 5 अप्रैल, 2025 को वक़्फ़ (संशोधन) विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी, जिसके बाद यह विधेयक अब कानून के रूप में लागू हो गया है। आज, 6 अप्रैल, 2025 से प्रभावी यह कानून 'समेकित वक़्फ़ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995' के नाम से जाना जाएगा। इस बिल को संसद के दोनों सदनों में कड़े विरोध और गहन चर्चा के बाद पारित किया गया था—लोकसभा में 288 के मुकाबले 232 वोट और राज्यसभा में 128 के मुकाबले 95 वोटों से इसे हरी झंडी मिली थी।
#### क्या है इस बिल का मकसद?
केंद्र सरकार का दावा है कि यह कानून वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता लाने के लिए बनाया गया है। इसमें कई बड़े बदलाव शामिल हैं, जैसे वक़्फ़ बोर्ड और केंद्रीय वक़्फ़ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना, संपत्तियों का डिजिटलीकरण, और अवैध कब्जों पर नकेल कसना। सरकार का कहना है कि इससे वक़्फ़ संपत्तियों का बेहतर इस्तेमाल होगा और समाज के व्यापक वर्ग को इसका लाभ मिलेगा।
#### विवाद की जड़ कहाँ है?
हालांकि, इस बिल को लेकर शुरुआत से ही विवाद छाया रहा। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित कई मुस्लिम संगठनों ने इसे वक़्फ़ की स्वायत्तता पर हमला करार दिया। उनका तर्क है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करना धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है। AIMPLB ने राष्ट्रपति से मुलाकात की मांग की थी और इस बिल को वापस लेने की अपील की थी, लेकिन मंजूरी मिलने के बाद अब यह विरोध नए सिरे से सड़कों पर उतर सकता है।
#### संसद में क्या हुआ?
संसद में इस बिल पर बहस के दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली। जहाँ भाजपा और उसके सहयोगियों ने इसे ऐतिहासिक कदम बताया, वहीं विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के अधिकारों पर हमला करार दिया। लोकसभा में 520 में से 520 सांसदों ने मतदान में हिस्सा लिया, जिसमें बिल के पक्ष में 288 वोट पड़े। राज्यसभा में भी 223 में से 223 सदस्यों की मौजूदगी में यह पारित हुआ।
#### आगे क्या?
अब जबकि यह बिल कानून बन चुका है, इसकी असली परीक्षा इसके लागू होने में होगी। वक़्फ़ संपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड तैयार करना और गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति जैसे कदम कितने प्रभावी होंगे, यह समय बताएगा। साथ ही, विरोध कर रहे संगठन इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकते हैं, जिससे इसकी कानूनी लड़ाई भी शुरू हो सकती है।
वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम, 2025 एक तरफ पारदर्शिता का वादा लेकर आया है, तो दूसरी तरफ सामाजिक और धार्मिक तनाव की आशंका भी पैदा कर रहा है। यह कानून न सिर्फ वक़्फ़ संपत्तियों के प्रबंधन को नई दिशा देगा, बल्कि देश की सियासत में भी एक नया रंग भर सकता है। अब सबकी नज़र इस बात पर है कि यह बदलाव कितना कारगर साबित होता है और इसका समाज पर क्या असर पड़ता है।