रामगढ़ बांध में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग टला, अगस्त में नई शुरुआत की उम्मीद

ड्रोन से कृत्रिम बारिश के पहले प्रयोग को भारी बारिश की चेतावनी के कारण टाल दिया गया, अब अगस्त में नई शुरुआत की उम्मीद है। यह पायलट प्रोजेक्ट कृषि विभाग और जेन एक्स एआई द्वारा संचालित है।

Jul 31, 2025 - 14:30
रामगढ़ बांध में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग टला, अगस्त में नई शुरुआत की उम्मीद

राजस्थान की राजधानी जयपुर के रामगढ़ बांध क्षेत्र में देश के पहले ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश के प्रयोग को मौसम की मार ने रोक दिया है। गुरुवार, 31 जुलाई से शुरू होने वाला यह अनूठा प्रयोग भारी बारिश की चेतावनी के कारण स्थगित कर दिया गया है। अब इस पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत अगस्त महीने में होने की संभावना है।

ड्रोन से कृत्रिम बारिश: देश में पहला प्रयोग

रामगढ़ बांध पर होने वाला यह प्रयोग अपने आप में अनोखा है, क्योंकि यह देश में पहली बार ड्रोन के जरिए क्लाउड सीडिंग करने की कोशिश है। अब तक कृत्रिम बारिश के लिए हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर का उपयोग होता रहा है, लेकिन जयपुर में ड्रोन को चुना गया है। इस प्रोजेक्ट को अमेरिका और भारत की टेक कंपनी जेन एक्स एआई और राजस्थान के कृषि विभाग मिलकर अंजाम दे रहे हैं।

ताइवान से विशेष रूप से मंगवाया गया ड्रोन दो दिन पहले ही जयपुर पहुंच चुका है। इसके साथ ही वैज्ञानिकों की एक विशेष टीम भी शहर में मौजूद है, जो इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए तैयार है। हालांकि, मौसम विभाग की चेतावनी के बाद अब यह टीम नई तारीख का इंतजार कर रही है।

क्या है क्लाउड सीडिंग और कैसे होगी बारिश?

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें बादलों पर रसायनों का छिड़काव कर कृत्रिम बारिश करवाई जाती है। इस प्रक्रिया में सिल्वर आयोडाइड, सोडियम क्लोराइड, या ड्राई आइस जैसे रसायनों का उपयोग किया जाता है। ड्रोन, हवाई जहाज या हेलिकॉप्टर के जरिए इन रसायनों को बादलों पर छिड़का जाता है। जब ये रासायनिक कण बादलों में मौजूद नमी के साथ मिलते हैं, तो पानी की छोटी-छोटी बूंदें इनके चारों ओर जमा होने लगती हैं। धीरे-धीरे ये बूंदें भारी होकर बारिश के रूप में बरसती हैं।

क्यों है यह प्रयोग खास?

रामगढ़ बांध के आसपास एक महीने तक चलने वाले इस प्रयोग में 60 बार क्लाउड सीडिंग की टेस्ट ड्राइव होगी। यह पहला मौका है जब इतने छोटे क्षेत्र में ड्रोन से कृत्रिम बारिश का प्रयोग किया जा रहा है। अब तक बड़े क्षेत्रों को लक्ष्य बनाया जाता रहा है। इस प्रोजेक्ट का पूरा खर्च जेन एक्स एआई कंपनी वहन कर रही है, जो इसे पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देख रही है।

सभी मंजूरियां मिल चुकी हैं

इस प्रयोग के लिए केंद्र और राज्य सरकार के संबंधित विभागों से सभी जरूरी मंजूरियां पहले ही ली जा चुकी हैं। कृषि विभाग, मौसम विभाग, जिला प्रशासन, और डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) ने इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी दे दी है। यह सुनिश्चित करता है कि यह प्रयोग पूरी तरह सुरक्षित और नियमानुसार होगा।

राजस्थान के लिए क्यों जरूरी है यह प्रयोग?

राजस्थान में पानी की कमी और अनियमित मानसून एक बड़ी समस्या है। कई बार बादल होने के बावजूद बारिश नहीं होती, जिससे पीने के पानी की किल्लत के साथ-साथ फसलें भी प्रभावित होती हैं। अगर यह ड्रोन आधारित कृत्रिम बारिश का प्रयोग सफल होता है, तो छोटे क्षेत्रों में जरूरत के अनुसार बारिश करवाकर पानी की कमी को दूर किया जा सकता है। यह तकनीक खासकर उन इलाकों के लिए वरदान साबित हो सकती है, जहां मानसून कमजोर रहता है।

अगस्त में नई शुरुआत की उम्मीद

मौसम की अनिश्चितता के कारण भले ही यह प्रयोग टल गया हो, लेकिन वैज्ञानिक और प्रशासनिक टीमें इसे जल्द शुरू करने के लिए तैयार हैं। जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, रामगढ़ बांध क्षेत्र में ड्रोन आसमान में उड़ान भरेंगे और कृत्रिम बारिश की नई संभावनाओं को हकीकत में बदलने की कोशिश करेंगे।

इस प्रयोग की सफलता न केवल जयपुर या राजस्थान के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक नया रास्ता खोल सकती है। अगर यह तकनीक कारगर साबित हुई, तो भविष्य में छोटे-छोटे क्षेत्रों में पानी की कमी को दूर करने के लिए ड्रोन आधारित क्लाउड सीडिंग एक क्रांतिकारी कदम हो सकता है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .