बेमौसम बादलों का कहर,खेतों में फसलें डूबीं, किसानों का टूटा सपना – लाखों हेक्टेयर तबाह, मुआवजे की आस!
जोधपुर और फलोदी में बेमौसम बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया। 8 लाख हेक्टेयर में फैली बाजरा, मूंग, मोठ और ग्वार की फसलें तबाह हो गईं। कटाई के बाद खेतों और खलिहानों में रखी फसलें भीगकर सड़ रही हैं, जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान और बाजार में भाव गिरने का डर सता रहा है। प्रशासन ने सर्वे शुरू किया है, और किसान मुआवजे की आस लगाए हैं। जलवायु परिवर्तन की यह चेतावनी किसानों के लिए दोहरी मार बनकर आई है।

जोधपुर, 5 अक्टूबर 2025: जोधपुर और फलोदी जिलों में बेमौसम बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है। खरीफ सीजन की कटाई के समय आई इस अप्रत्याशित बारिश ने करीब 8 लाख हेक्टेयर में फैली बाजरा, मूंग, मोठ और ग्वार की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। खेतों में खड़ी फसलें पानी में डूब गईं, तो कटाई के बाद खलिहानों और खेतों में सूखने के लिए रखी उपज भी भीगकर सड़ने लगी। इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों को आर्थिक और मानसिक रूप से हिलाकर रख दिया है, जो अब मुआवजे की उम्मीद में प्रशासन की ओर देख रहे हैं।खेत बने तालाब, मेहनत पर फिरा पानी
जोधपुर के तिंवरी क्षेत्र में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। पिछले दो दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने खेतों को जलमग्न कर दिया है। स्थानीय किसान श्यामलाल चौधरी ने बताया, "हमने मूंग और बाजरा की फसल बड़ी उम्मीदों के साथ काटी थी। खलिहानों में रखी फसलें सूख रही थीं, लेकिन अचानक बारिश ने सब कुछ बर्बाद कर दिया। दाने गल रहे हैं, और अब इन्हें बेचना भी मुश्किल होगा।" फलोदी के किसान लक्ष्मण राम ने कहा कि उनकी मोठ की फसल पूरी तरह नष्ट हो चुकी है। "पौधे जड़ से उखड़ गए, और जो बचे, उनमें फफूंद लग रही है। इस बार तो लागत भी नहीं निकलेगी," उन्होंने निराशा भरे स्वर में कहा।
कितना बड़ा है नुकसान?
मौसम विभाग के अनुसार, यह बेमौसम बारिश एक असामान्य पश्चिमी विक्षोभ के कारण हुई, जो अक्टूबर की शुरुआत में सक्रिय हो गया। 3 और 4 अक्टूबर को जोधपुर में 50-60 मिमी बारिश दर्ज की गई, जो खरीफ फसलों के लिए घातक साबित हुई। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि बाजरा और मूंग जैसी फसलें नमी के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होती हैं। बारिश के कारण दानों में सड़न शुरू हो गई है, और ग्वार की फसल में 40-50% तक की कमी का अनुमान है। जोधपुर-फलोदी के कुल खरीफ क्षेत्र का लगभग 70% हिस्सा, यानी 8 लाख हेक्टेयर, इस आपदा की चपेट में है। प्रति हेक्टेयर 20-25 हजार रुपये के नुकसान का अनुमान लगाया जा रहा है, जिससे हजारों किसान परिवारों की आजीविका खतरे में पड़ गई है।
बाजार में भाव गिरने का डर
किसानों की चिंता केवल फसल के नुकसान तक सीमित नहीं है। गीली और खराब गुणवत्ता वाली उपज की वजह से बाजार में इन फसलों का भाव गिरने की आशंका है। मूंग और मोठ में फफूंद की समस्या के कारण व्यापारी इन्हें कम दाम पर खरीद सकते हैं। ग्वार की मांग पहले ही कम थी, और अब इस नुकसान ने किसानों की उम्मीदों को और झटका दिया है। स्थानीय मंडी के व्यापारी गोपाल शर्मा ने बताया, "खराब फसल की क्वालिटी के कारण दाम 20-30% तक गिर सकते हैं। यह किसानों के लिए दोहरी मार है।"
प्रशासन और बीमा योजना का सहारा
जिला प्रशासन ने नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। कृषि विभाग की टीमें गांव-गांव सर्वे कर रही हैं ताकि प्रभावित किसानों को राहत दी जा सके। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत पंजीकृत किसानों को 72 घंटे के अंदर बीमा कंपनी को नुकसान की सूचना देनी होगी। जोधपुर के जिला कलेक्टर ने कहा, "हम जल्द से जल्द सर्वे पूरा करेंगे और केंद्र व राज्य सरकार से राहत पैकेज की मांग करेंगे। इसमें मुआवजे के साथ-साथ अगले सीजन के लिए बीज और अन्य सहायता शामिल होगी।" हालांकि, कई किसानों का कहना है कि बीमा दावों की प्रक्रिया जटिल है, और मुआवजा अक्सर देरी से मिलता है।
जलवायु परिवर्तन की चेतावनी
कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि यह आपदा जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। राजस्थान जैसे शुष्क क्षेत्रों में बेमौसम बारिश की घटनाएं बढ़ रही हैं, जो खेती के पारंपरिक चक्र को बिगाड़ रही हैं। वैज्ञानिकों ने सुझाव दिया है कि किसान कटाई के बाद फसलों को तिरपाल या नमी-रोधी शेड में रखें। साथ ही, ऐसी फसलों को प्राथमिकता दें जो नमी और प्रतिकूल मौसम को सह सकें।
जोधपुर और फलोदी के किसान अब सरकार की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं। उनकी मांग है कि नुकसान का तुरंत आकलन हो और मुआवजा समय पर मिले। कुछ किसान वैकल्पिक आय के साधनों की तलाश में हैं, लेकिन अधिकांश के लिए खेती ही एकमात्र सहारा है। इस आपदा ने न केवल उनकी आजीविका छीनी है, बल्कि उनके आत्मविश्वास को भी तोड़ा है। सवाल यह है कि क्या सरकार और समाज मिलकर इन किसानों को इस संकट से उबार पाएंगे, या यह बेमौसम बारिश उनकी उम्मीदों को हमेशा के लिए बहा ले जाएगी?