गुफा में अनोखा जीवन: एक रूसी माँ और बेटियों की प्रेम, अलगाव और कस्टडी की भावुक कहानी

एक रूसी महिला और उसकी दो बेटियों के गुफा में रहने की कहानी तब नाटकीय मोड़ लेती है, जब उनके इजरायली पूर्व पति संयुक्त कस्टडी की मांग करते हैं, जिससे प्यार, अलगाव और आध्यात्मिक खोज की कहानी उजागर होती है, जो वीजा उल्लंघन और बच्चों की सुरक्षा की चिंताओं से जटिल हो जाती है।

Jul 18, 2025 - 13:02
गुफा में अनोखा जीवन: एक रूसी माँ और बेटियों की प्रेम, अलगाव और कस्टडी की भावुक कहानी

कर्नाटक के गोकर्ण इलाके की रामतीर्थ पहाड़ी पर एक प्राकृतिक गुफा में अपनी दो नन्हीं बेटियों के साथ रह रही रूसी महिला नीना कुटीना की कहानी ने नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में नीना के पूर्व पति, इजरायली नागरिक ड्रोर गोल्डस्टीन, ने अपनी बेटियों की संयुक्त कस्टडी की मांग की है। गोल्डस्टीन का कहना है कि नीना ने उन्हें बिना बताए गोवा छोड़ दिया था और उनकी बेटियों को उनसे दूर रखा। यह मामला अब केवल एक महिला की आध्यात्मिक खोज की कहानी नहीं रहा, बल्कि एक पारिवारिक विवाद और बच्चों की सुरक्षा का सवाल बन गया है।

गुफा में मिली नीना और उनकी बेटियां

11 जुलाई को गोकर्ण के रामतीर्थ पहाड़ी क्षेत्र में गश्त के दौरान पुलिस को एक गुफा में नीना कुटीना (40) और उनकी दो बेटियां, प्रेमा (6 वर्ष) और अमा (4 वर्ष), रहते हुए मिली थीं। नीना ने पुलिस को बताया कि वह शहरी जीवन की भागदौड़ से दूर, आध्यात्मिक शांति और ध्यान के लिए इस गुफा में रह रही थीं। उनके पास न बिजली थी, न मोबाइल फोन, और न ही कोई आधुनिक संसाधन। वह जंगल की लकड़ियों से खाना बनाती थीं और कभी-कभी किराने का सामान लेने गोकर्ण जाती थीं। नीना का दावा है कि वह प्रकृति के बीच रहने की आदी हैं और पिछले 20 वर्षों से दुनिया भर के जंगलों में समय बिता चुकी हैं।

पुलिस को यह दृश्य हैरान करने वाला लगा। गुफा का इलाका भूस्खलन और जहरीले सांपों जैसे खतरों से भरा हुआ है, जो बच्चों की सुरक्षा के लिए जोखिम भरा है। जांच में पता चला कि नीना का बिजनेस वीजा अप्रैल 2017 में समाप्त हो चुका था। गोवा के फॉरेनर्स रीजनल रजिस्ट्रेशन ऑफिस (FRRO) ने अप्रैल 2018 में उन्हें एग्जिट परमिट जारी किया था, जिसके बाद नीना नेपाल गई थीं। हालांकि, सितंबर 2018 में वह बिना अनुमति के भारत लौट आईं और तब से अवैध रूप से रह रही थीं।

गोल्डस्टीन का दर्द: "मुझे मेरी बेटियों से दूर रखा गया"

नीना के पूर्व पति, 38 वर्षीय इजरायली बिजनेसमैन ड्रोर गोल्डस्टीन, ने इस मामले में सामने आकर अपनी बात रखी है। गोल्डस्टीन ने बताया कि उनकी मुलाकात नीना से 2017 में गोवा में हुई थी, जहां दोनों को प्यार हो गया। "हमने भारत में सात महीने और यूक्रेन में कुछ समय साथ बिताया। हमारी बेटियां, प्रेमा और अमा, हमारी जिंदगी की रोशनी हैं," गोल्डस्टीन ने भावुक होकर कहा।

गोल्डस्टीन के अनुसार, नीना ने 2024 के अंत में बिना बताए गोवा छोड़ दिया और उनकी बेटियों को अपने साथ ले गई। "मुझे नहीं पता था कि वे कहां हैं। मैंने गोवा पुलिस में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज की थी। जब मुझे पता चला कि वे गोकर्ण में हैं, मैं तुरंत उनसे मिलने गया। लेकिन नीना ने मुझे बेटियों के साथ ज्यादा समय बिताने नहीं दिया। यह मेरे लिए बहुत दुखद था," गोल्डस्टीन ने एनडीटीवी को बताया।

गोल्डस्टीन का कहना है कि वह हर महीने नीना को आर्थिक मदद भेजते थे ताकि उनकी बेटियों की जरूरतें पूरी हो सकें। "मैं चाहता हूं कि मेरी बेटियां स्वस्थ और खुश रहें। मैं उनकी अच्छी परवरिश और शिक्षा सुनिश्चित करना चाहता हूं। मैं उनकी संयुक्त कस्टडी चाहता हूं, न कि उन्हें उनकी मां से अलग करना," उन्होंने कहा। गोल्डस्टीन ने यह भी जोड़ा कि वह भारत सरकार से अनुरोध करते हैं कि उनकी बेटियों को रूस डिपोर्ट न किया जाए, क्योंकि इससे उनके लिए अपनी बेटियों से संपर्क बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा।

बच्चों की कस्टडी और कानूनी जटिलताएं

नीना और उनकी बेटियों को वर्तमान में बेंगलुरु के एक डिटेंशन सेंटर में रखा गया है, और रूसी दूतावास के साथ मिलकर उन्हें डिपोर्ट करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। हालांकि, गोल्डस्टीन की कस्टडी की मांग ने इस मामले को और जटिल बना दिया है। वरिष्ठ अधिवक्ता बीना पिल्लई ने कहा कि चूंकि छोटी बेटी अमा का जन्म भारत में हुआ है और बड़ी बेटी प्रेमा पिछले पांच साल से भारत में रह रही है, इसलिए भारतीय अदालतों को कस्टडी का अधिकार है। "अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत निवास स्थान महत्वपूर्ण है," उन्होंने कहा।

गोल्डस्टीन ने बताया कि वह हर साल छह महीने गोवा में बिताते हैं, लेकिन वीजा प्रतिबंधों और अन्य जिम्मेदारियों के कारण बाकी समय इजरायल में रहते हैं। उन्होंने कहा कि नीना बच्चों की पढ़ाई के मुद्दे पर उनसे असहमत थीं। "मैं चाहता था कि मेरी बेटियां स्कूल जाएं और औपचारिक शिक्षा लें, लेकिन नीना इसके खिलाफ थीं। वह उन्हें अपने साथ रखना चाहती थीं," गोल्डस्टीन ने खुलासा किया।

नीना की कहानी: आध्यात्मिक खोज या व्यक्तिगत मिशन?

नीना कुटीना, जो पेशे से आर्ट और रूसी साहित्य की शिक्षिका हैं, ने पुलिस को बताया कि वह हिंदू धर्म और भारतीय आध्यात्मिक परंपराओं से गहरे प्रभावित हैं। उन्होंने दावा किया कि वह पिछले 15 वर्षों से 20 देशों की यात्रा कर चुकी हैं और अपनी सभी संतानों को बिना चिकित्सकीय सहायता के जन्म दिया है। नीना ने यह भी कहा कि वह सांपों से दोस्ती रखती हैं और जंगल में रहना उन्हें शांति देता है।

हालांकि, पुलिस और बाल कल्याण समिति को बच्चों की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं हैं। गुफा में रहने की स्थिति को खतरनाक माना गया है, और नीना की मानसिक स्थिति की जांच के लिए मेडिकल टेस्ट करवाए गए हैं। पुलिस ने नीना और बच्चों को कुमटा तालुक के बंकिकोडला गांव में एक आश्रम में स्थानांतरित किया है, जो स्वामी योगरत्न सरस्वती द्वारा संचालित है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .