सात समंदर दूर से आए यूक्रेनी जोडे ने जोधपुर मे हिन्दु रिति रिवाज से की शादी.
जोधपुर की नीली नगरी में यूक्रेनी प्रेमी युगल, स्टनिस्लावा और आहेलिना, ने सनातन हिंदू रीति-रिवाजों से शादी रचाई। बॉलीवुड और भारतीय संस्कृति की दीवानी स्टनिस्लावा के सपने को साकार करने के लिए यह जोड़ा सात समुद्र पार भारत पहुंचा। उम्मेद भवन पैलेस से निकली शाही बारात, मेहंदी, वरमाला और अग्नि साक्षी में सात फेरों के साथ दोनों ने सात जन्मों का वादा किया। यह शादी सनातन संस्कृति की वैश्विक अपील और प्रेम की सीमाहीनता का प्रतीक बनी।

जोधपुर, 19 सितंबर 2025: सूरज की सुनहरी किरणें जब राजस्थान की इस ऐतिहासिक नगरी पर पड़ती हैं, तो नीले घरों की चमक और रेगिस्तानी हवाओं में एक जादुई अहसास छा जाता है। लेकिन आज यह शहर न सिर्फ अपनी शाही विरासत के लिए, बल्कि एक अंतरराष्ट्रीय प्रेम कथा के लिए भी सुर्खियों में है। यूक्रेन के ठंडे स्नोहिल्स से निकलकर सात समुद्र पार आए एक प्रेमी युगल ने यहां सनातन धर्म की पवित्र रीतियों से विवाह बंधन में बंधकर दुनिया को दिखा दिया कि सच्चा प्यार सीमाओं को लांघ जाता है। दुल्हन स्टनिस्लावा, जो हिंदू रीति-रिवाजों और बॉलीवुड की चमक-धमक से वर्षों से मोहित थीं, और दूल्हा आहेलिना, जिनका प्रेम कई बरसों पुराना है, ने जोधपुर को अपनी शादी का मंच चुना। यह कहानी न सिर्फ रोमांटिक है, बल्कि सनातन संस्कृति की वैश्विक अपील का जीवंत प्रमाण भी!
प्रेम की शुरुआत: यूक्रेन से भारत तक का सफर
यह प्रेम कथा यूक्रेन की बर्फीली वादियों से शुरू हुई, जहां स्टनिस्लावा और आहेलिना की नजरें पहली बार मिलीं। पिछले कई वर्षों से एक-दूसरे के लिए यह जोड़ा दुनिया घूम चुका था – यूरोप की सड़कों से लेकर एशिया के बाजारों तक। लेकिन जब वे भारत पहुंचे, तो कुछ ऐसा हुआ जो उनकी जिंदगी बदल गया। भारत की विविधता, रंगीन त्योहारों और सनातन धर्म की गहनता ने उन्हें ऐसा बांध लिया कि वे इसके मुरीद हो गए। स्टनिस्लावा बताती हैं, "मैं बचपन से हिंदू फिल्में देखती आई हूं – 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' से लेकर 'बाहुबली' तक। लेकिन असली जादू तो यहां आकर हुआ। राजस्थान की रेगिस्तानी संस्कृति, मंदिरों की घंटियां और अग्नि के साक्ष्य में फेरे लेने की परंपरा ने मुझे अपना लिया। हमने तय किया कि हमारी शादी यहीं होगी, पूरे हिंदू रिवाजों के साथ।"दोनों ने फैसला किया कि उनकी शादी सनातन रीति से होगी, क्योंकि यह न सिर्फ उनके प्रेम को मजबूत बनाएगी, बल्कि सात जन्मों का बंधन भी जोड़ेगी। जोधपुर का चुनाव खास था – यहां की शाही भव्यता, उम्मेद भवन पैलेस जैसी विरासतें और राजपूताना ठाठ-बाट ने उन्हें लुभाया। "हमने सोचा, अगर शादी करनी है तो राजस्थान की तरह रॉयल हो," आहेलिना ने हंसते हुए कहा।
शाही बारात से लेकर पवित्र फेरे: विवाह का भव्य आयोजन
शादी का दिन आया तो जोधपुर की सड़कें एक बार फिर बारात की रौनक से जगमगा उठीं। उम्मेद भवन पैलेस से निकली दूल्हे आहेलिना की बारात एक चित्रमय दृश्य थी – ऊंटों की कतारें, घोड़ों पर सवार सेवक, ढोल-नगाड़ों की गूंज और रंग-बिरंगे परिधानों में सजे मेहमान। बारात खास बाग स्थित दुल्हन के अस्थायी आवास पर पहुंची, जहां स्टनिस्लावा ने लाल जोड़े में सजी हुईं इंतजार किया। स्थानीय लोगों ने बैंड-बाजे के साथ जोरदार स्वागत किया – मानो यह कोई राजघराने की शादी हो!रस्में शुरू हुईं तो सनातन परंपराओं का पूरा वैभव नजर आया। सबसे पहले मेहंदी की रस्म – स्टनिस्लावा के हाथों पर राजस्थानी डिजाइन वाली मेहंदी लगाई गई, जिसमें प्रेम के प्रतीकात्मक चित्र उकेरे गए। फिर गीत गाए गए – लोकल कलाकारों ने राजस्थानी फोक सॉन्ग्स जैसे "केसरीया बालम" और हल्के-फुल्के बॉलीवुड नंबर्स पर ठुमके लगवाए। वरमाला का क्षण सबसे रोमांचक था – दोनों ने एक-दूसरे को फूलों की मालाएं पहनाईं, जबकि आसपास के लोग तालियां पीटते रहे। फोटो सेशन में कैमरे फ्लैश की बौछारें चलती रहीं, कैद होते रहे वे पल जब यूक्रेनी जोड़ा राजस्थानी पगड़ी और लहंगे में खोया नजर आया।चरमोत्कर्ष आया अग्नि साक्षी में। पंडित जी ने वैदिक मंत्रों का जाप किया – "ॐ सह नाववतु..." से शुरू होकर सात फेरों तक। स्टनिस्लावा और आहेलिना ने अग्नि को साक्षी मानकर कसम खाई – सुख-दुख में साथ निभाने की, एक-दूसरे का सम्मान करने की। फेरे लेते हुए स्टनिस्लावा की आंखों में आंसू थे, आहेलिना के चेहरे पर मुस्कान। "यह सिर्फ शादी नहीं, एक नई जिंदगी की शुरुआत है," उन्होंने संयुक्त बयान में कहा। शादी की सारी व्यवस्थाएं दीपक नामक एक लोकल इवेंट ऑर्गेनाइजर ने संभालीं।
"जब यह कपल आया और बोला कि जोधपुर में हिंदू रिवाजों से शादी करनी है, तो हमने पंडित जी बुलाए, लोकल आर्टिस्ट्स को जोड़ा। सब कुछ परफेक्ट रहा – सनातन की गरिमा बरकरार रही।"
सनातन का वैश्विक जादू: क्यों दुनिया दीवानी हो रही है?
यह शादी सिर्फ एक कपल की कहानी नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति की वैश्विक विजय का प्रतीक है। आज दुनिया में जहां संघर्ष और विभाजन की खबरें हावी हैं, वहां 'वसुधैव कुटुंबकम्' का संदेश चमक रहा है। स्टनिस्लावा जैसी विदेशी महिलाएं हिंदू रीति-रिवाजों को अपनाकर न सिर्फ शादियां कर रही हैं, बल्कि घरों में पूजा-पाठ भी शुरू कर रही हैं। आहेलिना कहते हैं, "भारत आकर हमने जाना कि शांति और प्रेम की असली कुंजी यहीं है। हम विश्व शांति की कामना करते हैं, और यह शादी हमारा छोटा-सा योगदान है।"हाल के वर्षों में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं – हरिद्वार में रूसी जोड़ों की वैदिक शादियां, केरल में यूक्रेनी दुल्हनों का हिंदू विवाह। लेकिन जोधपुर का यह आयोजन खास है, क्योंकि यह राजस्थान की शाही ठसक के साथ सनातन की आध्यात्मिकता को जोड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि सनातन की सहिष्णुता और गहन दर्शन आज की भागदौड़ भरी दुनिया को आकर्षित कर रहा है।अंत में, स्टनिस्लावा और आहेलिना अब जोधपुर की सड़कों पर हाथों में हाथ डाले घूम रहे हैं – एक यूक्रेनी जोड़ा, जो अब राजस्थानी रंग में रंगा हुआ है। उनकी यह प्रेम यात्रा साबित करती है कि प्यार की कोई भाषा या सीमा नहीं होती। शुभकामनाएं इस जोड़े को – सात जन्मों तक का साथ निभाएं, जैसा उन्होंने अग्नि के सामने वादा किया! क्या आप भी ऐसी अंतरराष्ट्रीय शादियों के फैन हैं?