मूसलाधार बारिश का कहर,जलभराव से व्यापार ठप, प्रशासन की नाकामी ने बढ़ाई मुश्किलें.
उनियारा में मूसलाधार बारिश ने तबाही मचा दी है। जलभराव ने बाजारों और दुकानों को डुबो दिया, जिससे व्यापारियों को लाखों-करोड़ों का नुकसान हुआ। प्रशासन की नाकामी ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दीं, और आमजनों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया। बारिश थमने से हल्की राहत मिली, लेकिन अनिश्चितता और दुख का माहौल बरकरार है। लोग अब प्रशासन से त्वरित सहायता और समाधान की उम्मीद कर रहे हैं।

राजस्थान के टोंक जिले के उनियारा उपखंड में पिछले कुछ दिनों से हुई मूसलाधार बारिश ने क्षेत्र में भयावह स्थिति पैदा कर दी है। भारी बारिश के कारण उनियारा के हालात पूरी तरह बेकाबू हो गए हैं, और जल निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था ने इस आपदा को और गंभीर बना दिया है। बाजारों, दुकानों और रिहायशी इलाकों में पानी भरने से स्थानीय व्यापारियों को लाखों-करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि आमजनों का जीवन भी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है। प्रशासन की ओर से राहत कार्यों में देरी और जल निकासी की विफलता ने लोगों की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
जलभराव का कहर:
उनियारा में लगातार बारिश के बाद जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने के कारण मुख्य बाजारों और गलियों में कई फीट तक पानी जमा हो गया है। न्यू मार्केट, सदर बाजार, ककोड़ गेट और अन्य प्रमुख व्यावसायिक क्षेत्रों में दुकानों में पानी घुस गया, जिससे सामान, फर्नीचर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण नष्ट हो गए। व्यापारियों का अनुमान है कि इस आपदा से उन्हें लाखों से लेकर करोड़ों रुपये तक का नुकसान हुआ है। कई दुकानदारों ने बताया कि नालों की सफाई न होने और अव्यवस्थित ड्रेनेज सिस्टम के कारण पानी का बहाव रुक गया, जिससे बाजारों में पानी भर गया। सड़कों पर जलभराव के कारण आवागमन पूरी तरह ठप हो गया है, और लोग अपने घरों से बाहर निकलने में भी असमर्थ हैं।
प्रशासन की विफलता:
इस संकट से निपटने में स्थानीय प्रशासन की नाकामी साफ तौर पर उजागर हुई है। जल निकासी के लिए कोई ठोस कदम न उठाए जाने के कारण स्थिति और बिगड़ गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बारिश से पहले नालों और ड्रेनेज सिस्टम की सफाई नहीं की गई, जिसके चलते पानी का निकास नहीं हो सका। प्रशासन ने कुछ क्षेत्रों में पंप लगाकर पानी निकालने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास नाकाफी साबित हुए। कई स्थानों पर राहत और बचाव कार्यों में देरी के कारण लोगों का गुस्सा प्रशासन के खिलाफ बढ़ रहा है। कुछ प्रभावित क्षेत्रों में सिविल डिफेंस और आपदा प्रबंधन टीमें काम कर रही हैं, लेकिन उनकी सीमित संसाधनों के कारण स्थिति पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है।
आमजनों पर प्रभाव:
इस प्राकृतिक आपदा ने न केवल व्यापारियों, बल्कि आम लोगों के जीवन को भी बुरी तरह प्रभावित किया है। सड़कों पर पानी भरने से स्कूल, कॉलेज और अन्य संस्थान बंद हैं। कई परिवार अपने घरों में फंसे हुए हैं, क्योंकि निचले इलाकों में पानी का स्तर अभी भी खतरनाक बना हुआ है। बिजली आपूर्ति बाधित होने और खाद्य सामग्री की कमी के कारण लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सड़कों पर पानी और कीचड़ जमा होने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है। बच्चों और बुजुर्गों के लिए यह स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है।
हल्की राहत, लेकिन अनिश्चितता बरकरार:
हालांकि पिछले कुछ घंटों में बारिश का दौर थमने से लोगों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन मौसम विभाग ने अगले 24 से 48 घंटों में और बारिश की संभावना जताई है। इससे उनियारा में हालात और खराब होने का अंदेशा है। स्थानीय लोग प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि जल निकासी की व्यवस्था को तुरंत दुरुस्त किया जाए और प्रभावित लोगों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। कुछ स्वयंसेवी संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राहत कार्य शुरू किए हैं, जिसमें जरूरतमंदों को भोजन और अन्य आवश्यक सामग्री वितरित की जा रही है।
आवश्यक कदम और भविष्य की चिंताएं:
उनियारा में इस आपदा ने न केवल तात्कालिक नुकसान पहुंचाया है, बल्कि प्रशासन की दीर्घकालिक योजना और आपदा प्रबंधन की कमियों को भी उजागर किया है। स्थानीय लोग और व्यापारी मांग कर रहे हैं कि ड्रेनेज सिस्टम को मजबूत किया जाए और भविष्य में ऐसी स्थिति से बचने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। साथ ही, प्रभावित व्यापारियों और परिवारों के लिए मुआवजे की घोषणा की मांग भी जोर पकड़ रही है।
उनियारा में मूसलाधार बारिश ने एक ओर जहां आर्थिक नुकसान पहुंचाया है, वहीं प्रशासन की तैयारियों की कमी ने इस संकट को और गंभीर बना दिया है। तत्काल राहत कार्यों, जल निकासी की व्यवस्था और प्रभावित लोगों के पुनर्वास की आवश्यकता है। अगर समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए, तो उनियारा के हालात और बिगड़ सकते हैं। स्थानीय समुदाय अब प्रशासन से त्वरित कार्रवाई और सहायता की उम्मीद कर रहा है, ताकि जनजीवन जल्द से जल्द सामान्य हो सके।