सोनम रघुवंशी का पुतला दशहरे पर होगा दहन, 11 महिलाओं को शूर्पणखा की संज्ञा दी

इस विजयादशमी पर संस्था 'पौरुष' रावण की जगह 11 मुखी शूर्पणखा का पुतला जलाएगी, जिसमें सोनम रघुवंशी और मुस्कान जैसे अपराधी महिलाओं की तस्वीरें होंगी, ताकि समाज में अपराधों के प्रति जागरूकता फैले।

Sep 21, 2025 - 12:35
सोनम रघुवंशी का पुतला दशहरे पर होगा दहन, 11 महिलाओं को शूर्पणखा की संज्ञा दी

इस बार विजयादशमी का पर्व इंदौर में एक अनोखे और विचारोत्तेजक अंदाज में मनाया जाएगा। शहर की सामाजिक संस्था 'पौरुष' ने परंपरागत रावण दहन की जगह 11 मुखी शूर्पणखा का पुतला जलाने का फैसला किया है। इस पुतले पर उन 11 महिलाओं की तस्वीरें होंगी, जिन्होंने अपने पति या बच्चों की हत्या जैसे जघन्य अपराध किए हैं। इस पहल का उद्देश्य समाज में बढ़ते अपराधों, खासकर वैवाहिक जीवन में पुरुषों के खिलाफ हिंसा, पर जागरूकता लाना है। इस कार्यक्रम को स्थानीय विधायक उषा ठाकुर का भी समर्थन प्राप्त है।

चर्चित अपराधों की छाया में शूर्पणखा का प्रतीक

संस्था 'पौरुष' ने इस अनोखे पुतला दहन के लिए दो चर्चित मामलों को केंद्र में रखा है। पहला मामला है सोनम रघुवंशी का, जिन्होंने इंदौर के ट्रांसपोर्ट कारोबारी राजा रघुवंशी की शिलांग में हनीमून के दौरान अपने प्रेमी और साथियों के साथ मिलकर हत्या कर दी थी। इस घटना ने पूरे मध्य प्रदेश को झकझोर कर रख दिया था। दूसरा मामला मुस्कान का है, जिसने अपने पति की हत्या कर उसकी लाश को नीले ड्रम में छिपा दिया था। इन दोनों मामलों ने देशभर में पुरुषों की सुरक्षा और वैवाहिक विश्वासघात के मुद्दों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

संस्था का कहना है कि यह पुतला दहन समाज को यह संदेश देगा कि अपराध की कोई लैंगिक सीमा नहीं होती और मातृशक्ति को सृजन का प्रतीक बनकर समाज को सकारात्मक दिशा में ले जाना चाहिए। विधायक उषा ठाकुर ने इस पहल का समर्थन करते हुए कहा, "रावण कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक वृत्ति का प्रतीक है। जब मातृशक्ति षड्यंत्रकारी और क्रूर हो जाएगी, तो यह धरती का संतुलन बिगाड़ देगी। मातृशक्ति सृजन की आधारशिला है, और उसे नैतिकता और संवेदनशीलता के साथ समाज का निर्माण करना चाहिए।"

पोस्टर में त्रेता युग और द्वापर युग के प्रसंगों का उल्लेख

संस्था 'पौरुष' ने इस कार्यक्रम के लिए जारी किए गए पोस्टर में त्रेता युग और द्वापर युग के प्रसंगों का उल्लेख किया है। पोस्टर में लिखा है कि त्रेता युग में शूर्पणखा ने भगवान श्रीराम और लक्ष्मण को विवाह का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद लक्ष्मण ने उसकी नाक काट दी। इसके परिणामस्वरूप राम-रावण युद्ध हुआ, जिसमें लाखों निर्दोष लोग मारे गए। इसी तरह, द्वापर युग में द्रौपदी द्वारा दुर्योधन के अपमान को महाभारत युद्ध का कारण बताया गया, जिसमें करोड़ों लोगों की जान गई। इन ऐतिहासिक उदाहरणों के माध्यम से संस्था यह संदेश देना चाहती है कि गलत कार्यों के परिणाम पूरे समाज को भुगतने पड़ते हैं।

विधायक उषा ठाकुर का आह्वान

विधायक उषा ठाकुर ने इस अवसर पर सभी महिलाओं से अपील की कि वे अपनी सात्विकता और नैतिकता को बनाए रखें। उन्होंने कहा, "मातृशक्ति को प्रभु की प्रतिनिधि बनकर राक्षसी प्रवृत्तियों से दूर रहना चाहिए। यह पहल समाज में सकारात्मक बदलाव लाने और अपराधों के खिलाफ जागरूकता फैलाने का एक प्रयास है।" ठाकुर ने इस आयोजन को सामाजिक जागृति का एक सशक्त माध्यम बताया और कहा कि यह समाज को यह सोचने पर मजबूर करेगा कि नैतिकता और संवेदनशीलता हर व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .