सीमा पर एकजुटता: बाड़मेर के मुस्लिम और हिंदू बोले- हम भारतीय, सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रहेंगे"

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिले के रेगिस्तानी इलाकों में, जहां रेत के टीले और कांटेदार झाड़ियां सीमा की कहानियां बयां करते हैं,

May 1, 2025 - 12:51
सीमा पर एकजुटता: बाड़मेर के मुस्लिम और हिंदू बोले- हम भारतीय, सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर रहेंगे"

भारत-पाकिस्तान सीमा पर बाड़मेर जिले के रेगिस्तानी इलाकों में, जहां रेत के टीले और कांटेदार झाड़ियां सीमा की कहानियां बयां करते हैं, वहां रहने वाले मुस्लिम और हिंदू परिवारों ने एक बार फिर अपने अटूट देशप्रेम का परिचय दिया है। 1965 और 1971 के युद्धों की गूंज आज भी इन गांवों में सुनाई देती है, जब स्वरूपे का तला जैसे सीमावर्ती गांवों ने युद्ध की विभीषिका देखी। आज वही लोग, जिनके पूर्वजों ने गोलीबारी और बमों के धमाकों के बीच घर छोड़े, एक स्वर में कह रहे हैं- "हम भारतीय हैं, और हमारी वफादारी भारत के साथ है।" हाल ही में पहलगाम हमले की कड़ी निंदा करते हुए, बाड़मेर के मुस्लिम समुदाय ने पाकिस्तान की नापाक हरकतों को सबक सिखाने की बात कही। यह कहानी है सीमा पर बसे उन दिलों की, जो धर्म और समुदाय से ऊपर उठकर भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं।

बाड़मेर जिले के भारत-पाक सीमा पर बसे स्वरूपे का तला गांव, जो पाकिस्तानी सीमा से महज 500 मीटर दूर है, देशभक्ति की एक मिसाल पेश कर रहा है। यहां के मुस्लिम निवासी हमाल खान ने 'द खटक टीम' के रिपोर्टर राजेंद्र सिंह को बताया कि 1965 और 1971 के युद्धों के दौरान उनके गांव को खाली करवाया गया था। "गोलीबारी और बमों के धमाके ही सुनाई देते थे। कई मुस्लिम परिवार पाकिस्तान चले गए, तो कई हिंदू परिवार रातों-रात सीमा पार कर भारत आए। लेकिन हमने यहीं रहने का फैसला किया, क्योंकि हम भारतीय हैं," हमाल खान ने गर्व से कहा।

उन्होंने आगे बताया कि अगर भविष्य में युद्ध होता है, तो वे भारतीय सेना के साथ खड़े होंगे। "हमारे पास बंदूकें नहीं, लेकिन लाठी, डंडे और कुल्हाड़ी लेकर भी हम पाकिस्तानी फौज का मुकाबला करेंगे। हम मुस्लिम हैं, लेकिन भारत के वफादार हैं।" हमाल खान की यह बात न केवल उनके गांव, बल्कि पूरे बाड़मेर जिले के सीमावर्ती इलाकों के लोगों की भावनाओं को दर्शाती है।

पश्चिमी बाड़मेर के मुस्लिम समुदाय ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की। स्थानीय निवासी रहीम खान ने कहा, "पहलगाम हमला पाकिस्तान की नापाक साजिश है। यह गलत है और उन्हें सबक सिखाना होगा।" इस हमले में 26 मासूम लोगों की जान गई, जिसके बाद पूरे देश में गुस्सा है। बाड़मेर के लोगों ने इसे न केवल आतंकवाद, बल्कि इंसानियत के खिलाफ अपराध बताया।

'द खटक टीम' ने जब बाड़मेर के हिंदू और मुस्लिम समुदायों से बात की, तो दोनों ने एकजुट होकर देश के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। हिंदू समुदाय के रामलाल ने कहा, "यहां हिंदू-मुस्लिम का कोई भेद नहीं। हम सब भारतीय हैं। सीमा पर रहकर हमने युद्ध का दर्द देखा है, और हमारी सेना के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।"

बाड़मेर के ये सीमावर्ती गांव, जहां हर रात सीमा पार से आने वाली हल्की-सी आहट भी सतर्क कर देती है, आज एकता और देशभक्ति का संदेश दे रहे हैं। यहां के लोग न केवल अपनी जमीन की रक्षा के लिए तैयार हैं, बल्कि वे अपने दिलों में भारत के प्रति अटूट प्रेम और विश्वास भी संजोए हुए हैं। पहलगाम हमले के बाद इन गांवों में गुस्सा तो है, लेकिन साथ ही एक दृढ़ संकल्प भी है कि वे हर चुनौती में भारतीय सेना और देश के साथ मजबूती से खड़े रहेंगे।

निष्कर्ष:

बाड़मेर की रेत में बसे इन गांवों की कहानी सिर्फ सीमा की नहीं, बल्कि एकता, साहस और देशप्रेम की है। हिंदू और मुस्लिम समुदाय का यह संदेश साफ है- धर्म चाहे जो हो, दिल भारतीय है। पाकिस्तान की हर नापाक हरकत का जवाब देने के लिए बाड़मेर के लोग तैयार हैं, और उनकी यह भावना पूरे देश के लिए प्रेरणा है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ