"रेतीले थोर से चमका सितारा: बायतु के श्रवण ने NEET 2025 में बढ़ाया गांव का मान"

थार के रेतीले धोरों में बायतु के नरेवा गांव की एक कच्ची झोपड़ी से निकली चमक ने पूरे राजस्थान को गौरवान्वित किया। श्रवण कुमार सियाग ने NEET UG 2025 में 556 अंकों के साथ AIR 9754 हासिल कर अपने मेहनत और लगन का लोहा मनवाया। बिना कोचिंग, केवल आत्म-अध्ययन के दम पर यह मुकाम पाने वाले श्रवण की कहानी हर युवा के लिए प्रेरणा

Jun 15, 2025 - 12:38
"रेतीले थोर से चमका सितारा: बायतु के श्रवण ने NEET 2025 में बढ़ाया गांव का मान"

थार के सुनहरे रेगिस्तान में, राजस्थान के बालोतरा जिले की ग्राम पंचायत बायतु नरेवा (खट्टू) में एक ऐसी कहानी ने जन्म लिया है, जो मेहनत, लगन और हौसले की जीवंत मिसाल बन गई है। यह कहानी है श्रवण कुमार सियाग की, एक ऐसे नौजवान की, जिसने कच्ची झोपड़ी की मिट्टी से भरे पन्नों पर अपने सपनों की स्याही से सुनहरा भविष्य लिखा। NEET 2025 में 556 अंकों के साथ ऑल इंडिया रैंक (AIR) 9754 हासिल कर श्रवण ने न केवल अपने परिवार, बल्कि पूरे बायतु क्षेत्र का नाम रोशन किया है। 

कठिन परिस्थितियों में शुरू हुआ सफर

श्रवण कुमार सियाग, पुत्र श्री रेखाराम सियाग, का जन्म और पालन-पोषण एक ऐसी झोपड़ी में हुआ, जहां पक्की छत तक नसीब नहीं थी। उनके घर की दीवारें मिट्टी की थीं, और रात में पढ़ाई के लिए चिमनी की रोशनी ही उनका सहारा थी। आर्थिक तंगी और संसाधनों की कमी ने उनके रास्ते में कई बाधाएं खड़ी कीं, लेकिन श्रवण ने इन अभावों को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि प्रेरणा बनाया। बिना किसी कोचिंग की मदद के, केवल आत्म-अध्ययन और दृढ़ निश्चय के बल पर उन्होंने NEET जैसी कठिन परीक्षा को पास कर दिखाया।

मेहनत और लगन की मिसाल

श्रवण की सफलता की कहानी केवल अंकों की नहीं, बल्कि उस जुनून और मेहनत की है, जिसने उन्हें रेत के धोरों से मेडिकल कॉलेज की दहलीज तक पहुंचाया। उनके पिता रेखाराम सियाग, जो खेती-बाड़ी और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते हैं, ने भावुक होकर कहा, "ऐठाड़े मो जिन छूटी" (यहां तक पहुंचने में बहुत कुछ छूट गया)। इस एक वाक्य में उनके संघर्ष, बलिदान और अब मिली खुशी की गहराई समाहित है। श्रवण ने रोजाना घंटों आत्म-अध्ययन किया, NCERT की किताबों को अपना गुरु बनाया और मॉक टेस्ट के जरिए अपनी तैयारी को पुख्ता किया।

सपनों की उड़ान और सामाजिक प्रेरणा

श्रवण की इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे नरेवा गांव और बायतु विधानसभा क्षेत्र में खुशी की लहर दौड़ा दी। सोशल मीडिया पर उनकी कहानी को लेकर कई पोस्ट वायरल हो रहे हैं, जिनमें लोग उनकी मेहनत और जिद की तारीफ कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, "थार की रेत से रचा इतिहास, श्रवण ने जिद से जीता आसमान!" एक अन्य पोस्ट में कहा गया, "प्रतिभा महलों से नहीं, बल्कि झोपड़ियों से निकलती है।"

श्रवण की इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि यदि मेहनत और लगन हो, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। उनकी कहानी उन लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बीच अपने सपनों को सच करने की जिद रखते हैं।

परिवार और समाज का गर्व

श्रवण के पिता रेखाराम ने बताया कि बेटे की इस उपलब्धि से घर में खुशियां बरस रही हैं। उन्होंने कहा, "हमारी झोपड़ी अब गर्व से चमक रही है। श्रवण ने न केवल हमारा, बल्कि पूरे गांव का मान बढ़ाया है।" गांव के लोग भी श्रवण को बधाई देने उनके घर पहुंच रहे हैं, और उनकी इस उपलब्धि को एक सामूहिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

NEET 2025 में सफलता के बाद अब श्रवण का अगला कदम मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना होगा। बायतु के पूर्व कैबिनेट मंत्री हरीश चौधरी ने भी श्रवण को बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।   

एक प्रेरणादायक कहानी

श्रवण कुमार सियाग की कहानी यह सिखाती है कि मेहनत और लगन के आगे कोई बाधा टिक नहीं सकती। एक कच्ची झोपड़ी से शुरू हुआ उनका सफर अब बहुमंजिला इमारतों को चुनौती दे रहा है। उनकी यह उपलब्धि न केवल बायतु, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल है कि सपने वही सच होते हैं, जिनके पीछे जुनून और मेहनत का दम हो।